अल्पना वर्मा ने सटीक उत्तर देकर फिर मैदान मार लिया है -मगर इस बार सही उत्तर तक पहुचने में उन्हें भी नाको चने चबाने पड़े .मगर आश्चर्य यह कि ...
अल्पना वर्मा ने सटीक उत्तर देकर फिर मैदान मार लिया है -मगर इस बार सही उत्तर तक पहुचने में उन्हें भी नाको चने चबाने पड़े .मगर आश्चर्य यह कि भारत के इतने प्रामिनेन्ट एक जीव को हममें से अधिकांश लोग नही पहचानते -अपनी इस जैव अनिभिज्ञता के बारे में मैं पहले भी तस्लीम पर अपनी चिंता व्यक्त कर चुका हूँ इसलिए बार बार वही बात दुहराना अच्छा नही है .
तस्लीम का एक विनम्र प्रयास है कि वह इन मुद्दों पर एक आम जागृति कायम करे और जो फीडबैक मिल रहा है वह बहुत ही प्रोत्साहन भरा है -हिन्दी ब्लागजगत के कई दिग्गज बिना किसी संकोच /रिजर्वेशन के यहाँ आ रहे हैं और पहेलियों में अपनी रूचि दिखा रहें है जो यह रेखांकित करता है कि वे इसे कुछ कमतर महत्व नही दे रहे ! उनका यहाँ आना ही मुहिम की सार्थकता को सिद्ध करता है -उन नामों का उल्लेख कर यहाँ हम उन संज्ञा राशियों को सर्वनाम नही बनाना चाहते ! वे हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत है,हम जानते हैं वे केवल हमें और इस मुहिम को प्रोत्साहन देने आते हैं ! अन्यथा यह कोई इतना उल्लेखनीय ब्लॉग भी नही है और इसकी चर्चा भी एक दो बार अनूप जी के आंशिक उल्लेख के बावजूद शायद चिट्ठा चर्चा पर नही हुयी -हाँ जिनकी ज्यादातर चर्चा चिट्ठाचर्चा पर होती है उनमें से भी अधिकांशतः चिट्ठाकारों को तस्लीम अपने इमानदार प्रयासों के बाद भी यहाँ आकर्षित नहीं कर सका है .क्या मैं सही हूँ जाकिर ? मैं यहाँ पूरी विनम्रता और जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूँ कि यह वह एक उदाहरण है जिसमें हम प्रकृति के प्रति एक आम भारतीय बुद्धिजीवी की विमुखता के कारणों की तलाश कर सकते हैं ।
चलिए आगे बढ़ें ! तो बात शुरू से ही शुरू करते हैं .तो जो वह गत्ते का बाक्स सारनाथ स्टेशन पर लावारिस पडा था उसमें एक चिट भी थी कि यह पुरानी दुनिया का एक जानवर है ,इसे चिडियाघर पहुंचा दिया जाय .पहले तो इस दृष्टांत के बाद उस जानवर की खोज भारत में ही की जानी चाहिए थी -पर जब सीमा गुप्ता का पहला जवाब मेरे ईमेल में नमूदार हुआ तो मैं जान गया कि पहले की कई पहेलियों की तरह यह भी औंधे मुंह धडाम से गिरी है -सीमा जी का उत्तर भी एक हद तक सही था पर उन्होंने इसी लेमर परिवार के ही बुश बेबी के रूप मे क्या पहचान कर डाला ,सारा ब्लॉग जगत उनकी विद्वता से पूर्व परिचित होने के कारण उनके पीछे ही चल पडा ! यह सहज भी था .मैं आपके लिए केवल सारी कह सकता हूँ सीमा जी ! अल्पना वर्मा जी का पहला जवाब भी ग़लत ही था पर एक हिंट पर वे संभल गयीं और पूरा पहेली को हल करने पर ध्यान केंद्रित किया और हल तक जा पहुँची -अब इस विदुषी के हैट्रिक करने की उम्मीदे बढ़ गयीं हैं और साथ ही इस ब्लॉग के ओनर जाकिर की भी कि हैट्रिक करने वाले के लिए भई कुछ तगडे इनाम शिनाम की जुगाड़में लग जाएँ -उधर राज भाटिया जी ने अपनी पहेलियों के विजेता को डिनर शिनर देना शुरू भी कर दिया है और जाकिर भाई कम्पटीशन में बने रहने के लिए कुछ करोगे नही तो तस्लीम का तम्बू उजड़ जायेगा !
