ISRO Satellite Launch Report in Hindi
इसरो को मिली एक और कामयाबी
नवनीत कुमार गुप्ता
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लगातार अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रहा है। 23 जून 2017 को सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने पीएसएलवी38 प्रक्षेपण यान के माध्यम से कार्टोसेट—2ई उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। इसके साथ 30 अन्य नैनौ उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया गया। इन 30 नैनो उपग्रहों में से 29 उपग्रह विदेशों के एवं एक नैनो उपग्रह भारत का है।
इसरो अंतरिक्ष प्रक्षेपण में आज महत्वपूर्ण मुकाम हासिल कर चुका है। इसी बात का प्रमाण है कि लगातार इसरो विदेशों के उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर रहा है। इस बार भी 14 देशों के 29 उपग्रहों को प्रक्षेपित किए गया। इनमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, चिली, चेक गणराज्य, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, लात्विया, लिथुआनिया, स्लोवाकिया, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल है।
इस प्रकार इसरो तकनीकी दक्षता अर्जित करने के साथ उपग्रह प्रक्षेपण के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुका है। इसरो द्वारा इस मिशन के द्वारा दूसरी बार सबसे अधिक उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया है। इससे पहले भी इस साल 15 फरवरी को इसरो द्वारा 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जा चुका है।
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आज की उड़ान में पीएसएलवी के ज़रिए कार्टोसेट 2ई उपग्रह के साथ ही अन्य 30 नैनोउपग्रहों को धरती की सतह से 505 किलोमीटर दूर पोलर सन सिंक्रोनस आर्बिट में स्थापित किया गया।
कार्टोसेट 2 श्रेणी उपग्रह एक अर्थ ऑब्सर्वेशन उपग्रह है जिसका उपयोग सुदूर संवेदन सेवाओँ के लिए होगा। इस कार्य के लिए ये उपग्रह पैनक्रोमेटिक और मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरों का इस्तेमाल करेगा। इन कैमरों की मदद से बहुत ज़्यादा रिसोल्यूशन के साथ पृथ्वी की निगरानी की जा सकेगी। ये कैमरे 26 डिग्री तक मुड़ने की क्षमता रखते हैं। काफी ज़्यादा रिसोल्यूशन वाली तस्वीरें लेने के अलावा आसमान से वीडियो रिकार्ड करने की ज़िम्मेदारी इस मिशन को दी गई है। इस वजह से इसरो बाहरी स्रोतों से तस्वीरें खरीदने के खर्च को कम कर पाएगा।
इन तस्वीरों का उपयोग शहरी एवं कस्बाई भूमि के नियोजन, जल वितरण के साथ भूमि सूचना तंत्र और भौगेलिक सूचना तंत्र के लिए किया जा सकेगा। इस प्रकार उपग्रह की मदद से सैन्य और असैन्य गतिविधियों में मदद मिलेगी। उपग्रह से ली गई तस्वीरें का इस्तेमाल तटीय ज़मीन के देखरेख और उसके प्रबंधन में भी किया जा सकेग।
भारतीय नैनो उपग्रह इंडियन यूनिवर्सिटी सैटेलाईट का उपयोग आपदा प्रबंधन और फसलों की निगरानी के लिए किया जा सकेगा। इस नैनोउपग्रह का वजन 15 किलोग्राम है। यह पीएसएलवी की 40वीं उड़ान थी।
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लेखक परिचय:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:
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