हमारे देश में अंधविश्वास का हाल यह है कि कभी हम इसके नाम पर किसी नवजात की बलि चढ़ा देते हैं, कभी किसी हाड़-मांस की स्त्री को डायन करार...
हमारे देश में अंधविश्वास का हाल यह है कि कभी हम इसके नाम पर किसी नवजात की बलि चढ़ा देते हैं, कभी किसी हाड़-मांस की स्त्री को डायन करार देते हैं तो कभी जमीन जायदाद पर कब्जे की नियत से किसी देवी या बाबा को प्रकट करवा देते हैं। ऐसा ही एक ताजा मामला इलाहाबाद में देखने में आया, जहां मामला इतना बिगड़ा कि पुलिस को कर्फ्यू तक लगाना पड़ा। प्रस्तुत हैं उस सम्पूर्ण घटना पर युवा एवं तेज-तर्रार लेखक मनोज कुमार पाण्डेय के विचार-
पिछले दिनों इलाहाबाद जिले के मऊआइमा कस्बे में मऊदोस्तपुर गाँव में अचानक से हवा उड़ कि वहाँ देवी प्रकट हो गयी हैं। कथाकथित देवी ने अपने प्रकट होने के लिए एक बड़े से बाग के बीच स्थित सेवल के पेड़ को चुना था। देवी सेमल के पेड़ पर एक कुब्बे के रूप में प्रकट हुई थीं। कुछ तो अपराधी तत्वों की सातिश, कुछ धर्म और अजग गजब के पीछे पागल लोगों के मुँहामुँही प्रचार तंत्र की वजह से अगले दो-तीन दिनों में बाग में मेले का सा माहौल बन गया। दूर-दूर से लोग तथाकथित देवी के सामने अपनी मनोकामनाएँ लेकर आने लगे। जाहिर है कि उन श्रद्धालुओं के लिए धर्म और अंधविश्वास के बीच अंतर करने वाली कोई पतली रेखा भी नहीं थी।
हिंदू धर्म में प्रचलित बहुदेववाद और अतवारवाद ने एक ऐसी जमीन तैयार कर दी है, जिस पर जब भी जिस देवी-देवताकी मर्जी होती है, प्रकट हो जाता है। खैर इस मामले में हुआ यह कि दस-बारह दिनों तक लगातार इस बाग पर अपराधी तत्वों का कब्जा रहा। स्थानीय प्रशासन लगातार मूक दर्शक बना रहा और अपराधियों को शह प्रदान करता रहा। तब हारकर बाग के मालिक ने जिलाधिकारी की शरण ली। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद बाग खाली कराया गया। पर स्थिति यह थी कि देवी को प्रकट करनेवाले पेड़ को को और उसके आपास की जगह को, जो पूजास्थल जैसा बना दिया गया था, जस का तस छोड़ दिया गया।
इस बाग का मालिकाना हक जिस व्यक्ति के पास था, वह अन्य धर्म का व्यक्ति था। सो जल्दी ही पूरे इलाके में साम्प्रदायिक तनाव पनपने लगा। तब इलाहाबाद के युवा जिलाधिकारी ने खुद की उपस्थिति में कुल्हाड़ी से पेड़ पर प्रकट हुई तथाकथित देवी को नेस्तानाबूद करवा दिया। अंतत: लम्बे समय तक कर्फ्यू के बाद ही स्िथत शांत हो सकी।
ठीक ऐसा ही वाकया आज से 15-16 साल पहले इलाहाबाद के ही होलागढ़ ब्लॉग के मैदी नामक गाँव में घटित हुआ था। मैदी में आज तक सोमवार के दिन साप्ताहिक मेला लगता है। वहाँ भी देवी सेम के पेड़ में ही प्रकट हुई थीं। अभी पिछले 6 महलने के अंदर ही इसी इलाके में इस्माइलपुर कुरिया, धामापुर तथा अन्य कई स्थानों पर देवी के प्रकट होने के दावे किये गये।
उन सभी जगहों पर जहाँ तथाकथित देवियाँ पेड़ों पर ऊबड़-खाबड़ कुब्बों के रूप में प्रकट होती रही हैं, जमीन पर कब्जे का मामला ही प्रमुखता से आता रहा है। इसी तरह से जमीन में मूर्तियाँ आदि छुपाकर भी जमीन पर कब्जे की साजिश की जाती रही है। इसमें शातिर अपराधी पहले किसी के खेत या बाग या घर में जमीन के नीचे कहीं पर मूर्तियाँ छिपा देते हैं, इसके बाद वह सपना आने का ढ़ोंग करते या करवाते हैं। इसके तहत किसी को देवी या देवता का सपना आता है कि वह फलाँ जगह पर वर्षों से दबा पड़ा है और कष्ट में है। सपने में ही देवी या देवता यह इच्छा प्रकट करता है कि जिस जगह पर उसकी मूर्ति दबी पड़ी है, उसी जगह उसका मंदिर स्थापित करके प्राण प्रतिष्ठा की जाए।
धर्म के नाम पर की जाने वाली इस ठगी का शिकार आमतौर पर गरीब और असहाय लोग ही होते रहे हैं। इस तरह की घटनाओं के पीछे ठीक उसी तरह से जमीन या सम्पत्ति पर कब्जे का मामला काम कर रहा होता है, जेसे बिहार या झारखण्ड में महिलाओं को डायन करार दिये जाने के पीछे उनकी सम्पत्ति पर कज्बा करने का लालच भी प्रमुखता से काम करता है। जाहिर है कि इसक पीछे मुख्य अपराधी एक-दो ही होते हैं, बाकी तो तर्कहीन अंधविश्वासी लोगों की एक भीड़ होती है, जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम देती है। इस तरह के मामलों में कोई कानूनी कार्यवाही कम ही सम्भव हो पाती है।
मनोज कुमार पाण्डेय
(जनसंदेश टाइम्स से साभार)
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अशिक्षा अंधविश्वास का पोषक बना हुआ है. इसके लिए "वाद" का कोई लेना देना नहीं है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत दिल को छूनेवाली सुंदर मनकों जैसी
जवाब देंहटाएंबहुत ही खुबसूरत दिल को छूनेवाली सुंदर मनकों जैसी
जवाब देंहटाएंwhen i open your blog post when antivirus alert that this post have js/clicker virus.
जवाब देंहटाएंBAHUT ACHHAA LEKH LIKHA HAI HAR SAMAJ ME DHRAM KO LEKAR IS TARH KIYA JATA - ISME SUB PROPERTY YA KISI VISHESH SAMORADAY KO AGE BADHANA HOTA HAI-
जवाब देंहटाएंNice .
जवाब देंहटाएंमहापुरुष चाहते यह थे कि लोग उनके दिखाए मार्ग पर चलें.
सही कहा अनवर जमाल साहब ने .....
जवाब देंहटाएं-----यह कोई धर्म या अवतार वाद का मामला नहीं, किसी भी धर्म में अवतारों के पेड पर या यूंही कहीं भी प्रकट होने का प्रावधान नहीं है....
----- यह सब अधर्मी मनुश्य का लालच, आपसी रन्जिश, अपराधियों की कारिस्तानी, जमीन हडपने की साज़िश या किसीव्यक्ति व सन्स्था को बदनाम करने के उद्देश्य से किया जाता है .....
------ यदि कानून को तोडमरोडकर अपराधी ..अपराध में लिप्त होते हैं तथा अपराधी को रिश्वत लेकर छोडदिया जाता है तो कानून का दोष नही होता......
sach..dard..
जवाब देंहटाएंbilkul theek kha aapne
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