हाँ तो यह जानवर भारत का स्लेन्डर लोरिस -बोले तो शर्मीली बिल्ली या लाजवंती है जो नर वानर खानदान का ही एक प्राणी है जिन्हें सम्मिलित रूप से लेमर कहा जाता है .इस लिहाज से कई उत्तर काफी सही भी हैं पर सटीक नहीं! अल्पना जी के बाद भी कुछ सटीक उत्तर आए हैं .यह जानवर असम और दक्षिण भारत के जंगलों में पाया जाता है .यह रात्रिचर प्राणीहै और पालतू भी बन जाता है -इसकी सुन्दर बड़ी आंखों में कुछ नराधम मनुष्य के आंखों के इलाज का तत्व ढूंढते आए हैं इसलिए इसकी तस्करी भी होती है -सारनाथ रेलवे स्टेशन में पाया गया डब्बा किसी तस्कर द्बारा किन्ही परिस्थितियों में छोडा गया होगा -यह मामला वन विभाग और रेलवे पुलिस के बीच है और आरोपों प्रत्यारोपों के बीच यह जानवर -लोरिस कानपुर चिडियाघर पहुँच वहाँ की शोभा बढ़ा रहा है ।
अभिषेक ने आशंका जताई थी कि यह बाहरी जानवर सारनाथ कैसे पहुंचा पर लोगों ने इस पर ज़रा भी विचार नहीं किया और ग़लत पर ग़लत उत्तर देते गए .अब ग़लत उत्तर देने वालों का नामोल्लेख क्या करें ! कविता वाचक्नवी ने तो खैर उदबिलाव ही कह डाला जो पहले ही तस्लीम पर चर्चित हो चुका है पर मैं तस्लीम पर उनके आगमन को उनकी सदाशयता और सच्चे वैदुष्य की पहल मानता हूँ और तहे दिल उनका खैर मकदम करता हूँ .
विष्णु वैरागी जी भी सचाई से कह गए कि वे उस जीव को नहीं पहचानते .ठीक बात .शास्त्री जी की यह बात ठीक रही - "लगता है कि इस बिचारे को कोई व्यक्ति अवैध बिक्री के लिये ले जा रहा था, लेकिन किसी पुलिसवाले को देख डर के मारे छोड गया"। ज्ञान जी की यह जिज्ञासा भी कि "पर सारनाथ में कहां से? चिड़ियाघर से किसी ने पार तो नहीं किया?" ठीक ही रही .ताऊ को इस जानवर में बिज्जू की छवि लगे है -पर वे आए तो ! अभिषेक ओझा जी रेड पांडा बता गए -वेल ट्रायिद ! जिन्होंने सीमा जी के जवाब को ही डिटो किया उनमें रंजना (रंजू ) जी ,उन्मुक्त जी ,मीत जी .डी के शर्मा जी आदि हैं और रोचक तो यह है कि कई ब्लॉगर मित्रों ने अपने ग़लत उत्तर को अब मिटा दिया है -मगर मेरे ईमेल अकाउंट में तो वह दर्ज ही है .बाद में मीनू जी ,कविता जी और राज भाटिया और सीमा जी ने अपना उत्तर ठीक कर दिया -सीमा जी ने तो विस्तार से उत्तर दे दिया -काश वे अपना उत्तर हिन्दी में देती तो मैं यहाँ उसे कट पेस्ट कर देता और अपने श्रम से थोड़ा बच जाता .आप उनके उत्तर को देख कर बस इतना जोड़ दें कि लोरिस एक भारतीय लेमर है !
आप सभी ने इस पहेली में हिस्स्सा लिया दुबारा तिबारा तशरीफ़ ले आए -बहुत बहुत शुक्रिया !
