भूत प्रेत और जिन्न की एक सच्ची कहानी।
भूत, प्रेत, जिन्न, शैतान, देवी, पिशाचों के लिए मशहूर है लखनऊ-रायबरेली रोड पर शिवगढ़ रिसोर्ट के पास स्थित गांव मदारीखेड़ा। वहॉं पर गाँव के बाहर स्थित मज़ार पर प्रतिवर्ष उर्स का आयोजन होता है। उस उर्स की खास बात है, आस-पास से आने वाले वे लोग, जिनको भूत प्रेत जिन्न आदि ने पकड़ा होता है। मज़ार पर बैठने वाले मुजाविर उन लोगों को छिल्ला (एक तरह की भूत उतारने की प्रक्रिया) आदि बांधते हैं और दुआ ताबीज़ के द्वारा भूत झाड़ने का उपक्रम करते हैं।
मदारीखेड़ा में हमारे गॉंव के काफी रिश्तेदार होने के कारण मेरा अक्सर वहॉं जाना होता रहा है। जब कभी वहॉं पर उर्स लगता था, तो भूत प्रेत से पीडित लोगों को देखना मेरे लिए एक मनोरंजक उपक्रम हुआ करता था। भूतों की इतनी जबरदस्त वराइटी मुझे और कहीं नहीं देखने को मिली। कोई भूत अपने हाथ पैर हिला रहा है, कोई अपना माथा पटक रहा है, कोई अपने लम्बे बालों को नचा रहा है। हर क्रिया में एक विशेष प्रकार की लय, एक विशेष प्रकार की रिदम।
बड़े बूढ़ों से बात करने पर पता चलता है कि वहॉं पर लोग दूर-दूर से आते हैं। मुजाविर द्वारा छिल्ला बॉंधने के बाद भूत ग्रस्त लोगों को लगातार वहॉं पर आना होता है। कभी-कभी तो हर जुमेरात (ब्रहस्पतिवार) और कभी-कभी हर नौचंदी जुमेरात (माह का एक खास दिन)। सुनने में आता है कि पहले कभी यह सब काम निशुल्क होता था, पर अब बाकायदा इसकी फीस ली जाती है। इसके अतिरिक्त जो भक्त की श्रद्धा हो वह अलग।
भूत प्रेतों के अवलोकन के द्वारा मैंने यह देखा है कि वहॉं पर आने वाले व्यक्ति अति निम्न वर्ग के होते हैं। गंदा सा शरीर, बदन पर फटे पुराने कपड़े और साथ में झोला अथवा धोती की छोटी सी पोटली। भूत ग्रस्त लोगों की चीत्कार और उनके परिजनों द्वारा झोले में से रूपये निकालकर मुजाविर को देते हुए देखना किसी भी संवेदनशील व्यक्ति को द्रवित कर सकता है।
इसके साथ ही साथ मैंने यह भी देखा है कि वहॉं पर जो लोग आते हैं, उनमें जो पुरूष भूत ग्रस्त होते हैं, उनमें ज्यादातर कम उम्र के लड़के ही होते हैं। जबकि महिलाओं में कुंआरी और शादी शुदा तथा वृद्ध सभी आयु वर्ग की महिलाऍं पायी जाती हैं। यदि संख्या की दृष्टि से महिलाओं और पुरूषों की तुलना की जाए, तो लगभग 90 प्रतिशत महिलाऍं और 10 प्रतिशत पुरूष का आंकड़ा बैठता है। इस संयोग को देखकर सहसा मन में यह सवाल आता है कि क्या भूत, प्रेत और जिन्न लोग गरीबों और विशेषकर महिलाओं से प्रेम करते हैं?
ग्रामीण परिवारों की सामाजिक संरचना को देखते हुए मुझे यह क्यों लगता है कि इसका सीधा सम्बंध समाज में महिलाओं की दशा से है। और अगर ऐसा नहीं है, तो फिर भूत लोग पढ़े लिखे और विशेष कर आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न परिवार को अपना निशाना क्यों नहीं बनाते हैं?
