लवली जी ने पहेली पूछते ही दन से उत्तर दिया कि पक्षी नीलकंठ है .साथ ही उहोने यह भी जोड़ा जवाब में कि उसे तो कोई बेवकूफ भी बता देगा...
लवली जी ने पहेली पूछते ही दन से उत्तर दिया कि पक्षी नीलकंठ है .साथ ही उहोने यह भी जोड़ा जवाब में कि उसे तो कोई बेवकूफ भी बता देगा . मुझे थोड़ी ग्लानि सी हुई कि कैसा बेवकूफों का सा सवाल पूंछ लिया मैंनेकि यंग लेडी ने पूछते ही हड़का लिया ! मैं कुछ आगे की सोच ही रहा था कि लवली जी को इतने तल्ख़ जवाब पर शायद कुछ सेल्फ अवेकनिंग हुई और उन्होंने बिना देर किए मामले को एक सुन्दर मोड़ देकर विजय दशमी की शुभकामनाएं दे डालीं , उन सभी को जो प्रकारांतर से इस पहेली का जवाब देते ही बेवकूफों श्रेणी में आने वाले थे .जाहिर है एक प्रत्युन्मति पहल से मामला सलट गया -वातावरण सद्भावपूर्ण हो गया। शुक्रिया लवली जी !!
रंजना जी ने पिछला भूल सुधार कर नीलकंठ कोपहचाना -अब याद रखियेगा रंजू जी ! महेंद्र मिश्रा जी ने इक सुंदर कविता भी नीलकंठ पर सुनाई और मध्यप्रदेश में इस पक्षी से से जुड़े लोकाचारों की चर्चा की .समीर जी ने अपने तिहरे जवाब में भी इसे नीलकंठ ही कहा -वैज्ञानिक नाम तक दे डाला -सही जवाब के लिए तो एक ही उत्तर काफी था -पर इन दिनों समीर जी इतना अधीर से और सशंकित से क्यों रहते हैं यह शोध का विषय हो सकता है -कुछ नए नवेले /नवेलियाँ इस विषय पर ब्लागिंग कर सकते /सकती हैं -या कोई राज खोल सकते /सकती हैं ।
विवेक गुप्ता जी ने सीधे मतलब की बात की और विजय दशमी की बधाई दे डाली -जिस उद्द्येश्य के लिए वस्तुतः यह पहेली लाई गयी थी .अनिल पुसदकर साहब ने भी नीलकंठ कहा .ज्ञानदत्त जी ने भी खूब पहचाना -नीलकंठ के सरक्षण की आवाज भी बुलंद की .ज्ञान जी धार्मिक कारणों से तो इसे अभयदान मिला ही हुआ है -धर्म और सरंक्षण की जो मिसाल भारत में है वह कहीं और दुर्लभ है .यह पक्षी अगर अब कम दिखता है तो कारण है इसके पर्यावास का विनाश !