फिर मिलेंगे !
तस्लीम का एक विनम्र प्रयास है कि वह इन मुद्दों पर एक आम जागृति कायम करे और जो फीडबैक मिल रहा है वह बहुत ही प्रोत्साहन भरा है -हिन्दी ब्लागजगत के कई दिग्गज बिना किसी संकोच /रिजर्वेशन के यहाँ आ रहे हैं और पहेलियों में अपनी रूचि दिखा रहें है जो यह रेखांकित करता है कि वे इसे कुछ कमतर महत्व नही दे रहे ! उनका यहाँ आना ही मुहिम की सार्थकता को सिद्ध करता है -उन नामों का उल्लेख कर यहाँ हम उन संज्ञा राशियों को सर्वनाम नही बनाना चाहते ! वे हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत है,हम जानते हैं वे केवल हमें और इस मुहिम को प्रोत्साहन देने आते हैं ! अन्यथा यह कोई इतना उल्लेखनीय ब्लॉग भी नही है और इसकी चर्चा भी एक दो बार अनूप जी के आंशिक उल्लेख के बावजूद शायद चिट्ठा चर्चा पर नही हुयी -हाँ जिनकी ज्यादातर चर्चा चिट्ठाचर्चा पर होती है उनमें से भी अधिकांशतः चिट्ठाकारों को तस्लीम अपने इमानदार प्रयासों के बाद भी यहाँ आकर्षित नहीं कर सका है .क्या मैं सही हूँ जाकिर ? मैं यहाँ पूरी विनम्रता और जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूँ कि यह वह एक उदाहरण है जिसमें हम प्रकृति के प्रति एक आम भारतीय बुद्धिजीवी की विमुखता के कारणों की तलाश कर सकते हैं ।
चलिए आगे बढ़ें ! तो बात शुरू से ही शुरू करते हैं .तो जो वह गत्ते का बाक्स सारनाथ स्टेशन पर लावारिस पडा था उसमें एक चिट भी थी कि यह पुरानी दुनिया का एक जानवर है ,इसे चिडियाघर पहुंचा दिया जाय .पहले तो इस दृष्टांत के बाद उस जानवर की खोज भारत में ही की जानी चाहिए थी -पर जब सीमा गुप्ता का पहला जवाब मेरे ईमेल में नमूदार हुआ तो मैं जान गया कि पहले की कई पहेलियों की तरह यह भी औंधे मुंह धडाम से गिरी है -सीमा जी का उत्तर भी एक हद तक सही था पर उन्होंने इसी लेमर परिवार के ही बुश बेबी के रूप मे क्या पहचान कर डाला ,सारा ब्लॉग जगत उनकी विद्वता से पूर्व परिचित होने के कारण उनके पीछे ही चल पडा ! यह सहज भी था .मैं आपके लिए केवल सारी कह सकता हूँ सीमा जी ! अल्पना वर्मा जी का पहला जवाब भी ग़लत ही था पर एक हिंट पर वे संभल गयीं और पूरा पहेली को हल करने पर ध्यान केंद्रित किया और हल तक जा पहुँची -अब इस विदुषी के हैट्रिक करने की उम्मीदे बढ़ गयीं हैं और साथ ही इस ब्लॉग के ओनर जाकिर की भी कि हैट्रिक करने वाले के लिए भई कुछ तगडे इनाम शिनाम की जुगाड़में लग जाएँ -उधर राज भाटिया जी ने अपनी पहेलियों के विजेता को डिनर शिनर देना शुरू भी कर दिया है और जाकिर भाई कम्पटीशन में बने रहने के लिए कुछ करोगे नही तो तस्लीम का तम्बू उजड़ जायेगा !
