खूबसूरत चुड़ैल (Khoobsurat Chudail) की सच्ची कहानी।
''वह रात का समय था, मैं अपने खेत से घर लौट रहा था। रास्ते में मुझे एक खूबसूरत लड़की मिली। उसने बताया कि वह रास्ता भूल गयी है। मैंने सोचा चलो इसकी मदद करता हूँ। मैं उसके साथ चल पड़ा। अभी मैं थोड़ी ही दूर चला था कि वह पता नहीं कहां गायब हो गई। इससे मैं घबरा गया और अपने घर की ओर भागा। घर पहुंचते पहुंचते मेरा बुरा हाल हो गया। मैं चारपाई पर गिर पड़ा और बेहोश हो गया। उसके बाद दूसरे दिन सुबह ही मेरी बेहोशी टूटी।''
योगी ने जब यह सुना, तो मुस्करा पड़ा, ''तुम उस खूबसूरत चुड़ैल ने पकड़ा है। लेकिन तुम चिन्ता न करो, मैं उस चुड़ैल को जला कर भस्म कर दूँगा।''
कहते हुए योगी अपनी आँख बंद करके मंत्र आदि बुदबुदाने लगा। तभी उसके शिष्य ने जलते हुए मुश्क कपूर योगी की जबान पर रख दिये। कपूर मुंह में रखने के साथ ही योगी के मुंह से आग की लपटें निकलने लगीं। यह देखकर वहॉं मौजूद लोग हतप्रभ रह गये और योगी की जय-जयकार करने लगे।
उसके बाद योगी के शिष्य ने सामने रखी कड़ाही के नीचे आग जला दी। योगी ने कड़ाही में पांच प्रकार के तेल डाले। देखते ही देखते तेल खौलने लगा। उसके बाद योगी ने मंत्र पढ़कर तीन नींबुओं पर फूँका और उन्हें काट कर कड़ाही में डाल दिया।
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उसके बाद योगी बोला, ''जिन-जिन लोगों को चुड़ैल से पीछा छुड़ाना हो, वह सामने आ जाए।'' यह सुनकर कई लोग वहॉं पर आ खड़े हुए। योगी ने जलते हुए तेल पर एक बार फूंक मारी। उसके बाद उसने अपना हाथ रखा और वह तेल सामने वाले व्यक्ति के चेहरे पर लगा दिया। उसके बाद उसने बाएं हाथ की हथेली से दाएं हाथ को रगड़ा और दूसरे व्यक्ति को चुड़ैल से मुक्ति प्रदान करने का उपक्रम करने लगा।
इस उपक्रम के बाद योगी ने चुड़ैल को भगाने के लिए सफाचट किया हुआ नारियल लिया और उसके ऊपर सात कौडि़यॉं रख दीं और ऑंख बंद करके मंत्र बुदबुदाने लगा। कुछ क्षण बाद उसने पास में रखा हुआ गंगा जल उठाया और उन्हें कौडि़यों पर छिड़क दिया। उसके बाद वह पुन: मंत्र बुदबुदाने लगा।
कुछ ही क्षणों में बेजान कौडि़यों में हरकत हुई और वे हिलने लगीं। यह देखकर योगी बोला, ''देखो, ये चुड़ैलें यहॉं से भाग रही हैं।''
देखते ही देखते सातों कौडि़यॉं नारियल से नीचे गिर पड़ीं। यह देखकर वहॉं उपस्थित भीड़ योगी की जय-जयकार करने लगी। उसके बाद वहॉं मौजूद लोगों ने अपनी इच्छानुसार योगी को भेंट दी। देखते ही देखते योगी की थैली भर गयी। योगी ने सभी भक्तजनों को आशीर्वाद दिया और अपनी थैली समेट कर वहॉं से चला गया।
अगले दिन जब एक स्थानीय नागरिक ने यह सारी घटना अब्राहम टी कोवूर को सुनाई, तो वे मुस्करा पड़े। वह व्यक्ति अपनी रौ में बोल रहा था, ''अब तो आप उस धर्मात्मा की आत्मिक शक्तियों को मानते हो? आखिर उसने अपनी दिव्य शक्तियों से न सिर्फ कौडि़यों को चला कर दिखाया बल्कि खौलते हुए तेल में हाथ भी डाला। और तो और उसने जलती हुइ कौडि़यों को भी अपने मुँह में रख लिया। अब तो आपको यकीन हो गया कि दिव्य शक्तियों का अस्तित्व संसार में है?''
