पैसों के चक्कर में इंसान क्या—क्या न कर गुजरें, इसकी ताजा मिसाल लखनऊ बाराबंकी स्थित रेठ नदी के तट पर देखने को मिल रहा है। गोमती की सहायक न...
पैसों के चक्कर में इंसान क्या—क्या न कर गुजरें, इसकी ताजा मिसाल लखनऊ बाराबंकी स्थित रेठ नदी के तट पर देखने को मिल रहा है। गोमती की सहायक नदी रेठ, इटौंजा से निकलकर बाराबंकी होते हुए गोमती नदी में मिल जाती है। लखनऊ स्थित लखनऊ—कुर्सी रोड पर गुग्गौर गांव के पास बने एक इंजीनियरिंग कॉलेज को लाभ पहुंचाने के लिए उ.प्र. राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआईडीसी) के इंजीनियरों ने ऐसा खेल खेला, जिसकी सपने में भी उम्मीद नहीं की जा सकती थी।
पिंजरे में कैद नदी
यूपीएसआईडीसी के अधिकारियों ने इंजीनियरिंग कॉलेज को फायदा पहुंचाने के लिए नदी की 1250 मीटर लम्बाई को पक्का करने का प्रोजेक्ट पास कर डाला और 25 मीटर चौडी नदी को 12 मीटर के नाले में तब्दील कर दिया। 2010 से चल रहे इस खेल में यूपीएसआईडीसी ने नदी को पक्का करने के लिए 17 करोड़ रूपये खर्च कर दिये, जिसमें में 10 करोड़ रू0 तो इंजीनियरिंग कॉलेज के पास स्थित नदी को ऊपर से कवर करने में खर्च हुए।
इस खेल से पूरा करने के लिए यूपीएसआईडीसी के इंजीनियरों ने नदी को नाला बताकर उसको कवर करने का नक्शा आईआईटी से पास करवा लिया। बताया जाता है कि इससे इंजीनियरिंग कॉलेज को नदी किनारे की 8 एकड़ जमीन को कब्जाने का अवसर मिल गया है।
कवर करने के दुष्परिणाम
कोई भी नदी अपने प्राकृतिक स्वरूप में अपनी मनमर्जी से बहती है। लेकिन जब उसके बहाव में जबरदस्ती बदलाव किया जाता है, अथवा बाधा उत्पन्न की जाती है, तो उसका प्रकोप किसी न किसी रूप में देखने को मिलता है। रेठ नदी को नाले के रूप में बदलने का खामियाजा पिछले साल बारिश में देखने को मिला था, जब उसकी बाढ़ Flood की चपेट में दो दर्जन गांव ही नहीं उत्तर भारत का पॉवर ग्रिड भी आ गया था।
पिंजरे में कैद नदी
# रेठ नदी की जेल # |
इस खेल से पूरा करने के लिए यूपीएसआईडीसी के इंजीनियरों ने नदी को नाला बताकर उसको कवर करने का नक्शा आईआईटी से पास करवा लिया। बताया जाता है कि इससे इंजीनियरिंग कॉलेज को नदी किनारे की 8 एकड़ जमीन को कब्जाने का अवसर मिल गया है।
कवर करने के दुष्परिणाम
कोई भी नदी अपने प्राकृतिक स्वरूप में अपनी मनमर्जी से बहती है। लेकिन जब उसके बहाव में जबरदस्ती बदलाव किया जाता है, अथवा बाधा उत्पन्न की जाती है, तो उसका प्रकोप किसी न किसी रूप में देखने को मिलता है। रेठ नदी को नाले के रूप में बदलने का खामियाजा पिछले साल बारिश में देखने को मिला था, जब उसकी बाढ़ Flood की चपेट में दो दर्जन गांव ही नहीं उत्तर भारत का पॉवर ग्रिड भी आ गया था।
कैसे सामने आया यह मामला
पिछले तीन सालों से नदी को नाला बनाने का यह खेल यूं ही चलता रहता, अगर फतेहपुर के तहसीलदार ए.के. मिश्रा ने लेखपाल को नोटिस देकर इसके बारे में न पूछा होता। तहसीलदार की नोटिस के बाद सामने आए इस खेल से सिंचाई विभाग से लेकर शासन तक हडकंप मचा हुआ है। फिलहाल सिंचाई विभाग के सचिव ने इसकी जांच की जिम्मेदार शारदा सहायक के मुख्य अभियन्ता लखन लाल गुप्ता को सौंपी है। उनका कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और पक्के निर्माण को ध्वस्त किया जाएगा।
अब लाख टके का सवाल यह है कि कब यह जांच पूरी होती है और कब इसके दोषियों को सजा दिलाकर नदी को उसका प्राकृतिक स्वरूप वापस मिल पाता है? (चित्र साभार-हिन्दुस्तान)
Bade sharam ka vishay hai, lalach jo na karvae.
जवाब देंहटाएंNupur