कैसा होता है कारगिल सैनिकों का भोजन?

SHARE:

खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने की तकनीकों एवं इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी देता विशेष आलेख।

खाद्य सुरक्षा में प्रौद्योगिकी का महत्व
नवनीत कुमार गुप्ता

आजकल बाजार में नए-नए तरह के पैकेज्ड फूड आ रहे हैं। जिसका कारण खाद्य प्रौद्योगिकी का निरंतर होता विकास है। असल में इसके पीछे दो टेक्नोलॉजी यानी प्रौद्योगिकियां हैं एक है भोजन की प्रक्रिया या प्रोसेसिंग और दूसरी है पैकेजिंग। वैसे फूड पैकेजिंग तो प्राचीन काल से प्रचलित है। किण्वन यानी फरमन्टेशन (Fermentation), धूप में सुखाना, नमक मिलाकर संरक्षित रखना आदि सभी भोजन को सुरक्षित रखने के तरीके हैं जिससे भोजन कुछ समय तक ठीक-ठाक रहता है।

Food Processing
इसके अलावा पकाने के कई तरीके जैसे भूनना, तलना और भाप से पकाना आदि भी प्रचलित हैं। इसके अलावा नमक मिलाकर रखने से भी खाने की कई चीजों को संरक्षित रखा जाता है ताकि वे खराब न हो। जैसे अचार और मुरब्बे बनाए जाते हैं। वैसे तो अचार बनाने में विनेगर का उपयोग होता है जो कि अम्लीय विलयन होता है जो जीवाणुओं का खात्मा कर देता है। फिर अचार की बरनी को कसकर बंद किया जाता करते है ताकि हवा और नमी उसके अंदर न जा पाए। वैसे आज भी ऐसी ही प्रक्रियाएं अपनायी जाती हैं। यानी अब विनेगर मिलाया जाता है। इसके अलावा अनेक तकनीकें विकसित की गई जिससे खाने की वस्तुएं लंबे समय तक ताजी रहे और जल्द खराब न हों।

इन नई तकनीकों में स्प्रे ड्राइंडिग या छिड़काव से सुखाव, फ्रीज ड्राइंडिग या ठंड से सुखाना और अल्ट्रावायलेट ट्रीटमैंट (Ultraviolet treatment) यानी पराबैंगनी उपचार शामिल हैं। इन सभी में एक बात यह आवश्‍यक होती है कि नमी को हटाया जाए ताकि जीवाणु पनप न सके। यानी खाने की सामग्री को निर्जल यानी डिहाइड्रेटेड (Dehydrate) किया जाता है जिसे निर्जलीकरण भी कहते हैं।

खाने की सामग्री को समयावधि, तापमान, नमी और ऑक्सीजन भी प्रभावित करती है। नमी अधिक हो तो खाने की सामग्री का कुरकुरापन यानी खस्तापन चला जाता है और वह सामग्री नर्म हो जाती है। जैसे पैकट से बाहर रखने पर चिप्स सील जाते हैं और उनका करारापन खत्म हो जाता है। ऑक्सीजन के कारण ऑक्सीकरण की प्रक्रिया आरंभ हो जाती है जिससे खाने से बदबू आने लगती है और उसका स्वाद भी बदल जाता है। इन समस्याओं को उचित पैकेजिंग से दूर किया जा सकता है। बहुत हद तक अच्छी पैकेजिंग से इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

पैकिंग से खाना ताजा बना रहता है। असल में पैकेजिंग मटैरियल काफी प्रभावी होता है। पैकेजिंग मटैरियल काफी मजबूत होना चाहिए, जिससे खाद्य सामग्री को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के दौरान लगने वाले झटकों और हिलने-डुलने का अच्छी तरह से प्रतिरोध कर सके। पैकेजिंग मटैरियल काफी भारी नहीं होना चाहिए साथ ही उसकी लागत भी कम होनी चाहिए है ताकि खाद्य सामग्री की लागत में कोई विषेष फर्क न पड़े। पैकेजिंग मटैरियल साफ और किटाणुरोधक होना भी आवश्‍यक है।