उस व्यक्ति की बात सुनकर कोवूर मुस्कराए और हौले से बोले, ''ठीक है, तो आइए मैं बिना कोई सिद्धि प्राप्त किए आपको उन्हीं चमत्कारिक शक्तियों को करके दिखाता हूँ।''
कोवूर ने अपने शिष्यों को इशारा किया। उनके पास सारे इंतजाम पहले से ही थे। उन्होंने योगी के बारे में जैसा-जैसा बताया था, वैसा-वैसा करके दिखा गया। यह देखकर वह व्यक्ति हतप्रभ रह गया। वह बोला, ''लेकिन, ये सब हुआ कैसे? क्या सचमुच उस योगी के पास कोई दिव्य.कोवूर बोले, ''सबसे पहले कौडि़यों के चलने का रहस्य बताता हूँ। कौडि़यों पर मैंने गंगाजल नहीं नींबू का रस छिड़का था। कौडि़यॉं कैल्शियम कार्बोनेट की बनी होती हैं। नींबू के रस में सिटरिक तेजाब होता है। दोनों में रासायनिक क्रिया होने से कार्बन डाईआक्साइड के बुलबुले बनने लगे, जिसके कारण वे फिसल कर नारियल के नीचे गिर गयीं।''
अब आते हैं खौलते तेल के बारे में। आपको पता है तेल 100 सेंटीग्रट पर खौलने लगता है। नींबू के टुकड़ों में चूंकि पानी काफी मात्रा में होता है, इसलिए खौलते तेल में डालने पर उसका पानी निकल कर तेल की सतह पर आ जाता है और भाप में परिवर्तित हाने लगता है। इससे सतह का तापमान हलका सा कम हो जाता है। ऐसे में यदि आप इस क्रिया को पहले कई बार दोहरा चुके हों, तो खौलते तेल को छूने का उपक्रम कई बार कर सकते हैं। इसके लिए किसी मंत्र की आवश्यकता नहीं होती है।''
''और जहॉं तक बात जलते हुए कपूर को मुंह में डालने की है, तो मैंने और योगी ने कपूर को मुँह में डालने से पहले मुँह को थूंक से अच्छी तरह से गीला कर लिया था और जबान के ऊपर भी ढ़ेर सारा थूक इकट्ठा करके एक लम्बी सांस ले ली थी। उसके बाद जैसे ही कपूर को जबान पर रखा, अंदर ली हुई सांस को हमने जोर से छोड़ा, जिससे कपूर की लपटें बाहर की ओर निकलने लगीं। फिर जैसे ही हमारी अंदर की सांस समाप्त हो गई, हमने और आपके योगी ने उसे बाहर थूक दिया।''
यह सुनकर उस व्यक्ति का चेहरा तमतमा गया, ''लेकिन वह चुड़ैल वाला मसला?''
''कितने भुलक्कड़ हो आप। अभी पिछले हफ्ते आपको बताया था इन भ्रमात्मक अनुभवों के बारे में, उसके बावजूद इस तरह की बच्चों वाली बातें?
''ओह, तो वह हमें उल्लू बना कर पैसे ले गया?''
''कितने भुलक्कड़ हो आप। अभी पिछले हफ्ते आपको बताया था इन भ्रमात्मक अनुभवों के बारे में, उसके बावजूद इस तरह की बच्चों वाली बातें?
''ओह, तो वह हमें उल्लू बना कर पैसे ले गया?''
''अब यह तो आप ही जानो। मेरी नजर में तो आप मेरे मित्र हो, मैं आपको उल्लू कैसे कह सकता हूँ?'' कोवूर ने जब यह कहा, तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट तैर गयी। पर उनका मित्र वहॉं पर ज्यादा देर रूक न सका। वह अपने पैर पटकते हुए वहॉं से चला गया। शायद उसे अपने पैसे जाने का दु:ख था और वह उस योगी को खोज कर उसे सबक सिखाने वाला था।
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अब्राहम थॉमस कोवूर श्रीलंका के प्रख्यात विज्ञानवेत्ता और विश्व के प्रमुख रेशनलिस्ट के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने अंधविश्वास को मिटाने के लिए अथक प्रयास किये। उनका कहना था कि जो व्यक्ति चमत्कारी शक्तियों का दावा करते हैं, केवल पाखंडी या दिमागी तौर पर पागल व्यक्ति हैं। उनके जीवन की कुछ प्रमुख घटनाओं को आप यहॉं क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
ZAKIR SIR, APNE SAHI CLASS LI HAI BABAON KI.
