वैज्ञानिकों का मानना है कि एक दिन सूर्य में मौजूद हाइड्रोजन गैस का विशाल भंण्डार खत्म हो जाएगा। इससे सूर्य फूलकर अपने मौजूदा आकार से 1...
वैज्ञानिकों का मानना है कि एक दिन सूर्य में मौजूद हाइड्रोजन गैस का विशाल भंण्डार खत्म हो जाएगा। इससे सूर्य फूलकर अपने मौजूदा आकार से 100 गुना बड़ा हो जाएगा। तब इसके विस्तार की परिधि में जो भी आएगा, वह उसमें समाकर वाष्पशील बन जाएगा। इनमें पृथ्वी भी एक होगी। यह स्थिति करीब पांच अरब साल बाद आएगी।
किन्तु इटली के खगोलविदों ने इस आशंका को नकार दिया है। विज्ञान पत्रिका “नेचर” में प्रकाशित एक शोध में इटली की नेपल्स स्थित वेधशाला के डा0 राबर्टो सिल्वोटी ने कहा कि सूर्य में होने वाले इस महाविस्फोट से बुध और शुक्र जैसे ग्रहों का तो नामो निशान ही मिट जाएगा, लेकिन पृथ्वी खत्म नहीं होगी।
उनके इस तर्क का आधार हाल ही में एक ऐसे गैसीय ग्रह की खोज है, जो आकार में बृहस्पति से एक तिहाई है। यह ग्रह “वी 391 पेगासी” नामक एक तारे की परिक्रमा करता है और उससे 1.7 खगोलीय इकाई की दूरी पर स्थित है (पृथ्वी से सूर्य के बीच की दूरी एक खगोलीय इकाई है)। यह ग्रह हर 3.2 साल में पेगासी की एक बार परिक्रमा करता है। सिल्वोटी के अनुसार यह सर्वाधिक प्राचीन ज्ञात ग्रहों में से एक है। उनके मुताबिक पेगासी भी पहले सूर्य की भांति एक विशालकाय गैसीय गोला था, लेकिन उस पर हुए महाविस्फोट के बाद उसके दृव्यमान का आधा हिस्सा नष्ट हो गया। इसके बावजूद वह बचा रहा।
चिल्वोटी का कथन है कि सूर्य में महाविस्फोट के दौरान पृथ्वी की सूर्य से दूरी मौजूदा दूरी से करीब डेढ़ गुना अधिक होगी, यानी तब हमारी पृथ्वी सूर्य से 1.5 खगोलीय इकाई दूर स्थित होगी। इसी आधार पर सिल्वोटी का मानना है कि जब 1.7 खगोलीय इकाई दूरी पर स्थित ग्रह बच सकता है, तो 1.5 खगोलीय इकाई दूर स्थित पृथ्वी भी सूर्य का ग्रास बनने से बच जाएगी। हालाँकि यहां से जीवन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा (बशर्ते कि उससे पहले ही खत्म न हो चुका हो)।
लेकिन सिल्वोटी के इस तर्क से सभी वैज्ञानिक सहमत नहीं हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ लीस्टर, ब्रिटेन के एक खगोलविद मट र्ब्लेग कहते हैं कि दोनों के बीच तुलना नहीं की जा सकती। ग्रहों का दृव्यमान एक दूसरे से काफी भिन्न होता है। इसी प्रकार तारों का विस्तार भी भिन्न होगा। इसलिए केवल दूरी की समानता के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि हमारी पृथ्वी सूर्य के प्रकोप से सुरक्षित रहेगी। र्ब्लेग कहते हैं कि हमारी पृथ्वी एक ऐसी सीमा पर स्थित है, जहाँ वह सूर्य में सजा जाने से बच सकती है या फिर सूर्य का ग्रास भी बन सकती है।
वे कहते हैं कि आग का दैत्याकार गोला बनने के बाद सूरज गर्म श्वेत वामन तारे में बदल जाएगा। इससे पृथ्वी पर एक्स-रे और पराबैंगनी विकिरण की मानो झड़ी सी लग जाएगी। अगर पृथ्वी सूर्य के पेट में समा जाने से बच भी गयी तो यह विकिरण उसे जीवन विहीन बना देगा। तब वह बंजर चटटानों के एक विशालकाय गोले के अलावा कुछ नहीं रहेगी।
(साभार- साइंस टाइम्स: न्यूज़ ऐण्ड व्यूज़)
-----------------------------------------------------------------------------
"साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन" में पढें-
-----------------------------------------------------------------------------
जानकारी से भरी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंआभार!