धात्विक कैनस् और प्लास्टिक कंटेनर्स सबसे अच्छे पैकेजिंग मटैरियल होते हैं। क्योंकि ये एयर-टाइट होने के साथ ही प्रकाशरोधी भी होते हैं जिससे इनमें नमी और ऑक्सीजन प्रवेश नहीं कर पाती है। साथ ही इन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। हालांकि सभी प्रकार की खाद्य सामग्रियां धात्विक कैनस् और प्लास्टिक कंटेनर्स में पैक नहीं की जाती। कुछ निर्माता थोड़े कम सख्त पैकेजिंग मटैरियलस् जैसे गत्ते के डब्बों और थैलों का भी उपयोग करते हैं ताकि जब उत्पाद को खोला लाए तब तक उसका ताजापन बना रहे।

आजकल लंच पैक करने के लिए एल्युमिनियम फॉइल (Aluminium foil) उपयोग करते हैं यानी एल्युमिनियम फॉइल का उपयोग पैकेजिंग मटैरियल के रूप में भी किया जाता है। वैसे मैटेलिसेड पोलिस्टर, कम घनत्व की पॉलीथिन, जूट के झोले आदि सामग्रियों का उपयोग भी पैकेजिंग मटैरियल के रूप में किया जाता है। खाद्य उत्पादों को इस प्रकार पैक करने पर वह लंबे समय तक ठीक-ठाक रहते हैं। इनकी शेल्फ लाइफ यानी इनके फ्रेश रहने की अवधि खाद्य उत्पाद, उनके निर्माण की प्रक्रिया और पैकेजिंग जैसे अनेक कारकों पर निर्भर करती है। जिसके बारे में अधिकतर पैकेट के ऊपर लिखा जाता है कि यह कितने दिनों तक खराब नहीं होगा।

मिल्क पावडर एक प्रोसेस्ट फूड ही तो है। सन् 1950 तक हमारे देश में बच्चों को दिए जाने वाले सभी प्रकार के मिल्क पावडर आयात किए जाते थे। इसलिए भारत ने कुछ बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से यहां पर मिल्क पावडर का निर्माण करने वाली इकाईयों को स्थापित करने की प्रार्थना की। लेकिन उन कम्पनियों ने यह कहकर इनकार कर दिया कि भारत में गाय का पर्याप्त दूध उपलब्ध नहीं है। 

Central food technological research institute
Central food technological research institute
यहां भैंस का दूध अधिक है जिसमें वसा अधिक होती है जो कि बच्चों को आसानी से पचती नहीं है। तब हमारे देश की वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद की एक प्रयोगशाला ‘केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान संस्थान’, जिसे अंग्रेजी में सेन्ट्रल फूड टेक्नॉलोजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (Central food technological research institute) या सीएफटीआरआई (CFTRI) कहा जाता है, के वैज्ञानिकों ने स्वयं भैंस के दूध से मिल्क पावडर को बनाने की विधि विकसित की। यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी।

इस विधि से तैयार मिल्क पावडर से बच्चों को दूध आसानी से पच जाता था। इस प्रकार तैयार दूध बहुत हल्‍का था और आसानी से पच जाता था। सबसे अच्छी बात यह थी कि भैंस के दूध से तैयार ‘इन्फन्ट फूड’ यानी बच्चों के लिए फूड की यह विधि पूरे विश्‍व में सबसे पहले हमारे यहां विकसित हुई। और इस अनुसंधान ने बहुराष्ट्रीय कंपनियों के एकाधिकार को खत्म कर दिया। इसी संस्थान की प्रौद्योगिकी के आधार पर अमूल बेबी फूड (Amul baby food) पूरे देश के बाजारों और घरों में बच्चों को दिए जाने वाले आहार के रूप में छा गया। इस उपलब्धि ने हमारे देश का करोड़ों रूपया विदेशी विनिमय से बचाया। असल में सीएफटीआरआई के वैज्ञानिकों ने अनेक फूड प्रोसेसिंग विधियों का विकास किया जिससे मसालों, आलू चिप्स, फिश कटलेट्स, बिरयानी मिक्स और अनेक प्रकार की खाद्य सामग्रियों का विकास हुआ।

