CV Vishveshwara Information in Hindi
ब्लैक होल_Black Hole एवं आंइस्टीन के सामान्य सापेक्षता सिद्धांत_General Theory of Relativity पर महत्वपूर्ण शोधकार्य करने वाले प्रोफेसर सी वी विश्वेस्वरा_C V Vishveshwara का पिछले दिनों 17 जनवरी, 2017 को निधन हो गया। उन्होंने कई वर्षों तक गुरुत्वीय तरंगों और ब्लेक होल के सिद्धांत पर अपना शोध कार्य कर नयी संकल्पना का विकास किया था। उनकी उम्र 78 वर्ष थी।
सन् 1970 में विश्वेस्वरा ने ब्लैक होल और गुरुत्वीय तरंगों संबंधी नयी संकल्पना को प्रस्तुत कर सैद्धांतिक भौतिकी में अपना योगदान दिया। बाइनरी ब्लैक होल में, गुरुत्वीय तरंगें दोगुनी गति से उत्पन्न होती है। चूंकि इस प्रक्रिया में, यह प्रणाली अपनी घूर्णन ऊर्जा खो देती है जिससे दो ब्लैक होल पास आते हैं और बहुत अधिक विकिरण उत्सर्जित करते हैं जिससे भंवर सा बनता है। इससे तरंगों का गुंजन पैदा होता है जिसका आयाम और आवृत्ति तब तक बढ़ती है जब तक ये दोनों पिंड आपस में मिल न जाएं। आपस में विलय से पहले सापेक्ष वेग प्रकाश के गति के करीबन पहुंचने लगता है।
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विलय के परिणामस्वरूप एक नए ब्लेक होल का निर्माण होता है। यह नया ब्लैक होल गुरुत्वीय विकिरणें उत्सर्जित करता है जिनके द्रव्यमान और चक्रण संबंधी गुणधर्म निर्णायक ब्लैक होल की तरह होते हैं। इसे यह अर्ध सामान्य मोड या रिंग-डाउन संकेत कहते हैं। रिंग-डाउन संकेत हथौड़े की चोट से उत्पन्न विकिरण के जैसा होता है।
विश्वेस्वरा के सैद्धांतिक योगदान से हम समझ पाए कि किस प्रकार दो ब्लैक-होल आपस में एक दूसरे से टकरा सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार से ब्लैकहोल से फैलने वाली गुरुत्वीय तरंगों में अर्ध सामान्य मोड या रिंग-डाउन संकेत के गुणधर्म हो सकते हैं। इसमें वही लचीलापन होता है जो कि गुरुत्वीय तरंगों में पाया जाता है। उनका यह शोध पत्र पत्र सन् 1970 में प्रतिष्ठित शोधपत्रिका नेचर_Nature में प्रकाशित हुआ था।
16 मार्च, 1936 में जन्में विश्वेस्वरा का आरंभिक जीवन बेंगलोर में बीता और उनकी प्राथमिक शिक्षा भी इसी शहर में हुई। उनके स्कूल के शिक्षक द्वारा भौतिकी को रोचक तरीके से समझाए जाने के कारण उन्हें भौतिकी विषय से लगाव हो गया। इसी तरह गणित विषय में भी उनकी दिलचस्पी थी। भौतिकी को विशेष विषय लेकर उन्होंने स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
बैंगलोर में एमएससी करने के बाद, वह उच्च शिक्षा के लिए कोलंबिया विश्वविद्यालय गए। मैरीलैंड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर चार्ल्स मिसेनर के मार्गदर्शन में उन्होंने ब्लैक होल की स्थिरता पर काम करते हुए पीएचडी की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने ब्लैक होल स्थिरता के साथ ही ब्लैक होल भौतिकी में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
अमेरिका में कई विश्वविद्यालयों के विभागों में कार्य करने के बाद उन्होंने भारत आकर बैंगलोर के रमन अनुसंधान संस्थान_Raman Research Institute (RRI) में अपनी सेवाएं दीं। बाद में उन्होंने भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान_Institute of Astrophysics में वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में भी कार्य किया। वह बैंगलोर सिथत जवाहरलाल नेहरू तारामंडल_Jawaharlal Nehru Planetarium एवं विज्ञान केंद्र के संस्थापक-निदेशक थे।
उनकी पुस्तकें, आइंस्टीनस् एंजिमा ऑर ब्लैक हॉल इन माय बाथ_Einstein's Enigma or Black Holes in My Bubble Bath और यूनिवर्स अनविर्ड- द कॉस्मोस इन माय बबल बाथ_Universe Unveiled: The Cosmos in My Bubble Bath को विश्व भर में काफी सराहा गया। (रिपोर्ट-टीवी वेंकटेश्वरन, दिनेश सी शर्मा एवं नवनीत कुमार गुप्ता)
प्रस्तुत है राज्यसभी टीवी पर पूर्व में प्रसारित सीवी विश्वेस्वरा का एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार
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