जैसे-जैसे हम प्रगति की सीढि़याँ चढ़ते जा रहे हैं, भौतिक सुख-सुविधाओं के आदी होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे हमारी ऊर्जा जरूरतें बढ़ती जा रही हैं...
जैसे-जैसे हम प्रगति की सीढि़याँ चढ़ते जा रहे हैं, भौतिक सुख-सुविधाओं के आदी होते जा रहे हैं, वैसे-वैसे हमारी ऊर्जा जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। एक समय था जब व्यक्ति कंदराओं में रहा करता था और धरती पर प्राकृतिक अवस्था में सुलभ रौशनी, पानी तथा आग से अपना काम चला लिया करता था। पर अब नहाने-धोने से लेकर खाने और सोने तक हम अप्राकृतिक ऊर्जा संसाधनों के गुलाम हो गये हैं। यही कारण है कि हमें अब अपने दैनिक जीवन को समुचित ढ़ंग से सम्पादित करने के लिए भी भरपूर मात्रा में ऊर्जा की जरूरत पड़ती है।

ऊर्जा के ये नए विकल्प क्या हैं, इनमें कितनी सम्भावनाएँ हैं और ये कितने सुलभ हो सकते हैं, इन्हीं बिन्दुओं पर केन्द्रित है विनीता सिंघल की नई किताब ‘ऊर्जा: कुछ नये विकल्प’, जिसे नेशनल बुक ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित किया गया है।
हिन्दी विज्ञान लेखन के क्षेत्र में विनीता सिंघल एक जाना-पहचाना नाम है। वे धीर-गम्भीर लेखन के लिए जानी जाती रही हैं। निस्केयर में संपादक के रूप में कार्यरत सुश्री सिंघल की नेशनल बुक ट्रस्ट से ही विज्ञान पर दो अन्य पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं ‘धरती से सागर तक’ एवं ‘सूचना प्रौद्योगिकी के दौर में कैरियर’। इसके अतिरिक्त उनकी विज्ञान केन्द्रित अन्य पुस्तकें ‘क्लोनिंग’, ‘सागर का कहर’ एवं ‘कोशिका की कारीगरी’ भी काफी चर्चित रही हैं। वे अपने इस समर्पित विज्ञान लेखन के कारण जैव प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा विज्ञान लेखन के पुरस्कृत एवं सम्मानित भी हो चुकी हैं।
लेखिका की इस सद्य प्रकाशित पुस्तक में कुल जमा 10 अध्याय हैं, जो पुस्तक के कंटेन्ट को बयान करने में स्वयं ही सक्षम हैं। ये अध्याय निम्नानुसार हैं- 1. ऊर्जा- एक परिदृश्य, 2. ऊर्जा का प्राकृतिक खजाना: बायोडीजल, 3. सस्ता विकल्प: हाइड्रोजन, 4. पर्यावरण मित्र: गैसोहॉल, 5. शान्तिपूर्ण उपयोगों के लिए परमाणु ऊर्जा, 6. धरती से सागर तक, 7. प्राकृतिक गैस: समस्या या समाधान, 8. आशा की नई किरणें, 9. बचानी भी होगी ऊर्जा, 10. कैसे-कैसे परमाणु रिएक्टर।
आलोच्य पुस्तक सरल एवँ प्रवाहमयी भाषा में लिखी गयी है और इसी कारण विद्यार्थियों, विज्ञान में रूचि रखने वाले पाठकों और विज्ञान संचारकों के लिए बेहद उपयोगी बन पड़ी है। पुस्तक में जगह-जगह चित्रों एवं सारणी का भी उपयोग किया गया है, जिससे इसकी रोचकता और प्रामाणिकता बढ़ गयी है। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि यह पुस्तक न सिर्फ विज्ञान संचार के क्षेत्र में एक नया मुकाम बनाएगी वरन अपनी नवीकरणीय दृष्टि के कारण ऊर्जा संकट से जूझती दुनिया के लिए नए द्वार खोलती भी नजर आएगी।
पुस्तक- ऊर्जा: कुछ नए प्रयोग लेखिका- विनीता सिंघल प्रकाशक- नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया, नेहरू भवन, 5 इंस्टीट्यूशनल एरिया, फेज’2, वसंत कुंज, नई दिल्ली-110010 पृष्ठ- 112 मूल्य- 55.00 मात्र
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आपकी पोस्ट कल 14/6/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
चर्चा - 902 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
Upyogi pustak. Aabhar.
जवाब देंहटाएंpathniv pustak, badhayi.
जवाब देंहटाएंbanda blog kholta hai topic ka naam dekh ke..........sochta hai kuchh interesting padhne ko milega...aur yahan aa kar pata chalta hai.. ke yahan to kitaab ka prachar ho raha hai....
जवाब देंहटाएंdisappointed. kya ab science blogger ke paas matter nahi raha post karne ko, jo kitaabo ka prachaar shuru kar diya hai.
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