शायद आपको भी यह अनुभव हुआ होगा कि कभी आप कोई दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर गये हों, पर दुकानदार ने आपको उस दवा के न होने के बहाने ...
शायद आपको भी यह अनुभव हुआ होगा कि कभी आप कोई दवा लेने के लिए मेडिकल स्टोर पर गये हों, पर दुकानदार ने आपको उस दवा के न होने के बहाने दूसरी कम्पनी की उसी फामूर्ले पर बनी कोई अन्य दवा पकड़ा दी हो। हो सकता है ऐसा करते वक्त उसने यह भी कहा हो कि यह दवा काफी ‘सस्ती’ भी है। और आप खुशी-खुशी दवा लेकर अपने घर आ गये हों। पर आपको पता होना चाहिए कि इस तरह से आप न जाने कितने समय से ठगे जा रहे हैं।
जी हॉं, उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है। उत्तर प्रदेश ड्रग कंट्रोलर ने पिछले दिनों स्वीप फार्मा, साकेत फार्मा, कृष्णा फार्मा एवं पीएन फार्मा की दवाएं अधोमानक पाने के बाद इनके लाइसेंस रदद किये हैं। ये चारों कम्पनियॉं 100 से अधिक दवाऍं नाती थीं, जिनमें एंटीबायोटिक, सिप्रोफलाक्सिन, सिफालैक्सिन, गैटीफलाक्सासिन, क्लोरोफनिकाल, टेट्रासाइक्लीन, डाइक्योफिनेक, नेफराक्सिन, ब्रूफेन, पैरासिटामाल, विटामिन ई, विटामिन बी काम्प्लेक्स प्रमुख हैं। जॉंच में 500 मिलीग्राम पैरासिटामाल टैबलेट में 200 मिलीग्राम दवा और बाकी खडिया मिली, 250 मिलीग्राम के टेट्रासाइक्लीन कैप्सूल में सिर्फ 100 मिलीग्राम दवा और 150 मिलीग्राम हल्दी पाउडर मिला और विटामिन बी काम्प्लेक्स में सिर्फ अदरक का चूर्ण। इन कम्पनियों की अन्य सभी दवाऍं भी अधोमानक पाई गयीं। कुछ दवाओं में तो साल्ट ही नहीं मिले। प्रतिबंध के बाद अब ये कम्पनियॉं न तो उत्तर प्रदेश में दवा बना पाएंगी और न ही बेच सकेंगी। पर जो मरीज अभी तक इनके द्वारा ठगे जाते रहे, क्या उनको कोई कम्पनसेशन मिलेगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में बिकने वाली 80 प्रतिशत दवाऍं इसी स्तर की हैं, पर स्वास्थ्य अधिकारी जान बूझकर अपनी ऑंखें मूंदे हुए हैं। इसे रोकने के लिए समय समय पर देश में आवाज उठाई जाती रही है, पर देश में अब भी 1956 का बना हुआ ड्रग एंड कास्मेटिक अधिनियम चल रहा है, जिसमें घटिया दवाऍं बनाने और बेचने वाले की सजा तक तय नहीं है। सरकार इस मसले पर कितनी गम्भीर है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में लगभग 65 हजार केमिस्ट हैं, लेकिन उनकी निगरानी के लिए मात्र 19 ड्रग इंस्पेक्टर नियुक्त किये गये हैं।
अगर आपको दवाओं में कोई गड़बड़ी मिलती है, तो आप उत्तर प्रदेश में प्रमुख सचिव स्वास्थ्य को 0522 2627029, विशेष सचिव को 0522 2621422, सचिव को 0522 2230533, महानिदेशक स्वास्थ्य को 0522 2622625 एवं औषधि नियंत्रक को 0522 2621115 पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
साथ ही साथ आपको सलाह दी जाती है कि आप बगैर डाक्टर की सलाह के कोई भी दवा न लें। जब भी आप मेडिकल स्टोर से कोई दवा खरीदें, तो उसका बिल अवश्य लें। दवा लेते समय उसकी एक्सपायरी डेट चेक कर लें। बिल लेते समय यह भी ध्यान रखें कि उसमें बैच नम्बर अवश्य पड़ा हुआ हो। इसके अतिरिक्त दुकानदार की सलाह पर कभी भी किसी सस्ती दवा के चक्कर में न पड़ें। अन्यथा पैसे तो जाएंगे ही, जान भी घाते में जा सकती है।
-जाकिर अली 'रजनीश'
बहुत अच्छी जानकारी . ऐसा अक्सर होता है .हमें सावधान रहना होगा .
जवाब देंहटाएं"पर दुकानदार ने आपको उस दवा के न होने के बहाने दूसरी कम्पनी की उसी फामूर्ले पर बनी कोई अन्य दवा पकड़ा दी हो। हो सकता है ऐसा करते वक्त उसने यह भी कहा हो कि यह दवा काफी ‘सस्ती’ भी है।
जवाब देंहटाएं"हाँ ऐसा कई बार होता है...मगर इस तरफ कभी ध्यान नहीं गया...और शायद भगवान् की भी क्रपा रही की कोई ऐसा हादसा भी सामने नही आया....पर आम आदमी की भी तो मजबूरी है ना वो दवा विक्रेता को ही भगवान् समझ लेता है......बहुत उपयोगी जानकारी दी आपने...और समय रहते सचेत करने के लिए आभार.."
Regards
आपने बहुत महत्वपूर्ण जानकारी दी है जो हम सब को हमेशा याद रखनी चाहिए...
जवाब देंहटाएंनीरज
यह सब जगह की समस्या है. इस ज्ञानवर्धक और जनता को सचेत करने वाली जानकारी के लिये आपको बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सच कहा .एक बात ओर बिल भी लेना जरूरी है
जवाब देंहटाएंaisa aksar hota hai....
