''जाकिर बाबा सच्चे वली हैं। सच्चे मन से जो कोई उनके दरबार में जाता है, उसकी मन की हर इच्छा पूरी हो जाती है। मन के सारे क्लेश मिट...
''जाकिर बाबा सच्चे वली हैं। सच्चे मन से जो कोई उनके दरबार में जाता है, उसकी मन की हर इच्छा पूरी हो जाती है। मन के सारे क्लेश मिट जाते हैं और परिवार में सुख शान्ति आ जाती है। इसीलिए मैं तो हर साल बाबा की दरगाह पे हाजिरी लगाने जरूर जाता हूँ।''
उक्त वचन सुनकर मेरे कान खड़े हो गये। उस वक्त मैं उन्नाव जिले की पुरवा कस्बे के बाजार में खड़ा था। पुरवा में मेरे कई रिश्तेदार रहते हैं। उन्हीं में से एक के घर में शादी होने के कारण मैं वहॉं गया हुआ था।
जो व्यक्ति जाकिर बाबा के बारे में बता रहा था, वह कोई स्थानीय व्यक्ति प्रतीत हो रहा था। जब उसने देखा कि मेरा ध्यान उसकी ओर ही है, तो शायद वह झेंप गया और अपने साथी से विदा लेकर चुपचाप आगे बढ़ गया।
ज़ाकिर बाबा की दरगह लखनऊ जिले की मोहनलालगंज तहसील से उन्नाव जाने वाली रोड पर कालूखेड़ा बाजार से बाईं ओर लगभग 3 किमी0 की दूरी पर स्थित मुसण्डी ग्राम में है। मुसण्डी मेरा ननिहाल है, इसलिए वहॉं के लोगों को मैं अच्छे से जानता हूँ।
अभी सात-आठ साल पहले की बात है, जब जाकिर बाबा अपने गॉंव में अपने दरवाजे पड़े तखत पर खांसा-खंखारा करते थे। वे एक आम आदमी थे। जुमा-जुमा नमाज पढ़ लेते थे, कभी-कभी रोजा भी रख लेते थे, पर गालियॉं दिल खोल कर दिया करते थे।
पर वक्त का कुछ ऐसा पासा पलटा कि उनके लड़के बम्बई चले गये। देखते ही देखते उन्होंने भिण्डी बाजार इलाके में एक अच्छा खासा होटल ले लिया और गॉंव में उनका अच्छा रौब-दाब हो गया।
लगभगआठ साल पहले जब जाकिर बाबा का इन्तेकाल हुआ, तो गॉंव में विशेष रूप से कोई दु:खी भी नहीं हुआ। हॉं, बस इतना फर्क पड़ा कि आम आदमियों की कब्र जहॉं कच्ची बनाई जाती है, जाकिर बाबा के लडकों ने उनकी पक्की कब्र बनवा दी।
साल बीतते हवा में यह अफवाहें तैरने लगीं कि जाकिर बाबा के लड़के उनकी कब्र पर उर्स करवाऍंगे। जिसने भी इसे सुना उसके हाठों पर उपहासात्मक हंसी तैर गयी। कारण जो व्यक्ति पेशाब करने के बाद इस्तेन्जा (पानी से पेशाब के स्थान को धुलना) भी न लेता हो, उसे वली बनाने की बात थी। लेकिन अगला साल आते-आते अफवाहें रंग ले आईं और आस-पास के इलाकों में यह लाउडस्पीकर पर उर्स की मुनादी की जाने लगी।
और वह दिन भी आ गया, जिसकी उम्मीद नहीं थी। जाकिर बाबा की कब्र के पास 30-40 दुकानें सजी हुई थीं। उनके चारों ओर कव्वालों का जमावड़ा लगा हुआ था। यह सब देखने के लिए उत्सुकतावश 100-50 गॉंव वाले वहॉं जमा हो गये थे।
और जब स्थानीय सांसद मा0 रीना चौधरी ने आकर उर्स का उदद्याटन किया, तो उन्होंने जाकिर बाबा की शान में एक दस मिनट का लच्छेदार भाषण भी दे डाला। साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा कर दी कि जल्दी ही जाकिर बाबा की दरगाह को मोहनलालगंज-पुरवा रोड से पक्की सड़क द्वारा जोड़ दिया जाएगा। उसके बाद उन्होंने कुछ गरीब लोगों को कंबल आदि भी बॉंटे।
वैसे यह था तो जाकिर बाबा के लड़कों की राजनीतिक पहुंच का कमाल, पर अगला उर्स आने के पहले ही वह गॉंव तक सड़क बन कर तैयार भी हो गई। अब हर साल वहॉं पर मुसण्डी में जाकिर बाबा का सालाना उर्स लगता है। उर्स में सैकड़ों का मजमा लगता है, पचासों दुकानें सजती हैं, तमाम कंबल वगैरह बॉंटे जाते हैं। और इस तरह कभी जाकिर बाबा वली साबित हो गये हैं। अब लोग उनकी 'दरगाह' पर श्रद्धा से शीश नवाते हैं, चादर चढ़ातें और मुरादें मांगते हैं।
लोगों का कथन है कि जिसने भी यहॉं पर दिल से सिर झुकाया, उसने मनचाहा वर पाया। हमारे देश की धरती पर लोगों को धर्म और आस्था के नाम पर कैसे बेवकूफ बनाया जाता है, और फिर उनका अनुचित दोहन किया जाता है, ग्राम मुसण्डी, पोस्ट कंचनपुर, जिला उन्नाव स्थित जाकिर बाबा की दरगाह इसका जीता-जागता उदाहरण है।
अब आप पूछेंगे कि जाकिर बाबा को महिमामण्डित करके उनके लड़कों ने क्या गलत काम किया? तो इसका जवाब है हॉं। सुनने में आ रहा है कि उनके लड़के अब वहॉं पर विधायक का चुनाव लड़ने वाले हैं। उन्हें उम्मीद है कि जब जाकिर बाबा सैकड़ों लोगों की मुरादें 'पूरी करते हैं', तो क्या उनकी यह छोटी सी इच्छा अधूरी रह जाएगी?