जवाब देंहटाएंWAISE CHUDAIL WAGAIRA KO TO MAIN BHI NAHI MANTA, LEKIN AGAR ITNI KHOBSURAT TO, MAIN BHI MILNA CHAHUNGA. :)
जवाब देंहटाएंउपयोगी जानकारी !
जवाब देंहटाएंबहोत ही अच्छी पोस्ट............
जवाब देंहटाएंऐसे ढोंगियों की इस देश में कमी नहीं नहीं अहि क्योंकि यहाँ हमेशा लोग चमत्कार का इंतज़ार करते रहते हैं......बहुत अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंशायद उसे अपने पैसे जाने का दु:ख था और वह उस योगी को खोज कर उसे सबक सिखाने वाला था।
जवाब देंहटाएं....ab pachtaaye hot kya, jab chhidya chug gayee khet... dongion ka sansar bharapata hai..
achhi jaagruktabhari post...
इसे पढ़कर शायद कुछ लोगों की आँखें खुल जाएँ। सराहनीय प्रयास।
जवाब देंहटाएंवो सबतो ठीक है पर वो चुड़ैल कहाँ से आई और कहाँ गई ...
जवाब देंहटाएंअगर चुड़ैल खूबसूरत है तो फिर ये सब बातों पे ध्यान कौन दे यार ...
पर जहां से बात प्रारम्भ हुई वो चुडैल कौन थी , क्यों दिखाई दी, कहासे आई, कहां गई---यह तो खुलासा किया नहीं गया....क्यों?
जवाब देंहटाएंSarahneey evam sarthak chintan.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअगर फोटो जैसी ही है फिर तो बार बार देखने की ख्वाहिश है.
जवाब देंहटाएंजीशान भाई, उस समय भुक्तभोगी के पास कैमरा नहीं था, इसलिए गूगल से ऐसी फोटो लगाई है, जो सबको (आपको भी) पसंद आ सके।
जवाब देंहटाएंअच्छा लेख़ है, क्या तस्वीर उसी चुड़ैल की है? पैसा तो जाना ही था...आप का अंदाज़ इ बयान पसंद आया.
जवाब देंहटाएंकभी एक मुलाकात मेरी भी करवा दो, इस खूबसूरत चुडैल से :)
जवाब देंहटाएंसोहिल जी, आप भी।
जवाब देंहटाएंवैसे एक मासूम सा सवाल है, क्या यह बताने का कष्ट करेंगे कि सभी लोग उस चुड़ैल से मिलने के लिए इतने उतावले क्यों हैं? :)
Jakir ji aapka ye pryaas sarahniya hai... aap apne lepko ke maadhym se samaaj me chhaye andhvishwaaso ko vigyaan kee jaankari ke dwara hata rahe hai.. aapke in gyaan vardhak lekho ke liye aapka naman..
जवाब देंहटाएंडॉ. ए.टी.कोवूर श्रीलंका के एक विज्ञानवेत्ता थे। उन्होंने दुनिया भर के बाबाओं को चैलेंज किया था कि उनके सामने चमत्कार दिखाने वाले को एक करोड़ की राशि दी जाएगी। किसी ने भी उनके चैलेंज को स्वीकार करने की हिम्मत नहीं दिखाई। इससे साबित होता है कि भूत-प्रेत, चुड़ैल-जिन्न, चमत्कार आदि का कोई अस्तित्व ही नहीं है।...जो ऐसा चमत्कार करते हैं वे विज्ञान का सहारा लेते हैं या हाथ की सफाई का।
जवाब देंहटाएंइस विषय पर लिखने के लिए बधाई, जाकिर जी।
बहुत अच्छे।
जवाब देंहटाएंबड़ी जिम्मेदार पोस्ट है ! नसीहत आमेज़ ! समाज सुधारात्मक ! काबिले तारीफ़ ! पर...एक रिस्क है !