जवाब देंहटाएंaapne achhi baat batayi hai...
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने याद रखने लायक है यह
जवाब देंहटाएंvery informative....nice to read it...thanks
जवाब देंहटाएंकाफी महत्वपूर्ण जानकारी, मगर छोटे शहरों में तो बेरोक टोक चल रही है यह ठगी.
जवाब देंहटाएंयह कलाकारी यूपी/बिहार में आम है।
जवाब देंहटाएंदिक्कत ये है कि ग्राहक कभी दवा लेने के बाद बिल नहीं मांगते और अगर मांग भी लें तो बिल पर पड़े बैच नंबर को ली गई दवा के बैच नंबर से नहीं मिलाते। ये जरूरी है एक जागरूक उपभोक्ता के लिए।
जवाब देंहटाएंदूसरी बात ड्रग इंस्पेक्टर जांच के लिए नहीं कमाई के लिए नियुक्त हैं। शायद ही कोई मेडीकल स्टोर नियमानुसार हो। नियमों के मुताबिक हर मेडीकल स्टोर पर एक फार्मेसिस्ट की नियुक्ति होनी चाहिए लेकिन वह कागजों में ही होती है।
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जवाब देंहटाएंयह बहुत ही गम्भीर मसला है। इसपर सरकार को कोई ठोस कार्यवाही करनी चाहिए।
जवाब देंहटाएंआँख खोल देने वाला विवरण -शुक्रिया ज़ाकिर !
जवाब देंहटाएंबहुत उपयोगी जानकारी दी आपने.....आभार..!!
जवाब देंहटाएंमहत्वपूर्ण जानकारी के लिए आभार. अपने स्तर पर जागरूक होने पर ही हम बच पाएंगे.
जवाब देंहटाएंइस जानकारी के लिए शुक्रिया
जवाब देंहटाएंदवा खरीदते समय बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है
ऎसा तभी होता है जब हम लालच करते है, जब भी दवा लो ध्यान दे देखे अगर थोड भी शक हो तो मत ले, जो दवा डा० ने लिखी है वही ले, ओर उस दवा का बिल जरुर मांगे, ओर उसे सम्भांल कर रखे, ओर जिस डा ने दवा लिखी है उस के आसपास के मेडिकल स्टोर से दवा हर्गिज ना ले.
जवाब देंहटाएंआप क धन्यवाद आप ने बहुत ही सुंदर बात कही है, ओर यह सब भारत मै आज धडल्ले से हो रहा है.
धन्यवाद
महत्वपूर्ण जानकारी.बहुत बहुत धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई, एक बात और भी है, सस्ती मेडिसिन्स हमेशा ख़राब नहीं होतीं. अभी इसी महीने केन्द्र सरकार ने "जन औषधि स्टोर" के नाम से यहाँ दिल्ली में मेडिकल स्टोर खोले हैं. यहाँ जेनेरिक मेडिसिन्स मिलती हैं जो बड़ी कंपनियों द्वारा बेची जा रहीं मेडिसिन्स का substitute होती हैं. चूंकि, जेनेरिक मेडिसिन्स पर विज्ञापनों इत्यादि पर कम खर्च होता है, यह लाभ ग्राहक को दिया जाता है. ऐसे स्टोर बड़े पैमाने पर पूरे देश में खोले जायेंगे. उ. प्र. में जो घोटाला पकड़ा गया है, वह प्रदेश की भ्रष्ट, जन विरोधी, निरंकुश, तानाशाह सरकार के कामकाज पर एक और टिप्पणी है.
जवाब देंहटाएंजाकिर भाई, एक बात और भी है, सस्ती मेडिसिन्स हमेशा ख़राब नहीं होतीं. अभी इसी महीने केन्द्र सरकार ने "जन औषधि स्टोर" के नाम से यहाँ दिल्ली में मेडिकल स्टोर खोले हैं. यहाँ जेनेरिक मेडिसिन्स मिलती हैं जो बड़ी कंपनियों द्वारा बेची जा रहीं मेडिसिन्स का substitute होती हैं. चूंकि, जेनेरिक मेडिसिन्स पर विज्ञापनों इत्यादि पर कम खर्च होता है, यह लाभ ग्राहक को दिया जाता है. ऐसे स्टोर बड़े पैमाने पर पूरे देश में खोले जायेंगे. उ. प्र. में जो घोटाला पकड़ा गया है, वह प्रदेश की भ्रष्ट, जन विरोधी, निरंकुश, तानाशाह सरकार के कामकाज पर एक और टिप्पणी है.
जवाब देंहटाएंएनॉनिमस भाई, "जन औषधि स्टोर" एक अच्छी शुरूआत है। जानकारी हेतु आभार।
जवाब देंहटाएंयह सही है कि छोटी कम्पनियों को प्रोत्साहन तो निश्चय ही दिया जाना चाहिए, पर उनकी क्वालिटी पर नियंत्रण भी रखा जाना चाहिए, अन्यथा वे ज्यादा लाभ के चक्कर में इसी प्रकार जनता की सेहत से खिलवाड करती रहेंगी।
It is me, Zakir. There was some technical problem in the net. Tasliim has not been accepting my post. Sorry.
जवाब देंहटाएंshamim uddin
rajneesh ji sahi jaankari di , achha laga aapko padhkar
जवाब देंहटाएंबहुत बडिया जान्कारी है किस किस चीज़ से सावधान रहेम यहाँ तो सब कुछ मिलावटी है अब तो और भी सवधान रेहना होगा
जवाब देंहटाएंसही बात है जाकिर भाई यहां हर चाल बेढंगी है हरि जोशी जी की सलाह एकदम मानने योग्य है
जवाब देंहटाएंIs jankari ke liye dhanyawaad.
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