नोट- कृपया इसे कहानी न समझें, यह हमारे देश की विडम्बनाओं की जीती-जागती तस्वीर है।
चित्र- साभार गूगल सर्च।
चित्र- साभार गूगल सर्च।
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Bahut badhiya......aabhar aapka.
जवाब देंहटाएंएक ब्लॉग जगत के जाकिर बाबा अब एक ये जाकिर बाबा -जुलुम है भाई जुलुम
जवाब देंहटाएंहाँ यह स्थिति बन गयी है. अज्ञानतावश कहने के बदले बेवकूफी कहना लाज़मी होगा. हमने भी एक पागल को देखा था. अब उसकी भी मज़ार है और उर्स होता है. एक खँडहर में जहाँ कुत्ते, बिल्ली, घोड़े, गधे निवृत्त होते थे वह शक्ति पीठ बन गयी है. यह हिदोस्तान है.
जवाब देंहटाएंमेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरा मोती
जवाब देंहटाएंअब जाकिर बाबा की मजार भी यह सब उगल रही होगी...
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जवाब देंहटाएंकुल जमा चालीस दोस्त साथ दें तो क्यों ना एक वसीयत अपनी भी कर जाऊं :)
जवाब देंहटाएंachchi or nyi jankari ke liyen mubark ho. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंवास्तव में अपने देश में अगर एक ठेले पर चार व्यक्ति खड़े हो जाएँ तो बाकि के भी सभी लोग वही खड़े हो जाते है चाहे उस ठेले का माल अच्छा हो या घटिया , यही स्थिति अन्य हर जगह है,
जवाब देंहटाएंdabirnews.blogspot.com
जय हो :)
जवाब देंहटाएंज़ाकिर भाई, तुसी दिल खुश कर दित्ता !!!
जवाब देंहटाएं@ अली भाई
जवाब देंहटाएंहम तो हमेशा से ही आपके साथ हैं . कहिए तो अभी से ही जयकारा भी लगाए देते हैं..जय बाबा अली शाह :)
हा हा, टाइटल पढ़कर पहले तो हम समझे थे कि हमारे जाकिर भाई ने "मियाँ बाबा बंगाली" स्टाइल का काम तो नहीं शुरु कर दिया।
जवाब देंहटाएंये फर्जी पीरों की मजारें तो "गाँव-गाँव/शहर-शहर की कहानी है"। इससे भी बड़ी बेवकूफी तो मैंने एक बार देखी जब हमारे एक मित्र एक फैक्ट्री बनवा रहे थे तो एक कोने में मिस्त्री से कुछ ईटें लगवाकर चूबतरा सा बनवा रहे थे, हमने पूछा तो बोले पीर का स्थान बना रहे हैं। मैने कहा जब यहाँ कोई पीर/फकीर की कब्र ही नहीं तो स्थान कैसे और क्यों तो बोले कि इसको बनाने से फैक्ट्री में कोई नुकसान वगैरा नहीं होगा। मुझे समझ नहीं आया कि कुछ ईटों का चबूतरा बना देने से उसमें पीर कैसे आ जायेगा। वैसे भी इस्लाम में मूर्ति-पूजा की मनाही है तो किसी चबूतरे में पीर की भावना कैसे की जा सकती है।
कई बार तो ऐसी "दरगाहों" के नीचे कोई कब्र होती ही नहीं, लोग-बाग चबूतरा बनाकर नीली चादर डालकर उसे पीर की मजार घोषित कर देते हैं। ऐसे कार्यों का उद्देश्य अक्सर जगह का अतिक्रमण होता है।
Agree with Epandit !!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंज़ाकिर बाबा की जै हो। आपको व परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंभारत मे बेवकुफ़ो की कमी थोडे हे,बनाने वाला चाहिये बनने वाले बहुत हे, यह साई बाबा कोन हे?टी वी पर आने वाले साधू संत, ऎयर कंडिशन कारो ओर घरो मे रहने वाले संत फ़कीर कोन हे.....
जवाब देंहटाएंis dunia main aisa bahut kuch hua kerta hai. ham sabke ilm main yh baat lane ka shukriya
जवाब देंहटाएंsundar rahasya-udghaatan .shukria.
जवाब देंहटाएंहजारों लाखों ऐसे स्थान हैं इस देश में जहाँ जा कर लोग बेवकूफ बनते हैं।
जवाब देंहटाएंदीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!
आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को दीपावली पर्व की ढेरों मंगलकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंयहाँ ऐसा ही होता है, अगर जिन्दा आदमी एक गिलास पानी मांगे तो उसको पहले अपने काम निबटा लें तब देते हैं और मरने के बाद तो चार लोग kahenge की उनके बेटों ने क्या शान से अंतिम संस्कार किया या फिर कैसी बढ़िया कब्र बनवाई है. सो भाई ये लोग मरने वाले का ज्यादा सम्मान करते हैं .
जवाब देंहटाएंजीते जी भी राजनीति और मरने वाले की कब्र पर भी राजनीति. ये हमारे देश की अशिक्षा और अन्धविश्वास का नतीजा है.
Bahut badhiya......aabhar aapka.
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