‘केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी एवं अनुसंधान संस्थान’ या CFTRI की स्थापना देश के उपलब्ध खाद्य संसाधनों का विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की मदद से संरक्षित, सुरक्षित, संसाधित एवं वितरित करके खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए की गई थी। आज CFTRI खाद्य एवं खाद्य संसाधन के क्षेत्र में सक्रिय होकर इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय संस्था के रूप में कार्यरत है। यह संस्था फसल के बाद उत्पाद के संरक्षण, सुरक्षा और प्रोसेसिंग के लिए प्रौद्योगिकी को विकसित करने के साथ ही रोपण एवं बागवानी फसलों से प्राप्त होने वाले उत्पादों को निर्यात की दृष्टि से उत्पादों के अनुकूल प्रौद्योगिकियों का विकास कर रही है।

CFTRI के वैज्ञानिकों द्वारा फूड सप्लिमेंट यानी खाद्य पूरक आहारों को विकसित किया गया है जिनमें ऊर्जा आहार, भारत बहुउद्देशीय आहार, मिल्टोन, बाल आहार और अन्य ऐसे आहार विकसित किए हैं जिन्होंने कुपोषण से छुटकारा दिलाने के लिए एक आशा की किरण जगाई है। ये आहार परंपरागत भारतीय नाश्‍ते, संतरा, नीबू और कोला के पेय प्रदार्थों के रूप में विकसित किए गए। और साथ ही संस्थान द्वारा स्वदेशी प्रौद्योगिकी के द्वारा विकसित कोला पेय ‘डबल सेवन’ को भी काफी पसंद किया गया। संस्था अपने उत्पादों में सरल प्रक्रिया द्वारा फलों और सब्जियों की ताजा रहने की अवधि बढ़ाती है और साथ ही काफी, चाय, मसालों और अन्य संभावित उत्पादों को बाजार और निर्यात की दृष्टि से अनुकूल बनाने की कोशिश करती है।

CFTRI द्वारा उत्पादों की पैकिंग इस प्रकार की जाती है कि आहार उत्पाद लंबे समय तक चलें। साथ ही इस बात का ध्यान भी रखा जाता है कि पैकिंग खर्चीली न हो। उदाहरण के लिए कृषि अपषिष्ट उत्पादों जैसे अरहर की टहनियों और रेशों, पुर्नउपयोगी फिश कंटेनरस् और गद्देदार डिब्बों का उपयोग किया जाता है। दूध पैकिंग और खाद्य तेलों के लिए उपयोग किए जाने वाले प्लास्टिक पाउच भी CFTRI की प्रौद्योगिकी पर आधारित है।

आजकल हम बाजार से थैलियों वाला दूध जो लाते हैं उस पैकेट का यह रूप CFTRI के कारण ही संभव हो पाया है। CFTRI के वैज्ञानिकों ने वाकई यह एक महान कार्य किया है। बेशक यह CFTRI का काबिलेतारिफ काम है, लेकिन हमारे देश का एक अन्य संगठन भी कुछ ऐसा ही कार्य कर रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) यानी DRDO के अंतर्गत कार्यरत डिफेंस फूड रिसर्च लेबोरेटरी (Defence Food Research Laboratory) यानी रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला देश के दुर्गम इलाकों में कार्यरत सैनिकों की सहूलियत के अनुसार फूड पैकेट्स उपलब्ध कराने के लिए कार्यरत हैं।