हाँ तो यह जानवर भारत का स्लेन्डर लोरिस -बोले तो शर्मीली बिल्ली या लाजवंती है जो नर वानर खानदान का ही एक प्राणी है जिन्हें सम्मिलित रूप से लेमर कहा जाता है .इस लिहाज से कई उत्तर काफी सही भी हैं पर सटीक नहीं! अल्पना जी के बाद भी कुछ सटीक उत्तर आए हैं .यह जानवर असम और दक्षिण भारत के जंगलों में पाया जाता है .यह रात्रिचर प्राणीहै और पालतू भी बन जाता है -इसकी सुन्दर बड़ी आंखों में कुछ नराधम मनुष्य के आंखों के इलाज का तत्व ढूंढते आए हैं इसलिए इसकी तस्करी भी होती है -सारनाथ रेलवे स्टेशन में पाया गया डब्बा किसी तस्कर द्बारा किन्ही परिस्थितियों में छोडा गया होगा -यह मामला वन विभाग और रेलवे पुलिस के बीच है और आरोपों प्रत्यारोपों के बीच यह जानवर -लोरिस कानपुर चिडियाघर पहुँच वहाँ की शोभा बढ़ा रहा है ।
अभिषेक ने आशंका जताई थी कि यह बाहरी जानवर सारनाथ कैसे पहुंचा पर लोगों ने इस पर ज़रा भी विचार नहीं किया और ग़लत पर ग़लत उत्तर देते गए .अब ग़लत उत्तर देने वालों का नामोल्लेख क्या करें ! कविता वाचक्नवी ने तो खैर उदबिलाव ही कह डाला जो पहले ही तस्लीम पर चर्चित हो चुका है पर मैं तस्लीम पर उनके आगमन को उनकी सदाशयता और सच्चे वैदुष्य की पहल मानता हूँ और तहे दिल उनका खैर मकदम करता हूँ .
विष्णु वैरागी जी भी सचाई से कह गए कि वे उस जीव को नहीं पहचानते .ठीक बात .शास्त्री जी की यह बात ठीक रही - "लगता है कि इस बिचारे को कोई व्यक्ति अवैध बिक्री के लिये ले जा रहा था, लेकिन किसी पुलिसवाले को देख डर के मारे छोड गया"। ज्ञान जी की यह जिज्ञासा भी कि "पर सारनाथ में कहां से? चिड़ियाघर से किसी ने पार तो नहीं किया?" ठीक ही रही .ताऊ को इस जानवर में बिज्जू की छवि लगे है -पर वे आए तो ! अभिषेक ओझा जी रेड पांडा बता गए -वेल ट्रायिद ! जिन्होंने सीमा जी के जवाब को ही डिटो किया उनमें रंजना (रंजू ) जी ,उन्मुक्त जी ,मीत जी .डी के शर्मा जी आदि हैं और रोचक तो यह है कि कई ब्लॉगर मित्रों ने अपने ग़लत उत्तर को अब मिटा दिया है -मगर मेरे ईमेल अकाउंट में तो वह दर्ज ही है .बाद में मीनू जी ,कविता जी और राज भाटिया और सीमा जी ने अपना उत्तर ठीक कर दिया -सीमा जी ने तो विस्तार से उत्तर दे दिया -काश वे अपना उत्तर हिन्दी में देती तो मैं यहाँ उसे कट पेस्ट कर देता और अपने श्रम से थोड़ा बच जाता .आप उनके उत्तर को देख कर बस इतना जोड़ दें कि लोरिस एक भारतीय लेमर है !
आप सभी ने इस पहेली में हिस्स्सा लिया दुबारा तिबारा तशरीफ़ ले आए -बहुत बहुत शुक्रिया !
फिर मिलेंगे !
बधाई.
जवाब देंहटाएं' अल्पना जी को बहुत बहुत बधाई "
जवाब देंहटाएंregards
बधाई!
जवाब देंहटाएंअल्पना जी को बहुत बधाई !
जवाब देंहटाएंमुझे हरवाने मे आपका हाथ ज्यादा है ! हम तो किसी चीज के बारे मे कुछ नही जानते सिर्फ़ एक जिनियस के पीछे लग लेते हैं ! मैं जब जवाब देने आया था तब अल्पनाजी का जवाब यहां नही था ! वरना तो कोई कारण ही नही था कि मैं उनके जवाब की कापी नही करता !