जवाब देंहटाएंवो फोटो देखकर 'चुड़ैल' पर यकीन करने को दिल चाहता है :)
ओए गुप्ता जी भी आये आज तो ....
जवाब देंहटाएं6.5/10
जवाब देंहटाएंपोस्ट जागरूकता पैदा करती है.
'डॉ. ए.टी.कोवूर श्रीलंका के एक विज्ञानवेत्ता थे।'
यह बात महेंद्र जी की प्रतिक्रिया से पता चली. आपको यह बात पोस्ट में बतानी चाहिए थी.
उस्ताद जी, हालॉंकि इस ब्लॉग पर अब्राहम टी कोवूर के बारे में पहले अनेक पोस्टें प्रकाशित हो चुकी हैं, तथापित उनके सम्बंध में कुछ अन्य जानकारी पोस्ट में जोडी जा रही है।
जवाब देंहटाएंसुझाव के लिए आभार।
जब तक मिलें नहीं कैसे पक्का हो कि चुडैल होती है...जब तक मिलकर भी न मिले , कैसे पक्का हो कि चुडैल नहीं होती है....इसीलिये सब बेताव हैं जी.....
जवाब देंहटाएंगूगल पर फोटो का मतलब ही है कि चुडैल होती है जी ---यह किसी चुडैल का ही तो फोटो होगा....
जवाब देंहटाएं...bahut sundar ... baabaagiri bhee ek hunar hai ... jo dekhne vaalon ko baabaa banaa detee hai !!!
जवाब देंहटाएंवाह!!!! तो अब चुडैल नेट पर भी अपनी पहचान बनाने लगीं...तब तो चुडैल होती ही होगी....
जवाब देंहटाएंaaj tak kitne hi sadhu aur baba yahi sab karke bewkuf banate rahe.
जवाब देंहटाएंbahut hi important post hai aapki.
Gupta ji ko mili hai kya?
जवाब देंहटाएंIf you are open to having a guest blog poster please reply and let me know. I will provide you with unique content for your blog, thanks.
जवाब देंहटाएंइस प्रकार के चमत्कार दिखाकर लोग तो ऐसे लोगों को ठग रहे हैं जो हमारा देश चला रहे हैं। उन्हें कोई वैज्ञानिक नहीं सुधार सकता। परंतु आप प्रयास रत रहें। आम जनता को तो आपका संदेश मिल ही रहा है।
जवाब देंहटाएं----डा यादव जी, क्या आम जनता के किये कभी कुछ हुआ है.. वह तो सुनकर भी चुप रहती है...बदलाव सदा ऊपर से होता है.. यदि वैग्यानिकादि( मतलब ग्यानी, विद्वान, उच्च स्थिति पर के लोग,पढा लिखा तबका)...ही नहीं सुधार करेगा अपितु अपने सुविधा- भोग में मस्त रहेगा तो आम जनता को संदेश का क्या अर्थ?
जवाब देंहटाएं---- बेनामी जी, यदि आपका मतलब डा श्याम गुप्त से है तो आप किसी भी पोस्ट पर कमेन्ट के रूप में अपनी बात बता सकते हैं...open to guest blog poster... का अर्थ मुझे नहीं पता...हां अपनी बात हिन्दी में रखें तो अच्छा लगेगा...
I like reading your blog because you can always get us new and cool things, I think that I must at least say a thank you for your hard work.
जवाब देंहटाएं- Henry
--Thanks aur धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुती डॉ जाकिर भाई भारत को ऐसी पर्दा फास कथाएँ हर रोज़ चाहिए यहाँ बाबाओं का जाल फ़ैल चुका है जो सबको मुक्ति शक्ति और नीरोगी काया बाँट रहे हैं .शिव शक्ति होने का विभ्रम पैदा कर रहें हैं वैज्ञानिक शब्दावली का लबादा ओढ़ कर .बधाई आपको इस प्रस्तुति के लिए .साइंस ब्लोगर्स ब्लॉग टिपण्णी करने और पोस्ट पढने के लिए खुल नहीं पा रहा है कॉफ़ी देर से कृपया कुछ करें .
जवाब देंहटाएंkya chudel etni khubsurat hoti he
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