उद्घाटन सत्र: श्रीमती किंकिणी दासगुप्ता मिश्रा, श्री सी0के0 घोष, श्री पुष्पेष पंत, श्री सुबोध महंती, डॉ0 ओ0पी0 शर्मा सूचना और...
उद्घाटन सत्र: श्रीमती किंकिणी दासगुप्ता मिश्रा, श्री सी0के0 घोष, श्री पुष्पेष पंत, श्री सुबोध महंती, डॉ0 ओ0पी0 शर्मा |
सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के ज़रिए आम पाठक और दर्शक तक विज्ञान की जानकारियाँ पहुँचाने व प्रौद्योगिकी की अद्यतन जानकारियों के संचार में प्रयुक्त डिजिटल माध्यमों पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला ‘डिजिटल माध्यमों के द्वारा हिंदी में विज्ञान संचार’ का दिनांक 28-29 मार्च 2012 को सम्पन्न हुई।
यह आयोजन विज्ञान प्रसार, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार एवं एन.सी.आई.डी.ई., इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विष्वविद्यालय (इग्नू) द्वारा संयुक्त रूप से इग्नू, नई दिल्ली में किया गया।
इस दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रो0 पुष्पेष पंत, पूर्व डीन, स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़, जे.एन.यू. ने हिंदी में विज्ञान संचार या विज्ञान लेखन के सहज प्रवाह की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए शुद्ध हिंदी व क्लिष्ट हिंदी के अंतर को स्पष्ट किया। प्रो0 पंत ने कहा कि आज गांव के किसान तक उसकी भाषा में, डिजिटल माध्यमों के प्रयोग से विज्ञान और प्रौद्योगिकी का जानकारी पहुँचाना आवश्यक है। यह जानकारी क्लिष्ट हिंदी में न होकर रोचक हिंदी व अन्य भारतीय भाषाओं में हो सकती है।
प्रो0 पंत ने देश के वैज्ञानिकों से हिंदी में लोकप्रिय विज्ञान लेखन का अनुरोध करते हुए कहा कि आज ऐसे साफ्टवेयर के प्रचार-प्रसार की ज़रूरत है जिनसे हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं में विज्ञान संचार का आवागमन ‘फांट’ आदि की दिक्कत के बगैर हो सके। प्रो0 पंत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि आज विज्ञान शब्दावली के मानकीकरण की ज़रूरत है और जो शब्द सृजित किए गए हैं, उन्हें अनिवार्य रूप से अपनाने की जरूरत है। प्रो0 पंत ने विज्ञान लेखकों को ‘दमित वासना’ से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि विज्ञान लेखक स्वयं अपने मानक न बनाएं और नए विचारों को आदान-प्रदान जारी रखें।
कार्यशाला के उद्घाटन भाषण में डॉ. सुबोध महंती, निदेषक, विज्ञान प्रसार ने डिजिटल माध्यमों द्वारा विज्ञान संचार की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि आज हिंदी की वैज्ञानिक शब्दावली के मानकीकरण की प्रबल आवश्यकता है और हिन्दी वैज्ञानिक शब्दावली के प्रचार-प्रसार और उसे अपनाने की ज़रूरत है। इस दिषा में डिजिटल माध्यम कारगर साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि आज अंग्रेजी के बहुत से ऐसे शब्द हैं जैसे ब्लैक होल, जिसके अलग-अलग अर्थ प्रयोग किए जाते हैं जैसे कृष्ण विवर, कृष्ण कक्ष आदि। इस प्रकार के शब्दों के प्रयोग में सावधानी की आवश्यकता है और इसका मानकीकरण आवष्यक है। डॉ. महंती ने हिंदी से जुड़ी विज्ञान की वेब साइट्स, जिसमें विज्ञान प्रसार की वेब साइट का हिंदी अंक भी शामिल है, के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया।
इससे पूर्व स्वागत भाषण देते हुए डॉ. सी. के. घोष, निदेषक, एन. सी. आई. डी. ई., इग्नू ने हाल ही में इग्नू और विज्ञान प्रसार द्वारा संयुक्त रूप से आरम्भ की गई परियोजना ‘‘मोबाइल पर विज्ञान’’ की चर्चा करते हुए इसे डिजिटल माध्यम से विज्ञान संचार की दिषा में एक महत्त्वपूर्ण कदम बताया। इस मोबाइल सेवा में मोबाइल धारकों को विज्ञान की एक नवीन जानकारी एस. एम. एस. के ज़रिए भेजी जाती है, इसका विवरण विज्ञान प्रसार एवं इग्नू की वेबसाइट पर उपलब्ध है।
दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में देश भर से हिंदी में डिजिटल माध्यम के द्वारा विज्ञान संचार में सक्रिय लेखक, विशेषज्ञ और ब्लोगर आमंत्रित किये गए थे। डिजिटल माध्यम द्वारा हिंदी में विज्ञान संचार-बदलते परिदृश्य पर कंेद्रित पहले तकनीकी सत्र में दिनेश भट्ट, विज्ञान शिक्षक, छिंदवाड़ा, पांचाल हार्दिक, ब्लोगर, अहमदाबाद, आर. अनुराधा, सम्पादक प्रकाशन विभाग, रिंटू नाथ वैज्ञानिक विज्ञान प्रसार, डॉ. कृष्ण कुमार मिश्र, होमी भाभा विज्ञान शिक्षण केंद, मुंबई ने अपने शोध आलेख पढ़े। आई.सी.टी. समर्थित हिंदी विज्ञान संचार-चुनौतियाँ और संभवानाएँ विषय पर केंद्रित दूसरे तकनीकी सत्र में अजय शिवपुरी, वैज्ञानिक निस्केयर, नवनीत गुप्ता, डॉ. इरफाना, विज्ञान प्रसार और डॉ. अरूण देव ने अपने शोध आलेख पढ़े।
डिजिटल माध्यम द्वारा हिंदी विज्ञान संचार की तकनीक, हिंदी में विज्ञान संचार की नवाचारी विधियाँ और विज्ञान संचार के लिये डिजिटल अनुवाद और वैज्ञानिक शब्दावली के प्रयोग पर केंद्रित तीसरे, चौथे और पांचवे तकनीकी सत्रों में अपनी प्रस्तुति देने वाले वक्ता थे कपिल त्रिपाठी, वैज्ञानिक विज्ञान प्रसार, भारत गुप्ता इंजीनियर सी.डेक, डॉ. केवल कृष्ण निदेशक, राजभाषा विभाग, डॉ0 ज़ाकिर अली रजनीश, साईंस ब्लॉगर, लखनऊ, डॉ. ओ.पी.शर्मा, इग्नू, अभय राजपूत, पुणे, शंशाक द्विवेदी, अल्वर, डॉ. सुरजीत सिंह, वैज्ञानिक निस्केयर, डॉ. अनुराग शर्मा, विज्ञान संचारक, विश्वमोहन तिवारी, विज्ञान कथाकार, डॉ. डी.के.पाण्डे, संयुक्त सचिव, राजभाषा विभाग, अशोक सेलवटकर, वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग, पंकज चतुर्वेदी, नेशनल बुक ट्रस्ट, शम्भूनाथ, जी न्यूज, प्रेमपाल शर्मा निदेशक, रेलवेबोर्ड, डॉ. परितोष मणि, डॉ. ओम विकास, आई.टी. विशेषज्ञ।
इस राष्ट्रीय कार्यशाला में हिंदी में डिजिटल माध्यम के जरिए विज्ञान संचार की चुनौतियों और संभावनाओं पर विस्तृत विचार विमर्श किया गया तथा भावी रणनीति तय करने के लिये अन्त में अनेक संस्तुतियाँ की गई।
कार्यशाला के दूसरे दिन समापन सत्र में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. सुबोध महंती, निदेशक, विज्ञान प्रसार ने बल देते हुए कहा, कि हिंदी भाषा में विज्ञान का प्रचार प्रसार आज भी चुनौतियों से भरा हुआ है। डिजिटल माध्यम के द्वारा हमें इसके नये रास्ते तलाशने होंगे। आई.टी. विशेषज्ञ डॉ. ओम विकास ने कहा कि हिंदी में विज्ञान अनुसंधान के प्रकाशनों की कमी हैं। संस्थागत प्रयास द्वारा शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की प्रसारक संस्थाओं के लक्ष्य तय किये जाने चाहिए।
इंजीनियर अनुज सिन्हा, पूर्व निदेशक, विज्ञान प्रसार ने इस अवसर पर कहा, कि विज्ञान प्रसार और इग्नू द्वारा यह एक सराहनीय पहल हैं और हमें उम्मीद करना चाहिए कि इसके परिणाम हमें परस्पर मिलजुल कर काम करने से शीध्र मिलेंगे। डॉ. सी.के.घोष, निदेशक, एन.सी.आई.डी.ई. ने कहा, कि सहयोगी प्रयास से बड़े से बड़े लक्ष्य पूरे किये जा सकते है। डॉ. ओ.पी.शर्मा, उपनिदेशक, एन.सी.आई.डी.ई. ने बताया कि डिजिटल माध्यम से हिंदी विज्ञान संचार को जनसामान्य तक पहुँचाने के लिए हमें सबसे पहले इसके मार्ग की बाधाओं को दूर करना होगा। डॉ. शर्मा ने अंत में सभी विशेषज्ञों, प्रतिभागियों और विज्ञान प्रसार तथा इग्नू के अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। (रिपोर्ट: श्री मनीष मोहन गोरे)
अगर आपको 'तस्लीम' का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ। |
---|
अच्छा प्रयास है।
जवाब देंहटाएंAabhaar
जवाब देंहटाएंपारिभाषिक शब्दों के कई पर्यायवाची प्रचलित हैं क्यों न उनका एक कोष बनाया जाए .अंग्रेजी का मूल शब्द ज्यों का त्यों भी प्रयोग में लिया जाए .हिंदी उसे भी अपना बनाए.मसलन 'ब्लेक होल 'के पर्यायवाची
जवाब देंहटाएं(१)कृष्ण विवर .(२)अंध कूप (३)अन्तरिक्ष के अंध कूप (४)अन्तरिक्ष की काल कोठरियां .
जीन /जीवन खंड /जीवन इकाई /खानदानी अंश
अपनी जुबान में लिखिए 'साइंसदान ',विज्ञानी ,वैज्ञानिक .भाषा बोलती हुई मुहावरे दार हो .
ये आपका प्रयास नहीं, एन. सी. आई. डी. ई., इग्नू और विज्ञान प्रसार का प्रयास हैं |
जवाब देंहटाएंआदरणीया पूनम जी, मैंने यह कब कहा कि यह मेरा प्रयास है। रिपोर्ट में स्पष्ट रूप में लिखा हुआ है कि यह कार्यक्रम किसने और कहां कराया। अगर हमारा इसमें कोई प्रयास है, तो वह सिर्फ इतना कि इस रिपोर्ट को आप तक पहुंचाना। यदि आप चाहें, तो इसका क्रेडिट हमें दे सकती हैं।
जवाब देंहटाएं