फ़िर जब सीमा जी का जवाब दिखा तो वो भी जीनियस हैं सो उनको कापी कर लिया ! कोई बात नही सीमा जी अगली बार जितेंगे !
और एक जरुरी सूचना :- राज भाटिया जी की तरफ़ से हम डिनर कर आये हैं और हमने १८७६रुपये ५६ पैसे का बिल उनको भेजा था ! अभी बैन्क से पता किया उस बिल का रेमीटेन्स आ चुका है तो आपसे निवेदन है कि आज और कल इसका उपयोग करले फ़िर सोमवार को यह डिनर लेप्स हो जायेगा ! और फ़टाफ़ट यह बिल भाटीया जी को भिजवा दे!
@अब जाकिर भाई : आप क्या इनाम दे रहें हैं ताऊ को ? भाटिया जी ने तो हारने के बाद भी डिनर करवाया है आप भी इनामी राशि मे मेरा हिस्सा भिजवा दिजियेगा ताऊ टेक्स का ! :)
' अल्पना जी को बहुत बहुत बधाई "
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बधाई अल्पना जी
जवाब देंहटाएंमेरी तो पहचान जरा कमतर ही थी, हाँ, मेरे बेटे ने पहले उत्तर के समय मुझे सुझाया भी था कि नहीं माँ, यह लंगूर या बन्दर कटेगिरि का कोई छोटा-सा पशु है। मेरे ऊदबिलाव कहने पर उसे आपत्ति थी।
जवाब देंहटाएंमेरी नासमझी प्रमाणित भी हो गई। खैर,उत्तर के चक्कर में मेरे ३-४ घंटे का हिसाब आपकी तरफ़ ड्यू है,सब के सब अपने अपने घंटों का हिसाब माँगने लगे तो डिनर नहीं आपको घंटों लगाकर ईनाम चुकाना पड़ेगा।
अल्पना जी को बधाई।
alpana ji ko iske liye dhero badhai....
जवाब देंहटाएंarsh
अल्पना जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, पार्टी किस होटल मे दे रहै है?? क्योकि ताज तो अभी बन्द पडा है,
अल्पना जी को बधाईयँ !!
जवाब देंहटाएंतस्लीम में आप लोग इस तरह की चित्र पहेलियों के द्वारा जो वैज्ञानिक जागृति फैला रहे हैं उसके लिये आप सब मेरा अनुमोदन स्वीकार करें.
हां, एक अनुरोध, जो लोग गलती करते हैं, जो लोग अपनी टिप्पणी मिटा देते हैं, उनके बारे में कृपया/टोकाटाकी न करें. इससे गलती करने वाले निरुस्ताहित हो सकते हैं.
मेरा एक और सुझाव है कि एक पहेली का उत्तर आने से पहले दूसरी पहेली दे दी जाये, जिससे लोगों को उलझाने के लिये कुछ न कुछ हमेशा रहे. इससे निरंतरता बनी रहेगी.
इस विधा को चलते रहने दें. वैज्ञानिक शिक्षा के लिये यह एक आकर्षक विधा है. मुझ जैसे रिटायर्ड लोगों को भी कुछ सीखने का मौका मिल जाता है.
एक बात और: गलत उत्तर देने वालों को "प्रोत्साहन पुरस्कार" दिया जाये जिससे हम लोग भाग ना जायें.
सारे लेखको, विजेता को, को एवं पाठकों को बधाई एवं स्नेह सहित -- शास्त्री
बधाई के लिए धन्यवाद क्योंकि इस बार १००%सही जवाब पाने के लिए थोडी मेहनत करनी पड़ी.
जवाब देंहटाएंसारे के सारे primates का अध्ययन कारन पड़ा.ब्रिटानिका,नेशनल गेओग्रफिक,विकिपीडिया और न जाने
कौन कौन सी साईट पर लेख पढने पढे .लेकिन ज्ञान में बहुत बढोतरी हुई.
ऐसी जागरूकता लाने के लिए तस्लीम का धन्यवाद.
