कहावतें अपने समय की पहचान होती हैं, जिनमें सम्बंधित युग के मनुष्यों के ज्ञान का समुद्र ठाठें मार रहा होता है। पर वक्त सबसे बड़ा महारथी ...
कहावतें अपने समय की पहचान होती हैं, जिनमें सम्बंधित युग के मनुष्यों के ज्ञान का समुद्र ठाठें मार रहा होता है। पर वक्त सबसे बड़ा महारथी है, जो कहावतों को चरित्रार्थ होते हुए ही नहीं दिखाता, उन्हें बदल कर भी रख देता है। और कहावतों ही नहीं बल्कि किसी भी समय को बदलने का सबसे बड़ा साधन है विज्ञान।

डा0 मधु पंत, बच्चों की लोकप्रिय रचनाकार ही नहीं 'बाल भवन' की पूर्व निदेशक के रूप में भी जानी जाती हैं, जहाँ पर उन्होंने 'बालश्री योजना' के योजना के द्वारा बाल साहित्य आंदोलन को एक नवीन गति प्रदान की।
पुस्तक 'हम नन्हें विज्ञानी हैं' में बच्चों के आसपास पाए जाने विषयों को आधार बनाकर रची गयी आठ रोचक कविताओं को संग्रहीत किया गया है, जो बेहद अपनी लय और ताल के कारण बाल-मन को सहज रूप से आकर्षित करने वाली हैं। पहली कविता 'अगर कहीं मैं होता पानी' की ही प्रारम्भिक पंक्तियाँ देखिए-
अगर कहीं मैं होता पानी, जी भर कर, करता नादानी।
कभी अकड़ लम्बा हो जाता, लम्बे बरतन में तन जाता।
कभी फैल कर, रूठ ऐंठता, कभी कुएँ में जा गहराता।
कभी जमीं के नीचे रिसता, ढूँढ़ न पाती अम्मा, नानी।
विज्ञान कोई क्लिष्ट और गंभीर वस्तु नहीं, बल्कि एक सरल सी सोच है। इस सोच को और इसकी व्यापकता को लेखिका ने 'सभी जगह विज्ञान है' कविता में बखूबी व्यक्त किया है-
सभी जगह विज्ञान है।
रस्ते में विज्ञान है, बस्ते में विज्ञान है।
पेंसिल, कापी, घर चौबारे, सस्ते में विज्ञान है।
सभी जगह विज्ञान है।
डा0 मधु पंत बाल मनोविज्ञान की कुशल पारखी रचनाकार हैं। वे गूढ़ से गूढ़ बातों को भी बहुत ही सरल ढ़ंग से कहने के लिए जानी जाती हैं। उदाहरण के रूप में 'बल' जैसे क्लिष्ट विषय पर लिखी रचना देखी जा सकती है, जिसमें उन्होंने 'बल' को बहुत ही सरल ढ़ंग से समझा दिया है-
काम करो या धींगा मस्ती, तब लगता है बल।
धक्का-मुक्की हो या कुश्ती, तब लगता है बल।
बड़ा काम हो, अकल लगाओ, चाहे कम हो बल।
अकल लगा कर, सही बताओ, अक्ल बड़ी या बल।
बच्चे सहज रूप से जिज्ञासु होते हैं। वे हर बात का कारण जानना चाहते हैं, वे हर कारण की गहराई में जाना चाहते हैं। बच्चों की इसी जिज्ञासा को ध्यान में रखते हुए पुस्तक में बाल रूचि के विषयों को कविता का आधार बनाया गया है। पुस्तक के सभी पृष्ठों को रंगीन चित्रों के द्वारा बहुत ही सुंदर ढ़ंग से सजाया गया है, जिसके कारण यह पुस्तक उपयोगी ही नहीं बेहद आकर्षक भी बन गयी है। हमें आशा ही नहीं बल्कि विश्वास है कि बच्चे इस पुस्तक को पढ़कर न सिर्फ अपने आस-पास की चीजों को वैज्ञानिक दृष्टि से सोचने समझने के लिए प्रेरित होंगे, बल्कि अपने वैज्ञानिक दृष्टिकोण का भी विकास कर सकेंगे।
पुस्तक का आकर्षक कलेवर और इसकी उपयोगी विषय वस्तु के कारण 'हम नन्हें विज्ञानी हैं' बच्चों को उपहार देने योग्य एक श्रेष्ठ चुनाव हो सकता है। इस शानदार प्रकाशन के लिए 'विज्ञान प्रसार' निश्चय ही बधाई का पात्र है।
पुस्तक का नाम- हम नन्हें विज्ञानी हैं
लेखक- डा0 मधु पंत
प्रकाशक- विज्ञान प्रसार, ए-50, इंस्टीटयूशनल एरिया, सेक्टर-62, नोएडा-201307 फोन- 0120-2404430/35
मूल्य- 150 रूपये।
हम नन्हें विज्ञानी हैं" आभार इस पुस्तक की विस्तृत जानकारी पर"
जवाब देंहटाएंregards
अच्छी जानकारी दी है आपनें,शुक्रिया.
जवाब देंहटाएंआपका ये सुझाव बढ़िया लगा की इसे बच्चों को गिफ्ट किया जाये !
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंपुस्तक और प्रयास का आगाज़ अच्छा लग रहा है।
जवाब देंहटाएंजानकारी के लिए, शुक्रिया।
Bachchon ke liye upyogi Gift.
जवाब देंहटाएंSundar Pustak.
जवाब देंहटाएंमहामूर्ख दरबार में, लगा अनोखा केस
जवाब देंहटाएंफसा हुआ है मामला, अक्ल बङी या भैंस
अक्ल बङी या भैंस, दलीलें बहुत सी आयीं
महामूर्ख दरबार की अब,देखो सुनवाई
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस सदा ही अकल पे भारी
भैंस मेरी जब चर आये चारा- पाँच सेर हम दूध निकारा
कोई अकल ना यह कर पावे- चारा खा कर दूध बनावे
अक्ल घास जब चरने जाये- हार जाय नर अति दुख पाये
भैंस का चारा लालू खायो- निज घरवारि सी.एम. बनवायो
तुमहू भैंस का चारा खाओ- बीवी को सी.एम. बनवाओ
मोटी अकल मन्दमति होई- मोटी भैंस दूध अति होई
अकल इश्क़ कर कर के रोये- भैंस का कोई बाँयफ्रेन्ड ना होये
अकल तो ले मोबाइल घूमे- एस.एम.एस. पा पा के झूमे
भैंस मेरी डायरेक्ट पुकारे- कबहूँ मिस्ड काल ना मारे
भैंस कभी सिगरेट ना पीती- भैंस बिना दारू के जीती
भैंस कभी ना पान चबाये - ना ही इसको ड्रग्स सुहाये
शक्तिशालिनी शाकाहारी- भैंस हमारी कितनी प्यारी
अकलमन्द को कोई ना जाने- भैंस को सारा जग पहचाने
जाकी अकल मे गोबर होये- सो इन्सान पटक सर रोये
मंगल भवन अमंगल हारी- भैंस का गोबर अकल पे भारी
भैंस मरे तो बनते जूते- अकल मरे तो पङते जूते