Defence Food Research Laboratory
Defence Food Research Laboratory
ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जहां पर सैनिकों के लिए खाना बनाना संभव नहीं होता होगा। अनेक सैनिक ऐसी जगहों पर तैनात होते हैं जहां न केवल खाना बनाना संभव नहीं होता बल्कि रोजाना उन तक खाने की सामग्री पहुंचना भी काफी कठिन होता है। कई क्षेत्र तो पूरे साल बर्फ से ढके रहते हैं। कुछ स्थान दूरवर्ती एवं दुर्गम है जैसे पहाड़ी क्षेत्र जहां मौसम असामान्य और रूखा होता है और वहां यातायात सुविधा भी नहीं होती। जहां पहुंचना ही अपने आप में एक बड़ा कार्य है। ऐसे स्थानों पर तैनात सैनिकों की आहार जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी का विकास किया गया है।

रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला इसके लिए कार्यरत है। उन्होंने ऐसी अनेक स्वदेशी तकनीकें विकसित की हैं जिनसे कई प्रकार के ‘रेडी टू इट फूड’ (Ready to eat food) यानी फटाफट तैयार होने वाले आहार बनाए जा सकते हैं जो जल्दी से तैयार होने के साथ ही लंबी अवधि तक ठीक रहते हैं।

रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना 28 दिसम्बर, 1961 में DRDO के अंतर्गत भारतीय सेना, जलसेना, वायु सेना और परासैनिकों की आहार आवश्‍यकताओं की पूर्ति के लिए की गई। इस प्रयोगशाला का उद्देश्‍य सुविधाजनक और हल्के डिब्बाबंद आहार को विकसित करने एवं रूपरेखा बनाना और उन्हें विकसित करना है जिससे आहार जलवायु की विभिन्न परिस्थितियों के अनुकूल लंबे समय तक ठीक-ठाक रह सके।

इस संस्था के वैज्ञानिकों ने ऐसी रोटियां, आलू के पराठे और मीट् का आचार विकसित किए हैं जो छह महीनों तक आसानी से टिक जाते हैं इसके अलावा उच्च प्रोटीनयुक्त नाश्‍ता, फल से तैयार आहार, तत्काल बनने वाला गाजर का हलुवा कुछ ऐसी खाद्य सामग्री है जो 9 महीनों तक खराब नहीं होतीं। चिकन पुलाव, फलों के रस से बना पॉवडर, पहले से बनी निर्जलीकृत दाल और करी, तत्काल बनने वाली खिचड़ी, खीर, बासमती चावल, और उपमा तो ऐसी खाद्य सामग्रिया हैं जो एक साल से अधिक समय तक खराब नहीं होते।

इस प्रयोगशाला द्वारा हाल ही मैं ऐसी प्रौद्योगिकी विकसित की गई है जिसके द्वारा फूलगोभी, बंदगोभी, आलू, शकरकन्द, मूली, और फ्रेंच बीनस् को बिना किसी तापीय उपचार के सूक्ष्मजीवों से 14 से 28 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस प्रयोगशाला द्वारा डिब्बाबंद आहार के लिए ऐसी जैव अपघटनीय (Biodegradable) पैकिंग सामग्री का विकास किया गया है जो पर्यावरणीय के दृष्टि से अनुकूल हैं। जो हिमालय जैसे ऊंचाई वाले स्थानों पर पर्यावरण की दृश्टि से बिल्कुल खरी हैं। यानी भारतीय सैनिकों को उनकी आवश्‍यकता के अनुरूप आहार उपलब्ध कराने पर ध्यान दिया जाता है।