भगवान करे .. इटली के खगोलविदों की भविष्यवाणी ही सही हो .. और अरबों वर्ष बाद भी पृथ्वी सूर्य में समाने से बच जाए .. पर उससे पहले पृथ्वी में निरंतर बढ रहे तापमान के लिए उपाय तो करने ही पडेंगे .. नहीं तो पृथ्वी का विनाश तो पहले ही हो जाएगा .. जो अधिक चिंता का विषय है ।
जवाब देंहटाएंइक उपयोगी लेख। आभार
जवाब देंहटाएंधरती को मनुष्य रहित बनाने के लिए इंसान खुद ही समर्थ है, इतनी प्रतीक्षा की जरुरत ही नहीं रहेगी. हाँ तब तक दुसरे ग्रहों पर अपनी कुछ बस्तियां भी बस चुकी होंगी.
जवाब देंहटाएंSuraj ke sandarbh men ek nai aur badhiyaa jaankaari dene ke liye dhanyvaad.
जवाब देंहटाएंमै अभिषेक जी की टीप से सहमत हूँ . वैसे अभी ऐसा होने में सदियो लगेंगे. ये मात्र एक अनुमान ही कहा जा सकता है . आभार.
जवाब देंहटाएंइतने लाख बर्ष ??? अजी २,३ सॊ सालो मै ही हम ने इस धरती का सत्य नाश कर देता है, यानि मनुष्य से रहित हो जायेगी यह धरती, क्योकि हम पानी , हवा, पेड पोधे, जीव जन्तू सब का सत्यनाश कर रहे है तो फ़ल भी हमे ही भुगतना पडेगा,जब इस धरा पर खाने को नही बचेगा, पीने को नही बचेगा, ओर जो बचे गा वो सब जहरीला होगा तो मानव केसे रह पायेगा?? ओर अगर इन सब से पहले विश्व की तीसरी लडाई लग गई तो....
जवाब देंहटाएंफ़िर मनुष्य के बाद इस धरती का कया होता है किसे मालूम
इतनी लम्बी प्रतीक्षा नहीं करनी पडेगी...इन्सानी कृ्त्यों द्वारा ये पृ्थ्वी बहुत पहले ही समाप्त हो चुकी होगी।
जवाब देंहटाएंपांच अरब साल ?????
जवाब देंहटाएंमजाक कर रहे हैं जाकिर भाई
भैया हम मनुष्य किसी सूरज के मोहताज नहीं हैं !
मनुष्य इतने परिश्रम और लगन से इस प्रथ्वी को तहस-नहस कर रहा है कि
ऊपर वाले की कृपा रही तो दो-तीन सौ साल में ही काम निपट जाएगा !
अभी आपने हमारा हथियारों वाला गोदाम नहीं देखा ... हम चाहें तो इस प्रथ्वी को सौ बार ख़तम कर सकते हैं !
हमारा राष्टीय स्लोगन भी इस सांस्कृतिक अभियान में महत्वूर्ण योगदान दे रहा है !
घर में होंगे दस मजदूर
तब होंगे अपने दुःख दूर !
आज की आवाज
बहुत ही अच्छी जानकारी ........सुन्दर
जवाब देंहटाएंसचमुच उससे पहले ही धरती और इसके वासी ख़त्म हो जाएँगे. अरे भाई हमारी बढ़ती असहिष्णुता किस दिन काम आएगी ?
जवाब देंहटाएंअच्छी वैज्ञानिक जानकारी लेकिन यह दिन आने में अभी बहुत-बहुत दिन लगेंगे.
जवाब देंहटाएंइस रोचक वैज्ञानिक जानकारी के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और अच्छी जानकारीपूर्ण आपकी ये लेख बहुत अच्छा लगा!
जवाब देंहटाएंउस समय जो होगा देखा जायेगा क्यूँ की "तेरी महफिल में लेकिन हम न होंगे...." बहुत रोचक जानकारीपूर्ण पोस्ट.
जवाब देंहटाएंनीरज
अच्छी जानकारी प्रसारित की आपने।
जवाब देंहटाएंइस पर क्लिक कीजिए good !
जवाब देंहटाएं@ अरविन्द जी,
जवाब देंहटाएं'इस' पर क्लिक करने पर तो 'आपकी अंतरा' पोस्ट खुल रही है !