[-Kavita ji main ne bhi bachhon ke saath'Madagaskar' film dekhi thi jis mein 'lemur' ek character play karta hai--wahi yaad aaya tha is picture ko dekh kar-]
--अब ताऊ जी आप की बात का जवाब दे दूँ-
-ताऊ जी आप जीनियस कह कर शर्मिंदा कर रहे हैं.ऐसा कुछ नहीं है--कभी तुक्का कभी किस्मत-
से जवाब सही हो गए हैं इतना कुछ कहाँ आता है--
वैसे भी आप की चंपाकली बहुत मदद करती है.जब भी doubt होता है उसी को फ़ोन करती हूँ.
तो एक तरह से मेरी जीत चंपाकली की और चंपाकली की जीत आप की!आप कहाँ हारे हैं??
वैसे भी भतीजी की जीत में ताऊ की भी जीत है..जय राम जी की.
Shashtri Sir ki baat se agree karti hun--तस्लीम में आप लोग इस तरह की चित्र पहेलियों के द्वारा जो वैज्ञानिक जागृति फैला रहे हैं उसके लिये आप सब मेरा bhi अनुमोदन स्वीकार करें.-
जवाब देंहटाएंअल्पना जी को बहुत बहुत बधाई "
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी के विचार भी अत्यन्त विचारणीय लगते हैं!!!!
कोशिश करे !!!!
अल्पना को बधाई और मैं क्यों तस्लीम पर देर से आई। इस लेमर पर बनारस से आई ख़बर बनाई थी मैंने। ये शायद दक्षिण भारत में पाया जाता है। रेलवे स्टेशन पर डिब्बे मिलने से इसकी तस्करी की आशंका भी गहरा रही है। अच्छी बात है अब ये लाजवंती सुरक्षित है।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसबसे पहले अल्पना जी को एक बार फिर से विजेता बनने पर हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी ने सुझाव अच्छे दिये हैं, पर "तस्लीम" का काम सिर्फ पहेलियाँ पूछना नहीं है। हालाँकि "तस्लीम" पर सबसे ज्यादा पहेलियाँ ही पसंद की जाती हैं, पर बहुत सी अन्य बातें भी हैं, जो लोगों तक लायी जानी चाहिए, इसलिए वे भी जरूरी हैं। पहेली भी उनका एक हिस्सा है, प्रकार है। वैसे भी हमारे बडे बूढे कह गये हैं कि अति का भला न बरसना..। इसलिए शास्त्री जी के सुझावों के लिए हार्दिक आभार। उन्होंने यह सुझाव अपनत्व के नाते दिये हैं। इसके लिए हम उनके शुक्रगुजार हैं।
हाँ, ताऊ का ये इनाम वाला मामला समझ में नहीं आया। अरे भई, भाटिया जी ने आपको दावत खिलाई, ये अच्छी बात है, पर पूरा मामला हमें पता नहीं चल पा रहा। रही "तस्लीम" पर इनाम देने की बात, तो फिलहाल "तस्लीम" आर्थिक रूप से सबल नहीं है। इस हेतु प्रयास किये जा रहे हैं। अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर इनाम भी दिये जाएंगे। फिलहाल हमारा काम है वैज्ञानिक जागरूकता फैलाना, और हम ये काम कर रहे हैं। आप लोग हमारा उत्साह बढा रहे हैं, हम इसके लिए आपके आभारी हैं। आशा ही नहीं विश्वास है कि आगे भी यह सिलसिला चलता रहेगा।
अरविंद जी, चिटठा चर्चा में शामिल होने के लिए मैं परेशान नहीं होता। क्योंकि सकारात्मक काम की चर्चा नहीं की जाती है, उसके लिए ऐसे आइटम की जरूरत होती है, जिमसें नमक मिर्च लगाया जा सके। ये एक सनातन परम्परा है, फिर चिटठा चर्चा इसका अपवाद कैसे हो सकता है?
Alpana ji ko hardik Badhayi.
जवाब देंहटाएंChittha Charcha ke sambandh men Zakir ji se sahmat.