सैनिकों को अधिक पोषक आहार की आवश्‍यकता होती है। विशेषकर जब वो ऐसे दुर्गम इलाकों में तैनात किए जाते हैं जहां जीवित रहना ही चुनौती भरा होता है। वहां उनकी आहार जरूरतें भी विशेष होती हैं। ऐसे क्षेत्रों में तैनात सैनिकों को अगर पोषक भोजन उपलब्ध नहीं कराया जाएगा तो वो किस प्रकार हमारी देश की सीमाओं की सुरक्षा और निगरानी कर पाएंगे। रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला ने ऐसे रसद डिब्बे यानी राशन पैकेट विकसित किए हैं जो थोड़े ही गर्मी से तैयार हो जाते हैं। इन पैकेटों में चपाती, सूजी हलवा, शाकाहारी पुलाव, आलू करी, चाकलेट बार और चाय होती हैं। साथ ही चम्मच, टिश्‍यू पेपर, माचिस आदि को विशेष रूप से डिजाइन किया जाता है।

इन पैकिटों के साथ फोलडेबल स्टोव (Foldable stove) और ईंधन की गोलियां भी होती हैं जिससे भोजन को गर्म किया जा सकता है। यह राशन करीब एक साल तक खराब नहीं होता है। वहां सैनिकों को खाना पकाने के लिए रसोईघर की आवश्‍यकता भी नहीं होती है। उन्हें पहले ही सभी चीजें उपलब्ध करा दी जाती हैं। फिर भी यदि कभी किसी कारण से यदि स्टोव कार्य न करें उस स्थिति का हल भी रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला के पास है। उसने सेल्फ हीटिंग रेडी टू इट फूड पैकेट्स (Self heating ready to eat food packets) यानी खुद ब खुद गर्म हो जाने वाले पैकेटों को विकसित किया है।

इस भोजन के तीन भाग होते हैं, एक आहार के लिए, दूसरा विशिष्ट तरल पदार्थ के लिए और तीसरा चूर्ण। जब तरल और चूर्ण भाग को मिलाया जाता है तो रासायनिक अभिक्रिया के कारण ऊष्मा उत्पन्न होती है जो कि आहार वाले भाग में पहुंच जाती है जिससे कुछ ही मिनटों में आहार तैयार हो जाता है। इसी प्रकार इस प्रयोगशाला ने टैंक एवं सेना के वाहनों के लिए ऐसे ऑपरेशनल राशन पैक भी तैयार किए हैं जहां इन्हें दो-तीन दिन के लिए विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। पहले और दूसरे दिन के राशन पैक का वजन दो किलो होता है जो उन्हें चार हजार कैलोरी प्रदान करता है जबकि तीसरे दिन के राशन पैक का वजन डेढ़ किलो होता है जो तीन हजार कैलोरी प्रदान करता है।

ऐसी ही गंभीर परिस्थति का सामना उन सैनिकों को भी करना पड़ता होगा न जो कि बहुत ऊंचाई जैसे सियाचिन या कारगिल ग्लेशियर पर तैनात होंगे। वहां अनेक समस्याएं होती हैं। उन्हें वहां एसीडिटी भी हो जाती है जिससे उन्हें पेट हमेशा भरा-भरा सा लगता है। इससे उन्‍हें भूख नहीं लगती है और उनका वजन कम होने लगता है जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस समस्या से निपटने के लिए रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला के वैज्ञानिकों ने ऐसे आहारों और पेयों को विकसित किया है जिन्हें खाना खाने के तीस मिनट पहले खाने से भूख लगने लगती है।

रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला ने कारगिल अभियान के दौरान अड़तालीस घंटे की सूचना अवधि में ही सेना के 50,000 राशन और 30,000 रेडी टू एट भोजन पैकेटों को तैयार कर वितरित किया था। इस प्रयोगशाला द्वारा विकसित ये प्रौद्योगिकियां दूसरे अभियानों में भी उपयोग की जाती हैं। रक्षा आहार अनुसंधान प्रयोगशाला अंट्रार्कटिका अभियानों और पर्वतारोहियों को आहार की आपूर्ति करने के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जैसे महाराष्‍ट्र के लातूर में आए भूकंप, उत्तराखंड के भूस्खलन व बाढ़ के दौरान और उड़ीसा के चक्रवात के दौरान भी खाने की आपूर्ति करती रही है।