लगे हाथ एक उदाहरण मेरे परिवार का भी सुन लें। मेरी सगी मौसी, जो मेरी मम्मी से छोटी हैं की शादी उनके गॉंव में ही एक किसान परिवार में हुई थी। संयोग से मौसा के दोनों छोटे भाई पढ़े लिखे थे और शहर में सरकारी नौकर थे। मेरी मौसी शुरू से थोड़ा सा बोल्ड नेचर की रहीं। पर संयोग से उनकी सास उससे भी बोल्ड निकलीं। और इसका परिणाम यह हुआ कि मौसी के ऊपर कहीं के बाबा आने लगे। जब उनके ऊपर बाबा आते, वे अजीब-अजीब सी आवाज़ें निकालती। उस समय लोग उनके आगे श्रद्धापूर्वक सिर झुकाए खड़े रहते और उनसे अपनी समस्याओं के लिए विनती करते।
यह क्रम कई सालों तक चलता रहा। बाबा के कारण न सिर्फ घर में बल्कि पूरे गॉंव में उनकी इज्जत बढ़ गयी। कुछ समय के बाद मौसी ने अपना मकान बनवा लिया और बच्चों आदि के साथ वहॉं रहने लगीं। आश्चर्य का विषय यह हुआ कि नए घर में जाते ही बाबा भी उनसे विदा हो गये। अब जब भी उनसे उस विषय पर बात होती है, उनके चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान तैर जाती है।
मेरी समझ से समझदार को इशारा काफी। वैसे आप इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या भूत होते हैं? अथवा यह सिर्फ मन भ्रम है? यदि भूत होते हैं, तो क्या आपकी उनसे कभी मुलाकात हुई है? आपके विचारों का हार्दिक स्वागत है।
इस मजार के बारे में मैंने सुना है पर भूत और जिन्न प्यार करते है ये पहली बार पढ़ रहा हूँ . रोचक .
जवाब देंहटाएंइन सारी बातों की जड़ में अशिक्षा और अंधविश्वास है जिसे चालाक लोग भुनाते रहते हैं।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
इसलिए ९० फीसदी महिलाओं पर क्योंकि कमजोर को बलि का बकरा बनाया जाता है। जबकि १० फीसदी बच्चे होते हैं क्योंकि वो भी कमजोर होते हैं।
जवाब देंहटाएंअब जिसकी मुलाकात हुई होगी वह आपको थोड़ा ही बताएगा:))
जवाब देंहटाएंन करते तो भूत बनके परेशान क्यों करते? ;)
जवाब देंहटाएंकाफ़ी रोचक है.
जवाब देंहटाएंरामराम.
जाकिर भाई जब नाम ही मदारीखेड़ा है तो तमाशे तो होंगे ही दूसरे मौसी जी की समझदारी को प्रणाम
जवाब देंहटाएंajab mamla
जवाब देंहटाएंgazab post
अशिक्षा और अंधविश्वास
जवाब देंहटाएंभूत प्रेत अगर होते तो वे भी प्यार कहाँ करते ? फिलहाल तो ज़रूरत है कि इंसान आपस में प्यार करे? और अन्धविश्वास से बाहर निकले
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लोग 'ना जादू ना टोना " देखते रहिये ऐसे ढेर सारे किस्से लेकर आ रहा हूँ यह काम हमे मिल जुल कर करना है
जवाब देंहटाएंअरे यह सब पाखंड है, ऎसे ही ( हमारे यहा अफ़्गानी हिन्दू )लोगो ने एक मंदिर खोला, फ़िर हम भी कभी कभार वहा जाने लगे कि बच्चो को कुछ पता चले, एक दिन अचानक एक ओरत अपने बाल खोल कर अजीब अजीब सी आवाजे निकालने लगी, उस के घर वालो ने शोर मचा दिया देवी आ गई देवी आ गई, ओर लोग जय जय कारे लगाने लगे, ओर उस के चरण छुने लगे तो मेने कहा भाई यह कोई देवी शेवी नही, अगर इस ओरत को कुछ हो गया तो तुम सब यहां जेल मै जाओगे, अरे इसे कोई दोरा पडा है, अगर इस मै कोई देवी है तो मुझे अभी यहां खडे खडे मारे..
जवाब देंहटाएंफ़िर तो सभी भारतीया वहा से चलेगे....
बाबा यह सब बकबास है,
-Reality T.V shows a programme on such stories..they proved in some haunted houses/places in USA that there is some kind of vibrations noticed [on a device]also recorded unclear suspicious images ]at some places in so called haunted houses/places.
जवाब देंहटाएं-No personal experience.
*Cases you have mentioned in your article are all cases of hysteria or some other mental sickness for sure.
-Ghost exists or not....?who knows??BUT No power is stronger than Supreme power i.e. GOD..believe in this only.
लो ! आपने सुना नहीं... 'न उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन' :) हा हा !
जवाब देंहटाएंआपकी समीक्षा बिलकुल सही है.....वर्तमान त्रासद अवस्था को आपने बड़े ही प्रभावपूर्ण और विचारणीय ढंग से रखा है..
जवाब देंहटाएंआज भूत प्रेत के नाम पर धंधा चलने वालों की कमी नहीं...परन्तु यह भी सही है कि समाज में भूत प्रेत की अवधारणा नितांत ही आधारहीन नहीं है.जैसे प्राणियों के चौरासी लाख योनियाँ हैं,वैसे ही प्रेत योनी भी है.
