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तो इससे क्या शकुंतला देवी का गणित ज्ञान झूठा होजाता है ....?????????????
जवाब देंहटाएंविचारनीय मुद्दा।
जवाब देंहटाएंशकुंतला देवी के बारे मे कुछ नही कहुंगा!
जवाब देंहटाएंलेकिन मानव मस्तिष्क एक जटिल रचना है और इसमे कई ऐसी खूबीया है जो इसे कम्फ्युटर से बेहतर और तेज बनाती है।
उदा : १.बुद्धिमत्ता , कम्युटर मे अभी तक कृत्रिम बुद्धिमत्ता उत्पन्न नही हो पायी है।
२. कम्प्युटर दिये गये निर्देशो का पालन करता है, परिस्थिति अनुसार निर्णय नही ले पाता है।
३. स्मरण क्षमता : मानव मस्तिष्क की स्मरण क्षमता बेजोड़ है, इतने छोटे आकार के उपकरण मे पता नही कितने टेरा टेरा टेरा बाईट का डेटा रहता है, वह भी तुरंत उपलब्ध!
४. भावनात्मक निर्णय : कंप्युटर शायद ही इसे ग्रहण कर पाये।
५.डीप ब्लू द्वारा एक विवादास्पद मैच मे गैरी कास्परोव को हराने के अलावा अभी तक सभी मैचो मे मानव का पलड़ा ही भारी रहा है!
६. मल्टी टास्कींग : मानव मस्तिष्क पता नही कितने सारे कार्य एक साथ करता है, शरीर की हर गतिविधियो को वह एक साथ नियंत्रित करता है, सोचने और देखने के अतिरिक्त ! आप चलते हुये सोचते हुये देखते है,सांस लेते है, हृदय धड़कता है... कम्प्युटर को वास्तविक मल्टीटास्किंग के लिए हर कार्य के लिए एक अलग प्रोसेसर चाहीये होता है।
७.मस्तिष्क मे हार्डवेयर और साफ्टवेयर एक साथ मिश्रीत है और साफ्टवेयर अपने आप अपग्रेड होते रहता है!
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मनुष्य का मस्तिष्क कंप्यूटर से आगे है औऱ सदैव रहेगा। कंप्यूटर तो उस का सहायक मात्र है।
जवाब देंहटाएंआशीष जी, इस महत्वपूर्ण जानकारी के लिए आभार। पर जहां तक शकुंतला देवी की बात है, इस तरह के लोग किसी खास टाइप के सवालों को ट्रिक के सहारे हल करके स्वयं को कम्प्यूटर से तेज गणना करने का ढोंग करते हैं। जबकि वास्तव में वे ट्रिक का सहारा ले कर लोगों को बेवकूफ बना रहे होते हैं। लेकिन जैसे ही उनसे उस ट्रिक पर फिट न बैठने वाले सवाल पूछे जाते हैं, वे कन्नी काट जाते हैं। इसी तरह का काम चमत्कार दिखाने वाले तथाकथित सिद्ध पुरूष भी करते हैं। इस पोस्ट का उद्देश्य है लोगों को उनके द्वारा इस तरह की जाने वाली चालाकियों से अवगत कराना।
जवाब देंहटाएंकोई भी किसी क्षेत्र में महारत हासिल कर लेता है तो उसे उपयोगी कार्यों में लगाना चाहिए। लेकिन वे इस का उपयोग ठगी के लिए करने लगते हैं। ठगी के हर प्रयास का खुलासा होना चाहिए और उस का दंड भी मिलना चाहिए।
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंशकुंतला देवी, माना की वे कुछ फ़ॉर्मूला का उपयोग कर गणित के प्रश्नों को हल करती हैं, परन्तु प्रतिभा तो है. कम्पुटर तो इंसान ने ही बनाया है. गणित में तो हम निपट गंवार हैं. आपके आलेख के पीछे की भावना का हम कद्र करते हैं.
जवाब देंहटाएंशकुंतला देवी जैसी बेजोड़ ब्लॉगर भी हमारे बीच हैं। यह देखकर प्रसन्नता होती है लेकिन ऐसे लेखक प्रॉपर प्रोत्साहन न मिल पाने के कारण अक्सर बिना कुछ बताए ही ब्लॉग जगत को छोड़कर चले जाते हैं।
जवाब देंहटाएंक्यों छोड़ जाते हैं वे। इसे जानने के लिए आपको जवाब देना होगा इस सवाल का...
आप क्या जानते हैं हिंदी ब्लॉगिंग की मेंढक शैली के बारे में ? Frogs online
mai is trick ko sakuntla devi se pahle aajma chuka hun lekin kisi ne mera computer dimaag nahi bataya balki kisi trick par hi sandeh karte rahe.lekin sakuntla ne doordarshan tak pahunch bana li iske madhyam se wakai me computer se tez dimaag hai sakuntla devi me.
जवाब देंहटाएंशकुंतला देवी हों या आप, ऐसे प्रयासों से कम से कम गणित/विज्ञान जैसे विषयों को मुख्यधारा में तो ला ही रहे हैं. अब दूर तक वही जा सकेगा जिसका नजरिया व्यापक हो.
जवाब देंहटाएंविज्ञान प्रगति में पहले गणित पहेली छपती थीं, क्या आप ऐसी श्रृंखला यहाँ शुरू नहीं कर सकते !
अभिषेक जी, यदि आपकी इस विषय में रूचि हो, तो बात आगे बढ़ सकती है।
जवाब देंहटाएंयह तरीका तो पुराना जाना हुआ है, लेकिन शायद शकुंतला देवी ने भी खुद कहीं इसकी चर्चा की है. पोस्ट का उद्देश्य आपकी टिप्पणी के बाद भी मुझे अच्छी तरह स्पष्ट नहीं हुआ.
जवाब देंहटाएंज़ाकिर जी,
जवाब देंहटाएंअफ़सोस है कि मेरी रूचि सिर्फ़ इन पहेलियों में भाग लेने तक ही सीमित है. :-)
जनाब मै इससे सहमत नहीं. एक ‘रूट ऑफ नाइन’ का सिंधांत लिखकर आपने तमाम गडितगयो को शकुंतला देवी के समक्ष रख दिया ? श्री रामानुजन हॉस्पिटल में बैठ कर एक अजनबी नंबर १७२९ को अनोखा बता देते है. अन्द्रेव विले १० साल लगाकर ४०० साल पुराना सवाल सुलझाते है.. आपको ये सब ट्रिक लगता है क्या ?
जवाब देंहटाएंकुलदीप जी,जी, रामानुज एक विख्यात गणितज्ञ थे, उन्होंने गणित के विकास के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया। जबकि शकुंतला देवी जैसे लोग गणित की एक आध ट्रिक मात्र जानकर स्वयं को सुपर कम्प्यूटर साबित करने का ढोंग करते हैं। यह पोस्ट इसी ढ़ोंग और छद्म ज्ञान के उद्घाटन के लिए लिखी गयी है।
जवाब देंहटाएं@ भाई ! शकुंतला जी जितना भी कर रही हैं कर लेने दीजिए न। हमें तो अपने स्कूल में गणित के नाम से इतना डर लगता था कि हाई स्कूल करते ही बायोलॉजी ले ली और गणित से पिंड छुड़ा लिया लेकिन यह फ़िज़िक्स के रूप में हमसे लिपट गया। फिर हमने बी. एससी. में इससे किसी क़दर नजात पाई। हालांकि केमिस्ट्री में भी यह हमें सताता रहा।
जवाब देंहटाएंमहान है शकुंतला देवी जो गणित में रूचि रखती हैं।
किसी और की पोल खोल लीजिए।
शकुंतला देवी को बख्श दो बाबा।
तर्क वितर्क अच्छे चल रहे हैं और सभी विचारकों को पढने में मज़ा भी आ रहा है .
रचना जी भी काफी कुछ कह रही हैं बिना लाग लपेट के .
http://sb.samwaad.com/
जवाब देंहटाएंhttp://sb.samwaad.com/
जाकिर भाई किसी भी व्यक्ति का चमत्कार पैदा करना इस देश के हित में नहीं है .यह देश तो चला ही करिश्माई लोग रहें हैं करतब दिखा दिखा दिखाके .अलबत्ता कम्यूटर दिमाग की नक़ल इसलिए भी नहीं उतार सकता अभी तो दिमाग का ही अल्पांश लेदे के १० %ही विज्ञानी मनो -विज्ञानी बूझ सकें हैं .आदमी साईबोर्ग हो सकता है साईबोर्ग आदमी नहीं .
ऐसी वैज्ञानिक जागरूकता से ही तथ्यों को जानना संभव होगा जो अंततः विज्ञान की प्रगति में सहायक होगा।
जवाब देंहटाएंबहुत से सवाल फोर्मूलों/ट्रिक्स से जल्दी हल किये जा सकते हैं इसमें कोई शक नहीं मगर सभी सवाल ट्रिक से हल नहीं हो पाते.उन्हें हल करने के लिए कागज और कलम उठाना ही पड़ता है.
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास. पोल खोलने के लिए. पर हो सकता है दिमाग तेज हो.
जवाब देंहटाएंचमत्कार बिल्कुल भी न होने के बावजूद चमत्कार जैसा लगे, इसी को तो गणित कहते हैं।
जवाब देंहटाएंजी मैं आपकी इस बात से बिलकुल भी सहमत नहीं हूँ.
जवाब देंहटाएंअगर ऐसी कोई ट्रिक होती तो वैदिक गणित की हज़ारों किताबें आती हैं, लोगो को आराम से पता होती.
और उन ट्रिक्स को इस्तेमाल कर के भी हिसाब लगाने में वक़्त तो लगता है.
मैंने सुना है शकुंतला देवी ने एक २०१ अंक नंबर का 23rd root सिर्फ ५० सेकंड में निकाल लिया था जब कि कंप्यूटर को १ मिनट लगा था..
क्या आप इस तथ्य को भी झुटला सकते हैं?
योगेश जी, सुनी सुनाई बातों के नाम पर ही हिन्दुस्तान के बडे बडे ढोंगी, तांत्रिक और बाबा मौज मारते हैं और जनता उल्लू बनती है। तस्लीम में ऐसी तमाम पोस्टें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो ट्रिक्स का सहारा लेकर स्वयं को दिव्य ज्ञान सम्पन्न साबित करते रहे हैं। फिर चाहे वह लेडी वंडर हो अथवा असलम बाबा। लेकिन जब ऐसे लोग तर्कशील लोगों के सामने आते हैं, तो भाग खडे होते हैं। लेकिन तब भी उनकी सुनी सुनाई बातें आने वाली कई सदियों तक सुनी और सुनाई जाती रहती हैं। और इसका कोई इलाज भी नहीं है।
जवाब देंहटाएंआखिर कंप्यूटर भी तो मानव मस्तिष्क की ही देन है ।
जवाब देंहटाएंशकुंतला देवी में वह अदभुत स्मणशक्ति तो है ही ।
जाकिर अली रजनीश जी , योगेश जी सही कह रहे हैं (200 अंक की संख्या के 23 मूल के बारे में ) ।GOOGLE पर "शकुंतला देवी " सर्च करें परिणाम पढ़ लें ।
जवाब देंहटाएंगुड sahi bataya aapne
जवाब देंहटाएं