आहार और पैकेजिंग से संबंधित अनेक रक्षा प्रौद्योगिकियां नागरिक क्षेत्र में स्थानांतरित हो गई हैं। असल में हमारे देश में सैंकड़ों टन अनाज खराब हो जाता है। आधुनिक प्रौद्योगिकीयों को अपनाकर उस अनाज से लाखों लोगों का पेट भरा जा सकता है विज्ञान के ज्ञान को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की आवश्‍यकता है। 
 
लेखक परिचय: 
नवनीत कुमार गुप्ता विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत राष्ट्रीय संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से संबंद्ध होकर पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। विज्ञान संचार विषयक आपकी लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाश‍ित हो चुकी हैं तथा गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कारों एवं सम्मानों से समादृत हैं। आपसे ngupta@vigyanprasar.gov.in पर संपर्क किया जा सकता है।

keywords: food processing industry in hindi, food processing industry in india, food processing technology in hindi, food processing techniques in hindi, food processing techniques in india, food processing methods, food processing technology principles and practice, institute of food processing technology, central food technological research institute hyderabad, defence research and development organisation (drdo), defence food research laboratory mysore, defence food research laboratory (dfrl), defence food research laboratory drdo

COMMENTS

BLOGGER: 2
  1. CFTRI और DRDO की उपलब्धियाँ प्रशंसनीय हैं।पैक्ड फूड में प्रयुक्त preservative शरीर के लिए हानिकर तो नहीं,यह जानकारी नहीं मिल पाई।