चेतना जब स्थूल शरीर विहीन होकर विचरती है तो उसे भूत प्रेत या जिन्न कहते हैं....यह भी एक योनी है...जबतक चेतना अपने उस शूल शरीर के मोह तथा भोग से मुक्त नहीं होती और नया शरीर प्राप्त नहीं करती प्रेत योनी में रहती है.इन्हें हम अपने स्थूल शरीर की आँखों से नहीं देख पाते.
आपके उदाहरण ने ही काफी कुछ स्पष्ट कर दिया.
जवाब देंहटाएंआपकी समीक्षा बिलकुल सही है. आपका प्रयास बहुत अच्छा है.
जवाब देंहटाएंkoi chance nahi...bhooto par vishvas to hna hi nahi chhaiye...itni minimum samajhdaari to har kisi me honi chhaiye....gaav me thoda waqt lagega abhi
जवाब देंहटाएंwww.pyasasajal.blogspot.com
mano to pathar na mano to bagwan. It totally depends as how u take these thing. If you believe in God you may believe in ghosts too :)
जवाब देंहटाएंवक़्त की कितनी कमी हो गयी है न ..जीते जी इंसान प्यार से रह नहीं पाता सो सोचता होगा कि चलो भूत प्रेत बन ही गए हैं तो यह प्यार का तजुर्बा भी अजमा ले ..इस लिए करने दो जी इन्हें भूत प्रेत बन कर प्यार .:) वैसे बात तो वही है कि मानो तो भगवान न मानो तो कुछ भी नहीं ..अशिक्षा और अंधविश्वास तो है इनके मानने के कारण ..पर कई बार खुद सुविधा से जीने की ललक भी कारण बन सकती है ..आपके दिए उदाहरण में रहस्यमयी मुस्कान तो यही बता रही है :)
जवाब देंहटाएंभई हमने तो भूत-प्रेत देखे हैं.....अगर विश्वास न हो तो यहीं ब्लागजगत में ही देख लीजिए, दसियों भूत तो यहीं मिल जाएगें...:)
जवाब देंहटाएंbina deh ki aatmaye bhoot-pret kehlati hai. jo acchhi aatmaye hoti hai vo logo ka bhal karti hai aur jo buri hoti hai vo bina deh ke bhi burai mei lipat rehti hai.aise kai udahran hai
जवाब देंहटाएंgurbani mei bhi hai-kete bhoot pret sookar mrigach
parmatma ki banai hui is aseem adraishya duniya ki kalpana hamari seema se pare hai..
bhoot pret k astitva ko nakara nahi ja sakta. inki bhi 1 parallel satta hoti hai. kuchh samay pahle mai bhi aisa hi sochata tha ki yeh matra 1 mansik bimari hai. lekin jab mera khud in chiijo se pala pada aur maine is bare me adhyayan kiya to mujhe lf laga ki inki bhi 1 parallel satta hoti hai aur inke astitva ko nakara nahi ja sakta.
जवाब देंहटाएंbhoot hote hain
जवाब देंहटाएंlekin har kisee ko nahin dikhaayi dete.
ek baar hamne bhi dekha tha ped ke upar baad men gaayab ho gaya.
रोचक चल रही है श्रृंखला .
जवाब देंहटाएंभाई आप भी बहुत छांट कर टाईटल रखते हैं. भूत-प्रेत और जिन्न प्यार करते हैं या नहीं यह तो पता नहीं लेकिन ये जरूर देखा है कि इंसान जरूर प्यार में भूत और जिन्न बन जाता है.
जवाब देंहटाएंभूत का मनोविज्ञान बहुत हद तक आपने स्वयं ही स्पष्ट कर दिया है.
ये भूत-पिशाच लोग पढ़े लिखे और सभ्रांत परिवार से दूर क्यों भागते हैं, उन्हें अपना शिकार क्यों नहीं बनाते हैं ?
मेरी नजर में भूत-प्रेत महज मन का खेल है !
जवाब देंहटाएंएक टीवी चैनल में भूत-प्रेत-जिन्न, से सम्बंधित एक घंटे का प्रोग्राम आता है ! अलग-अलग एपिसोड में कभी किसी भूतग्रस्त खंडहर / हवेली / महल का जिक्र होता है ! लाखों लोग टकटकी लगाए ऐसे कार्यक्रम अत्यंत कौतूहल से देखते हैं ! सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब कार्यक्रम ख़त्म होने में सिर्फ एक मिनट रह जाता है तो स्पष्ट किया जाता है कि न्यूज चैनल की टीम वहां गयी और छान-बीन की तो भूत-प्रेत सम्बन्धी घटनाओं की पुष्टि नहीं हुयी ! अब आप बताईये ५९ मिनट तक सनसनी फैलाने के बाद इस तरह की सफाई देना क्या न्यायोचित है ?
अब मैं आपसे पूछता हूँ कि अगर भूत-प्रेत होते हैं तो उनके मिलने का सबसे विश्वसनीय अड्डा कहाँ होगा ?