पारुल जी ने महेंद्र जी की अधूरी कविता पूरी की और विजय दशमीं की शुभकामनाएं भी दीं .अब उन्होंने अपने बगीचे का उल्लेख न जाने क्यों कम कर दिया है जब कि मैं ,ज़ाकिर और स्वयम समीर जी इसके श्रवण के लिए लालायित रहते हैं .और पारुल जी यह जानती भी हैं .लावण्या जी ने विजय पर्व की बधाई दी ।
लेकिन मैं बहुत आभारी हूँ भूत भंजक जी का जिन्होंने पहेली के उद्द्येश्य को सही परिप्रेक्ष्य में लिया और विजय पर्व पर इसके देखने के माहात्म्य को भी बिल्कुल सही बताया -राम से जुड़े आयोजन पर उनके आराध्य की प्रतिकृति का दर्शन क्यों ना लाभकर हो !! भगवान् शंकर भी तो नीलकंठ ही हैं ना !डाक्टर अमर कुमार जी तो भाई अजबई गजबै हैं -उनकी उत्तर मीमांसा तो सदैव एक बड़े विमर्श की मांग करती है -पर मैं यह कहता हूँ सदैव नग्न तार्किकता मनुष्य से उसकी मानवता छीन भी लेती है शायद -अनुष्ठानों को पारम्परिक मुग्धता और उल्लास से मनाये जाने का मैं हिमायती हूँ -हर जगह तर्क का खंजर घुसेड़ते रहने से मजा बेमजा हो जाता है -हाँ विवेक का इस्तेमाल हो पर बहुत बारीक तरीके से -सुन रहे हैं ना डॉ साहब ? अफ़सोस कि ज़ाकिर भाई ने भी इस पहेली के औंधे मुंह धडाम से गिरने की बात ही कही -पूरे परिप्रेक्ष्य से जुड़ नहीं पाये -यह भी जल्दीबाजी की युवा प्रतिक्रया रही -जीशान जी का हमेशा एक्सपर्ट कमेन्ट ही आता है -अब एक्सपर्ट कमेन्ट क़या होते हैं सब जानते ही हैं -हमेशा तथ्य से दूर औरनिरर्थक .सीमा गुप्ता जी भी देर से आयीं मगर दुरुस्त जवाब के साथ आयीं !
अशोक पाण्डेय जी ने बहुत बढियां समापन किया ,
आप सभी ने इस पक्षी दर्शन आयोजन में भाग लिया -सभी का ह्रदय से सादर आभार !
रंजना जी ने पिछला भूल सुधार कर नीलकंठ कोपहचाना -अब याद रखियेगा रंजू जी ! महेंद्र मिश्रा जी ने इक सुंदर कविता भी नीलकंठ पर सुनाई और मध्यप्रदेश में इस पक्षी से से जुड़े लोकाचारों की चर्चा की .समीर जी ने अपने तिहरे जवाब में भी इसे नीलकंठ ही कहा -वैज्ञानिक नाम तक दे डाला -सही जवाब के लिए तो एक ही उत्तर काफी था -पर इन दिनों समीर जी इतना अधीर से और सशंकित से क्यों रहते हैं यह शोध का विषय हो सकता है -कुछ नए नवेले /नवेलियाँ इस विषय पर ब्लागिंग कर सकते /सकती हैं -या कोई राज खोल सकते /सकती हैं ।
विवेक गुप्ता जी ने सीधे मतलब की बात की और विजय दशमी की बधाई दे डाली -जिस उद्द्येश्य के लिए वस्तुतः यह पहेली लाई गयी थी .अनिल पुसदकर साहब ने भी नीलकंठ कहा .ज्ञानदत्त जी ने भी खूब पहचाना -नीलकंठ के सरक्षण की आवाज भी बुलंद की .ज्ञान जी धार्मिक कारणों से तो इसे अभयदान मिला ही हुआ है -धर्म और सरंक्षण की जो मिसाल भारत में है वह कहीं और दुर्लभ है .यह पक्षी अगर अब कम दिखता है तो कारण है इसके पर्यावास का विनाश !