    जवाब देंहटाएं
वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

नाम

अंतरिक्ष युद्ध,1,अंतर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन-2012,1,अतिथि लेखक,2,अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन,1,आजीवन सदस्यता विजेता,1,आटिज्‍म,1,आदिम जनजाति,1,इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,1,इग्‍नू,1,इच्छा मृत्यु,1,इलेक्ट्रानिकी आपके लिए,1,इलैक्ट्रिक करेंट,1,ईको फ्रैंडली पटाखे,1,एंटी वेनम,2,एक्सोलोटल लार्वा,1,एड्स अनुदान,1,एड्स का खेल,1,एन सी एस टी सी,1,कवक,1,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज,1,कृत्रिम मांस,1,कृत्रिम वर्षा,1,कैलाश वाजपेयी,1,कोबरा,1,कौमार्य की चाहत,1,क्‍लाउड सीडिंग,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,9,खगोल विज्ञान,2,खाद्य पदार्थों की तासीर,1,खाप पंचायत,1,गुफा मानव,1,ग्रीन हाउस गैस,1,चित्र पहेली,201,चीतल,1,चोलानाईकल,1,जन भागीदारी,4,जनसंख्‍या और खाद्यान्‍न समस्‍या,1,जहाँ डॉक्टर न हो,1,जितेन्‍द्र चौधरी जीतू,1,जी0 एम0 फ़सलें,1,जीवन की खोज,1,जेनेटिक फसलों के दुष्‍प्रभाव,1,जॉय एडम्सन,1,ज्योतिर्विज्ञान,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और विज्ञान,1,ठण्‍ड का आनंद,1,डॉ0 मनोज पटैरिया,1,तस्‍लीम विज्ञान गौरव सम्‍मान,1,द लिविंग फ्लेम,1,दकियानूसी सोच,1,दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स,1,दिल और दिमाग,1,दिव्य शक्ति,1,दुआ-तावीज,2,दैनिक जागरण,1,धुम्रपान निषेध,1,नई पहल,1,नारायण बारेठ,1,नारीवाद,3,निस्‍केयर,1,पटाखों से जलने पर क्‍या करें,1,पर्यावरण और हम,8,पीपुल्‍स समाचार,1,पुनर्जन्म,1,पृथ्‍वी दिवस,1,प्‍यार और मस्तिष्‍क,1,प्रकृति और हम,12,प्रदूषण,1,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,1,प्‍लांट हेल्‍थ क्‍लीनिक,1,प्लाज्मा,1,प्लेटलेटस,1,बचपन,1,बलात्‍कार और समाज,1,बाल साहित्‍य में नवलेखन,2,बाल सुरक्षा,1,बी0 प्रेमानन्‍द,4,बीबीसी,1,बैक्‍टीरिया,1,बॉडी स्कैनर,1,ब्रह्माण्‍ड में जीवन,1,ब्लॉग चर्चा,4,ब्‍लॉग्‍स इन मीडिया,1,भारत के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना,1,भारत डोगरा,1,भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना,1,मंत्रों की अलौकिक शक्ति,1,मनु स्मृति,1,मनोज कुमार पाण्‍डेय,1,मलेरिया की औषधि,1,महाभारत,1,महामहिम राज्‍यपाल जी श्री राम नरेश यादव,1,महाविस्फोट,1,मानवजनित प्रदूषण,1,मिलावटी खून,1,मेरा पन्‍ना,1,युग दधीचि,1,यौन उत्पीड़न,1,यौन शिक्षा,1,यौन शोषण,1,रंगों की फुहार,1,रक्त,1,राष्ट्रीय पक्षी मोर,1,रूहानी ताकत,1,रेड-व्हाइट ब्लड सेल्स,1,लाइट हाउस,1,लोकार्पण समारोह,1,विज्ञान कथा,1,विज्ञान दिवस,2,विज्ञान संचार,1,विश्व एड्स दिवस,1,विषाणु,1,वैज्ञानिक मनोवृत्ति,1,शाकाहार/मांसाहार,1,शिवम मिश्र,1,संदीप,1,सगोत्र विवाह के फायदे,1,सत्य साईं बाबा,1,समगोत्री विवाह,1,समाचार पत्रों में ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,समाज और हम,14,समुद्र मंथन,1,सर्प दंश,2,सर्प संसार,1,सर्वबाधा निवारण यंत्र,1,सर्वाधिक प्रदूशित शहर,1,सल्फाइड,1,सांप,1,सांप झाड़ने का मंत्र,1,साइंस ब्‍लॉगिंग कार्यशाला,10,साइक्लिंग का महत्‍व,1,सामाजिक चेतना,1,सुरक्षित दीपावली,1,सूत्रकृमि,1,सूर्य ग्रहण,1,स्‍कूल,1,स्टार वार,1,स्टीरॉयड,1,स्‍वाइन फ्लू,2,स्वास्थ्य चेतना,15,हठयोग,1,होलिका दहन,1,‍होली की मस्‍ती,1,Abhishap,4,abraham t kovoor,7,Agriculture,8,AISECT,11,Ank Vidhya,1,antibiotics,1,antivenom,3,apj,1,arshia science fiction,2,AS,26,ASDR,8,B. Premanand,5,Bal Kahani Lekhan Karyashala,1,Balsahitya men Navlekhan,2,Bharat Dogra,1,Bhoot Pret,7,Blogging,1,Bobs Award 2013,2,Books,57,Born Free,1,Bushra Alvera,1,Butterfly Fish,1,Chaetodon Auriga,1,Challenges,9,Chamatkar,1,Child Crisis,4,Children Science Fiction,2,CJ,1,Covid-19,7,current,1,D S Research Centre,1,DDM,5,dinesh-mishra,2,DM,6,Dr. Prashant