मेरे ख्याल से तो कब्रिस्तान होना चाहिए !
मेरी ऐसे बहुत लोगों से मुलाक़ात हुयी जिनकी कई पीढियां ही कब्रिस्तान में रहती आई हैं !
जैसे लखनऊ -डालीगंज के कब्रिस्तान में रहने वाले "गददन" से, जिसकी पिछली चार पीढियां यहीं कब्रिस्तान में रहती आई हैं ! उसको या उसके परिवार (जो कि कब्रिस्तान में ही रहती है) के किसी सदस्य को आज तक किसी भूत-प्रेत-चुडैल के दर्शन नहीं हुए ! उसके परिवार के बच्चे तो दिन-रात कब्रों के ऊपर ही खेलते रहते हैं !
ऐसा ही हाल भैसकुंड में रहने वाले जगदीश का
है !
लखनऊ के अलावा भी कई शहरों के कब्रिस्तान में रहने वाले या आस-पास रहने वाले लोग भूत-प्रेत की घटना से इनकार करते हैं ! कोई एक-आध व्यक्ति कुछ बताता भी है तो थोडा कुरेदने से ही स्पष्ट हो जाता है कि वो हवा-हवाई रोमांच बताकर स्वयं को "विशेष" दर्शाना चाहता है !
एक समय था कि बरेली के बहेड़ी बाबा भारत के सबसे बड़े भूत-प्रेत विशेषज्ञ माने जाते थे ! बोतलों में भूत और जिन्न को पकड़कर अपने कब्जे में रखते थे ! उनसे मिलने के लिए वहीँ डेरा ज़माना पड़ता था तब कहीं ६-७ दिन बाद मिलने का नंबर आता था ! बाद में क्या हुआ बाबा जी का ?
छापा पड़ा .... पोल खुली तो आ गया सच सामने !
पहले के टाईम लोगों के पास मनोरंजन के नाम पर क्या था ? न रेडियो....न टीवी .. न अखबार ... अगर मनोरंजन था तो सिर्फ बतकही .... किस्सागोई ! एक से एक किस्से ...... बहराईच के एक वृद्ध सज्जन ने बताया कि उन्होंने चुडैल का बाल अपने पास रख लिया .... चुडैल बहुत गिड़गिडायी ... बहुत तडपी ... लेकिन उन्होंने बाल नहीं दिया बल्कि शर्त रख दी कि उनके बाग़ का मसला सुलटाओ (कुछ विवादग्रस्त थी जमीन) .......बस चुडैल मरती न क्या करती .... एक हफ्ते में ही मामला सुलझ गया, तब उन्होंने चुडैल के बाल वापस किये !
मिर्जापुर में एक शख्स मिले थे ... उनका तो कहना था कि उन्होंने अपनी छत पर रात में दो घंटे तक भूत से कुस्ती लड़ी थी ... कभी भूत ऊपर तो कभी वो भूत के ऊपर .....
तो जाकिर भैया बस ऐसे ही किस्से हैं !
आपकी मौसी की घटना का मनोवैज्ञानिक विवरण पढ़ा तो मुझे याद आया ..... बचपन में इलाहबाद में खुल्दाबाद और चकिया के आगे आज जहाँ राजरूपपुर विकसित हो चूका है, वहां क्रिकेट खेलने जाते थे तो खुल्दाबाद में यह नजारा आम था ! आये दिन ही किसी न किसी घर की महिला के ऊपर 'भूत' की छाया आती थी या 'मैया' सवार हो जाती थी !
हम लोगों के लिए फ्री का मनोरंजन !
भैया लगता है प्रतिक्रिया लम्बी हो गयी ...... फिर मिलते हैं !!
प्रकाश जी, इस श्रृंखला को शुरू करने का उददेश्य ही है लोगों को इन मुददों पर विचार के लिए प्रेरित करना। हालॉंकि ज्यादातर प्रतिक्रियाएं तो काम चलाउ हैं, पर कुछ लोग मन से लिख रहे हैं। इससे एक तरह का सर्वे भी हो रहा है कि ब्लॉग जगत में कितने लोग ऐसे हैं, जो इन सबको मानते हैं और कितने नहीं। आप खुले मन से अपने विचार रख रहे हैं, अपने अनुभवों को हमारे साथ बांट रहें हैं, यह देख कर अच्छा लग रहा है। इस हेतु आप सबका हार्दिक आभार।
जवाब देंहटाएंaisa hai to hindu dharam mei shradh kyon kiye jate hai aur marne par tareh tareh ki kriyaye kyon ki jati hai? kya aap logo ne kisi ne apne poorvaj ko dekha hai?
जवाब देंहटाएंmai ithana zaroor jaantha hon k SHRADH karna,ya POORVAJ ko dekna,issey jinnath ka koi lagaw nahee.
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