पारुल जी ने महेंद्र जी की अधूरी कविता पूरी की और विजय दशमीं की शुभकामनाएं भी दीं .अब उन्होंने अपने बगीचे का उल्लेख न जाने क्यों कम कर दिया है जब कि मैं ,ज़ाकिर और स्वयम समीर जी इसके श्रवण के लिए लालायित रहते हैं .और पारुल जी यह जानती भी हैं .लावण्या जी ने विजय पर्व की बधाई दी ।
लेकिन मैं बहुत आभारी हूँ भूत भंजक जी का जिन्होंने पहेली के उद्द्येश्य को सही परिप्रेक्ष्य में लिया और विजय पर्व पर इसके देखने के माहात्म्य को भी बिल्कुल सही बताया -राम से जुड़े आयोजन पर उनके आराध्य की प्रतिकृति का दर्शन क्यों ना लाभकर हो !! भगवान् शंकर भी तो नीलकंठ ही हैं ना !डाक्टर अमर कुमार जी तो भाई अजबई गजबै हैं -उनकी उत्तर मीमांसा तो सदैव एक बड़े विमर्श की मांग करती है -पर मैं यह कहता हूँ सदैव नग्न तार्किकता मनुष्य से उसकी मानवता छीन भी लेती है शायद -अनुष्ठानों को पारम्परिक मुग्धता और उल्लास से मनाये जाने का मैं हिमायती हूँ -हर जगह तर्क का खंजर घुसेड़ते रहने से मजा बेमजा हो जाता है -हाँ विवेक का इस्तेमाल हो पर बहुत बारीक तरीके से -सुन रहे हैं ना डॉ साहब ? अफ़सोस कि ज़ाकिर भाई ने भी इस पहेली के औंधे मुंह धडाम से गिरने की बात ही कही -पूरे परिप्रेक्ष्य से जुड़ नहीं पाये -यह भी जल्दीबाजी की युवा प्रतिक्रया रही -जीशान जी का हमेशा एक्सपर्ट कमेन्ट ही आता है -अब एक्सपर्ट कमेन्ट क़या होते हैं सब जानते ही हैं -हमेशा तथ्य से दूर औरनिरर्थक .सीमा गुप्ता जी भी देर से आयीं मगर दुरुस्त जवाब के साथ आयीं !
अशोक पाण्डेय जी ने बहुत बढियां समापन किया ,
आप सभी ने इस पक्षी दर्शन आयोजन में भाग लिया -सभी का ह्रदय से सादर आभार !
'is puzzle se jyada mjedaar aapka interogation rha, very nicely presented, enjoyed reading it... and congrates to all the winners..'
जवाब देंहटाएंregards
बधाई लवली जी ..
जवाब देंहटाएंअब तो आप की पहेली में शामिल होने से डर लगने लगा है। बडी कस के क्लास लेते हैं आप। कहीं पहेलियों के कमेण्ट होने का एक यह कारण भी तो नहीं?
जवाब देंहटाएंबहरहाल, सभी लोगों को विजेता बनने की बधाई।
Lo ji bhai, sabko badhayi.
जवाब देंहटाएंVigyan chetna ke is blog men is tarah (बिना किसी तर्क वितर्क के इस पक्षी का भरपूर नेत्रों से दर्शन कर लें)ki baaten kya andhvishwaas ko badhaava nahi detee?
जवाब देंहटाएंSirf neelkanth naam hone se kisee ke darshan ko punyakari bataana kahaan ki samjhdaaree hai bhai? Vigyan ke nam par is tarah ki avagyanik baaten uchit naheen.
wah,bade rochak dhang se paeli ko bataya
जवाब देंहटाएंAapi sabhi vijetajanon ko badhayi.
जवाब देंहटाएंलीजिये हम मिस कर गए... पर कोइन्सिडेंस देखिये. घर पर इन दोनों की चर्चा हुई एक की विजयदशमी के दिन और दूसरी एक किस्से पर की कहते हैं खेत में जो काली फलियाँ हो जाती हैं उसे लेकर खंजन भगवान् के पास जाते हैं शिकायत लेकर ! खंजन को पूर्वी उत्तर प्रदेश में खडलीच भी कहते हैं.
जवाब देंहटाएंजी हाँ ,अभिषेक जी खंजन को यहाँ खिडरिच /खडलीच कहते है .और लोक मान्यता की भी अच्छी चर्चा की आपने .
जवाब देंहटाएंbahut hi mazzedaar kissa, rajneesh ji. maza aa gaya
जवाब देंहटाएंबैठे-बिठाये आपने मेरी खिंचाई कर दी :-)..मैंने इसलिए कहा क्योंकि आपने बहुत हिंट्स दे दिए थे.खैर शरत पूर्णिमा की हार्दिक बधाई
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