Arya,1,dream analysis,1,Duwa taveez,1,Duwa-taveez,1,Earth,43,Earth Day,1,eco friendly crackers,1,Education,3,Electric Curent,1,electricfish,1,Elsa,1,Environment,32,Featured,5,flehmen response,1,Gansh Utsav,1,Government Scholarships,1,Great Indian Scientist Hargobind Khorana,1,Green House effect,1,Guest Article,5,Hast Rekha,1,Hathyog,1,Health,69,Health and Food,6,Health and Medicine,1,Healthy Foods,2,Hindi Vibhag,1,human,1,Human behavior,1,humancurrent,1,IBC,5,Indira Gandhi Rajbhasha Puraskar,1,International Bloggers Conference,5,Invention,9,Irfan Hyuman,1,ISRO,5,jacobson organ,1,Jadu Tona,3,Joy Adamson,1,julian assange,1,jyotirvigyan,1,Jyotish,11,Kaal Sarp Dosha Mantra,1,Kaal Sarp Yog Remady,1,KNP,2,Kranti Trivedi Smrati Diwas,1,lady wonder horse,1,Lal Kitab,1,Legends,12,life,2,Love at first site,1,Lucknow University,1,Magic Tricks,9,Magic Tricks in Hindi,9,magic-tricks,8,malaria mosquito,1,malaria prevention,1,man and electric,1,Manjit Singh Boparai,1,mansik bhram,1,media coverage,1,Meditation,1,Mental disease,1,MK,3,MMG,6,Moon,1,MS,3,mystery,1,Myth and Science,2,Nai Pahel,8,National Book Trust,3,Natural therapy,2,NCSTC,2,New Technology,10,NKG,74,Nobel Prize,7,Nuclear Energy,1,Nuclear Reactor,1,OPK,2,Opportunity,9,Otizm,1,paradise fish,1,personality development,1,PK,20,Plant health clinic,1,Power of Tantra-mantra,1,psychology of domestic violence,1,Punarjanm,1,Putra Prapti Mantra,1,Rajiv Gandhi Rashtriya Gyan Vigyan Puraskar,1,Report,9,Researches,2,RR,2,SBWG,3,SBWR,5,SBWS,3,Science and Technology,5,science blogging workshop,22,Science Blogs,1,Science Books,56,Science communication,22,Science Communication Through Blog Writing,7,Science Congress,1,Science Fiction,13,Science Fiction Articles,5,Science Fiction Books,5,Science Fiction Conference,8,Science Fiction Writing in Regional Languages,11,Science Times News and Views,2,science-books,1,science-puzzle,44,Scientific Awareness,5,Scientist,38,SCS,7,SD,4,secrets of octopus paul,1,sexual harassment,1,shirish-khare,4,SKS,11,SN,1,Social Challenge,1,Solar Eclipse,1,Steroid,1,Succesfull Treatment of Cancer,1,superpowers,1,Superstitions,51,Tantra-mantra,19,Tarak Bharti Prakashan,1,The interpretation of dreams,2,Tips,1,Tona Totka,3,tsaliim,9,Universe,27,Vigyan Prasar,33,Vishnu Prashad Chaturvedi,1,VPC,4,VS,6,Washikaran Mantra,1,Where There is No Doctor,1,wikileaks,1,Wildlife,12,Zakir Ali Rajnish Science Fiction,3,
ltr
item
Scientific World: कैसा होता है कारगिल सैनिकों का भोजन?
कैसा होता है कारगिल सैनिकों का भोजन?
खाद्य पदार्थों को सुरक्षित रखने की तकनीकों एवं इस दिशा में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी देता विशेष आलेख।
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjTCOlsmzLXj3sq2Ct2V9asII17henlI1sVOFAMk1S09JmpuN-gLrglT5T2Gmed1M5JWFYetNsDF2Hy0VcnM93RJ_J0aEvBAfoxIlGQ9PTKrdrKJqaEx_1RP105wLZmQtnw8GL2Q35qN7ew/s640/Food+Processing+Facilities.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjTCOlsmzLXj3sq2Ct2V9asII17henlI1sVOFAMk1S09JmpuN-gLrglT5T2Gmed1M5JWFYetNsDF2Hy0VcnM93RJ_J0aEvBAfoxIlGQ9PTKrdrKJqaEx_1RP105wLZmQtnw8GL2Q35qN7ew/s72-c/Food+Processing+Facilities.jpg
Scientific World
https://www.scientificworld.in/2014/11/food-processing-technology-in-hindi.html
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/2014/11/food-processing-technology-in-hindi.html
true
3850451451784414859
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy