डीएनए में छिपे रहते हैं पहचान के रहस्य!

SHARE:

अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के चेहरे में समान दिखते हैं। हेमा मालिनी और ईषा दियोल एक जैसी दिखती हैं या शर्मिला टैगोर और सैफ अली खान की श...

अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के चेहरे में समान दिखते हैं। हेमा मालिनी और ईषा दियोल एक जैसी दिखती हैं या शर्मिला टैगोर और सैफ अली खान की शक्लों में एक जैसी झलक है। आखि‍र इसके पीछे क्या कारण है? क्यों बच्चों के चेहरे उनके मां-बाप से मिलते हैं ? पढि़ए एक महत्वपूर्ण आलेख: 
डीएनए के खुलते राज़

-नवनीत कुमार गुप्ता

पहले रिश्तों की पहचान चेहरा देखकर तो हर कोई कर सकता था। जैसे हम अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन के चेहरों में समानता देखते हैं। हेमा मालिनी और ईषा दियोल एक जैसी दिखती हैं या शर्मिला टैगोर और सैफ अली खान की शक्लों में एक जैसी झलक है। आप में से अधिकतर लोगों को पता होगा कि इन का आपस में एक रिश्ता है चाहे वो मां-बेटी का हो, मां-बेटे का या फिर बाप-बेटे का। इसीलिए इनके चेहरे एक-दूसरे से मिलते हैं।
Hema malini and Esha deol
ये तो सब जानते हैं कि बच्चों में हमेशा अपनी मां या अपने पिता जैसी शारीरिक विशेषतायें या लक्षण होते हैं जैसे आंखों का रंग, बालों का रंग, नाक की बनावट या फिर शरीर की बनावट और रंग, वगैरह-वगैरह....। इतना ही नहीं कभी-कभी तो बच्चे अपने दादा-दादी या नाना-नानी जैसे भी दिखते हैं। इस प्रकार आपके मन में ये सवाल उठते होंगे कि क्यों अक्सर बच्चे अपने माता-पिता जैसे दिखते हैं ? क्यों उनमें अपने माता-पिता के लक्षण होते हैं ?

खैर, आपने इस बारे में सोचा हो या ना सोचा हो पर सालों पहले वैज्ञानिकों ने इस बारे में सोचना शुरू कर दिया था। ये जानने के लिए वैज्ञानिकों को काफी समय लगा। और इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए एक नहीं बल्कि अनेक वैज्ञानिकों ने अलग-अलग प्रयोग किये। ऐसा ही एक प्रयोग आज से करीब 150 साल पहले हुआ था। सन् 1865 में ग्रेगर मेंडल (Gregor Johann Mendel) ने आनुवंशि‍कता यानी हेरिडिटी (Heredity) से प्राप्त लक्षणों के कारणों को जानने की पहल आरंभ की थी।

सन् 1865 में ग्रेगर जॉन मेंडल (Gregor Johann Mendel) ने मटर के पौधे पर अपना प्रयोग किया और आनुवंशि‍कता से प्राप्त लक्षणों के कारणों के बारे में अपने नियम दिये। अपने प्रयोगों द्वारा मेंडल ने पता लगाया कि माता पिता से प्राप्त अलग-अलग कारकों के प्रभावशाली और कमजोर होने के कारण ही संतान में अलग-अलग लक्षण प्रकट होते हैं। मगर वो कौन सा तत्व है जिससे माता-पिता के लक्षण बच्चों में संचारित होते हैं इसकी जानकारी उन्हें नहीं मिली थी।

सन् 1903 में आनुवांशि‍की विज्ञानी वाल्टर ने मेंडल के प्रयोग को आगे बढ़ाते हुए अपने प्रयोगों द्वारा ये स्पष्ट कर दिया कि क्रोमोसोम के कारण ही आनुवंषिक लक्षण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में संचारित होते हैं। इतना ही नहीं ये भी साफ हो गया कि मेंडल द्वारा दिये गये आनुवंशि‍कता के नियमों का आधार भी हमदमे के दो अलग-अलग रूप होते हैं जिसमें एक प्रबल होता है और दूसरा दुर्बल ।

मगर उस समय तक यह स्पष्ट नहीं हुआ था कि जीन (Gene), क्रोमोसोम (Chromosome) में स्थित प्रोटीन में होते हैं या न्यूक्लिक एसिड (Nucleic Acid) यानि डीएनए (DNA) में। इसी की खोज करने के लिए अलग-अलग वैज्ञानिकों ने अपने अपने प्रयोग करने शुरू कर दिये। कुछ वैज्ञानिकों ने जीवाणु (Bacteria) और विषाणु (Virus) के साथ डीएनए को लेकर कई प्रयोग किए। फ्रेडिक ग्रिफ्थि (Frederick Griffith) एवं अन्य वैज्ञानिकों के प्रयोग से पता चला कि डीएनए एक न्यूक्लिक एसिड है जिसमें जिसमें आनुवंशि‍क निर्देश समाहित होते हैं। इस प्रकार पता चला कि किसी भी जीवित जीव के विकास के लिए डीएनए जरूरी है। डीएनए कुछ विषाणुओं में भी पाया जाता है।

हमारे शरीर में हो रही जितनी भी रसायनिक प्रक्रियाएं हैं उन सभी की जानकारी डीएनए के पास होती है। हमारे हमारे जीन डीएनए के बने होते हैं जो हमें हमारे माता-पिता से प्राप्त होते हैं। माता पिता के कौन से लक्षण उनके बच्चों में स्थानांतरित होंगे जैसे हमारी आंखों का रंग क्या होगा, हमारे बाल कैसे होंगे, हमारी नाक की बनावट कैसी होगी या हमार शरीर का रंग क्या होगा, वगैरह-वगैरह के बारे में डीएनए हमें बनाता है, जो भी - जैसे भी हैं हम। इतना ही नहीं, किन्हीं दो लोगों का डीएनए एक जैसा नहीं होता। डीएनए द्वारा हमारे या हमारे पूर्वजों के बारे में भी काफी जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ये डीएनए वही है जिससे वैज्ञानिकों ने बंदर और मनुष्य के बीच में खोई हुई कड़ी का पता लगाया था।

हर एक मनुष्य का अपना अलग डीएनए स्वरूप होता है जिस के कारण, विधि न्यायिक अपराधों को आसानी से हल करती है। डीएनए ही आनुवंशि‍कता का कारण है। ग्रिफ्फिस के प्रयोग के आधार पर ये पता चल पाया कि हमारा शरीर एक साथ काम कर रहीं 100 खरब कोशि‍काओं से बना है जिनके केन्द्र में क्रोमोसोम के अंदर डीएनए स्थित होता है और डीएनए ही वह तत्व है जो आनुवंशिक लक्षणों यानि कि आनुवंशिकता का कारण है।

आज हम जानते हैं कि जिस प्रकार ईंटों से दीवार बनती है और दीवारों से मकान उसी प्रकार हमारा शरीर भी कोशिकाओं (Cell) से बना है जिनमें नाभिक (Nucleus), क्रोमोसोम (Chromosome), हिस्टोन (Histone), डीएनए और जीन के साथ-साथ प्रोटीन भी होते हैं। हमारे शरीर में लगभग 100 खरब कोशिकाएं होती हैं। ये सभी कोशिकाऐं हमारी त्वचा, हड्डियां, मांसपेशियों, तंत्रिका तंत्र आदि में व्यवस्थित होती हैं। कोशिकाओं के केन्द्र में नाभिक होते है जो कोशिकाओं के कार्यों का नियंत्रण करता है। नाभिक में 23 क्रोमोसोम दो जोड़े में होते हैं। इसका मतलब ये हुआ की नाभिक में कुल 46 क्रोमोसोम होते हैं।

क्रोमोसोम में डीएनए, हिस्टोन नामक प्रोटीन पर लिपटा हुआ होता है जिसके कारण आकार में वो बहुत छोटा दिखता है। जब कोषिका विभाजित होती है तो क्रोमोसोम में स्थित डीएनए भी विभाजित होते हैं और हूबहू अपना प्रतिरूप बनाते हैं। कुछ कोशिकायें, जैसे हमारे बाल और नाखून की कोशिकाऐं मृत यानि मरी होती हैं, लेकिन इनकी जड़ें जीवित होने के कारण ये भी लगातार विभाजित होती रहती हैं। अन्य कोशिकाऐं, जैसे हमारे मस्तिष्क, मांसपेशियां, और हृदय की कोशिकाऐं कई बार विभाजित होने के बाद रूक जाती हैं। अलग-अलग तरह की कोशिकाओं में विभाजन के समय डीएनए अलग-अलग रफ्तार से अपना प्रतिरूप बनाता है।

वैज्ञानिकों की सालों की मेहनत और अनुसंधानों द्वारा ही आज हम ये जान पाये हैं कि डीएनए ही वो तत्व है जिसके कारण बच्चों में अपने माता-पिता के लक्षण प्राप्त होते हैं। और इसीलिए हेमा मालिनी और ईषा दियोल की आंखें एक जैसी दिखती हैं, मल्लिका साराभाई और विक्रम साराभाई की शक्लों में एक जैसी झलक है, और अमिताभ और अभिषेक बच्चन एक जैसे दिखते हैं। इस प्रकार डीएनए फिंगर प्रिटिंग (DNA Fingerprinting) का जन्म हुआ।

चोर की दाड़ी में तिनका अब ये कहावत भी साइन्टीफिक हो ये जरूरी नहीं, लेकिन अगर चोर की दाड़ी का तिनका नहीं एक भी बाल मिल जाए ना तो पुलिस उसे पकड़ लेती है कैसे? डीएनए फिन्गर प्रिटिंग नाम तो सुना होगा है ना, कमाल की साइन्स। डीएनए फिन्गर प्रिटिंग की बहुत बात चलती है। असल में डीएनए फिंगर प्रिटिंग में फिंगर प्रिटिंग में फिंगर विंगर का कोई हाथ नहीं होता? डीएनए तो जेनेटिक मेटेरियल है। और हमारी कोशिकाओं में वही डीएनए होता है हर एक की कोशिका में और हर एक की कोशिका में अलग-अलग डीएनए होता है तो अगर हम पहचानना चाहें कि कोई किसी का बेटा है कि नहीं तो फिर हमें यह देखना होगा कि उनके पिता का कोई डीएनए का निशान इसमें है कि नहीं डीएनए में और उनकी माता का भी निशान है कि नहीं।

आजकल डीएनए फिंगर प्रिटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके जरिए किसी व्यक्ति की पहचान सुनिश्चत की जाती है। इसके लिए संबंधित व्यक्ति के बाल, लार या खून से डीएनए का नमूना लिया जाता है। डीएनए यानि डीओक्सीराइड नेक्यूलिक एसिड (Deoxyribonucleic acid) एक सीड़ीनुमा रचना है जो हर व्यक्ति की कोशिका के न्यूक्लियस में होती है। डीएनए के दोनों सिरों को जो चीज आपस में जोड़े रखती है उसे बैसबेयर कहते है। वैसे तो डीएनए में कई मिलियन बैस बेयर्स होते है। जिनके आधार पर व्यक्ति की पहचान की जाती है। लेकिन इसमें काफी समय लगता है। इसलिए वैज्ञानिक डीएनए के कुछ ऐसे चुनिन्दा सिक्वेन्स का उपयोग करते है जो माता-पिता के अलावा हर एक व्यक्ति में निश्चत तौर से अलग-अलग होता है।

डीएनए फिंगर प्रिटिंग की प्रक्रिया में सबसे पहले डीएनए को शरीर की कोशिका या ऊतकों से निकाला जाता है। इसके बाद एन्जाइमस (Angimes) की मदद से डीएनए को अलग-अलग साइज़ के कई टुकड़ों में काटा जाता है। अब इन टुकड़ों को एक खास विथ से उनके साइज़ के अनुसार से छांट लिया जाता है। फिर डीएनए के इन टुकड़ों के डिस्ट्रिबियूशन को एक नाईलॉन शीट पर ट्रांसफर कर दिया जाता है। बाद में इस नाएलॉन शीट, रेडियो एक्टिव या कलर प्रूवड एड कर देते हैं। इससे शीट पर एक पैटर्न उभरता है इसी को हम डीएनए फ्रिन्गर प्रिटिंग कहते हैं। ये देखने में किसी खरीदे गए सामान के टैग पर छपे बारकोड की तरह दिखता है।

इसी तरह दो डीएनए फिंगर प्रिटिंग में पाई जाने वाली समानता या असमानता के आधार पर व्यक्ति की पहचान सुनिश्चत की जाती है। फिर चाहे वो पेरिटी का मामला हो या फिर क्राइम का। तो इस तरह से क्राइम वगैरह में पता करने के लिए बहुत जरूरत होती है और इस्तेमाल किया जाने लगा है। हैरानी की बात है 50 साल पहले हमें पता ही नहीं था कि डीएनए क्या बला होती है। 50- 55 साल पहले यह इतनी नई-नई चीज है लेकिन आज यह बखूबी इस्तेमाल होने लगी है।

वैसे हम आज जितनी सहजता से डीएनए जैसे शब्द का बातचीत में अक्सर प्रयोग कर लेते हैं, सालों पहले ये सिर्फ मानवीय सोच से उपजा एक प्रश्न चिन्ह था, जिसे हमारी जिज्ञासा ने आनुवंशिक विज्ञान की कई अनबूझ पहेलियों को सुलझाने वाला उत्तर बना दिया। और आज हम रिश्तों की पहचान के लिए डीएनए का प्रयोग कर रहे हैं। भविष्य में डीएनए के द्वारा अनेक रोगों का इजाल संभव हो सकेगा। आने वाले समय में रोगों के लिए जिम्मेदार डीएनए में संशोधन करके बीमारियों को फैलने से बचाया जा सकेगा। और ऐसी खोजों का आरंभ हो चुका है।

रसायन विज्ञान के क्षेत्र में इस वर्श दिए जाने वाला नोबल पुरस्कार डीएनए की मरम्मत संबंधी अध्ययन कार्यों के लिए दिया गया है। रसायन शास्त्र का नोबेल पुरस्कार जिन तीन वैज्ञानिकों टॉमस लिंडाल (Tomas Lindahl), पॉल मॉडरिश (Paul L. Modrich) और अजीज सैंकर (Aziz Sancar) को दिया जाएगा। उन्होंने डीएनए की मरम्मत पर महत्वपूर्ण शोधकार्य किया है। डीएनए मरम्मत (DNA Repair) ऐसी प्रक्रियाओं का संग्रह है जिसमें कोशिका की पहचान करके क्षतिग्रस्त हो चुके डीएनए का उपचार किया जाता है।

इंसानों में मानवीय गतिविधियों एवं पराबैंगनी विकिरणों द्वारा और डीएनए क्षतिग्रस्त हो सकता है। डीएनए की मरम्मत कोशिका की उम्र, कोशिका के प्रकार, और कोशिका के बाहर के वातावरण जैसे अनेक कारकों पर निर्भर करती है। भविष्य में डीएनए मरम्मत द्वारा अनेक आनुवांशिक बीमारियों के इलाज की भी संभावना है। यही कारण है कि नोबल पुरस्कार के लिए इस क्षेत्र में हुए कार्य को महत्वपूर्ण माना है।

रॉयल स्वीडिश अकेडमी ऑफ साइंसेज़ (Royal Swedish Academy of Sciences) का कहना है कि इन वैज्ञानिकों के अध्ययन ने इस बात को समझने में मदद की है कि कैंसर जैसी परिस्थितियों में स्थिति किस तरह बिगड़ सकती है। और इन वैज्ञानिकों ने बताया कि कोशिकाएं किस तरह क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत करती हैं। टॉमस लिंडाल इस समय ब्रिटेन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट (Francis Crick Institute) में कार्यरत हैं। पॉल मॉडरिश एवं अजीज सैंकर संयुक्त राज्य अमेरिका के विष्वविद्यालयों में कार्यरत है। विज्ञान जगत में दिए जाने वाले इस सबसे बड़े पुरस्कार के तहत मिलने वाली 80 लाख स्वीडिश क्रोनर की राशि को तीनों विजेताओं में बराबर-बराबर बांटा जाएगा।
-X-X-X-X-X-
लेखक परिचय: 
नवनीत कुमार गुप्ता पिछले दस वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन आदि जनसंचार के विभिन्न माध्यमों द्वारा वैज्ञानिक दृष्टिकोण और पर्यावरण संरक्षण जागरूकता के लिए प्रयासरत हैं। आपकी विज्ञान संचार विषयक लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाश‍ित हो चुकी हैं तथा इन पर गृह मंत्रालय के ‘राजीव गांधी ज्ञान विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार' सहित अनेक पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। आप विज्ञान संचार के क्षेत्र में कार्यरत संस्था ‘विज्ञान प्रसार’ से सम्बंद्ध हैं। आपसे निम्न मेल आईडी पर संपर्क किया जा सकता है:


keywords: nobel prize 2015 chemistry in hindi, nobel prize 2015 winners in hindi, Nobel Prize in Chemistry in hindi, DNA Fingerprinting in hindi, dna fingerprinting definition in hindi, dna fingerprinting in india in hindi, dna fingerprinting uses in hindi, dna fingerprinting process in hindi, dna nobel prize in hindi, dna structure in hindi, dna structure nobel prize in hindi, dna structure and function in hindi, dna structure discovery in hindi, dna modification in hindi, dna modification in humans in hindi, dna modification and restriction in hindi

COMMENTS

BLOGGER: 3
वैज्ञानिक चेतना को समर्पित इस यज्ञ में आपकी आहुति (टिप्पणी) के लिए अग्रिम धन्यवाद। आशा है आपका यह स्नेहभाव सदैव बना रहेगा।

नाम

अंतरिक्ष युद्ध,1,अंतर्राष्‍ट्रीय ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन-2012,1,अतिथि लेखक,2,अन्‍तर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन,1,आजीवन सदस्यता विजेता,1,आटिज्‍म,1,आदिम जनजाति,1,इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी,1,इग्‍नू,1,इच्छा मृत्यु,1,इलेक्ट्रानिकी आपके लिए,1,इलैक्ट्रिक करेंट,1,ईको फ्रैंडली पटाखे,1,एंटी वेनम,2,एक्सोलोटल लार्वा,1,एड्स अनुदान,1,एड्स का खेल,1,एन सी एस टी सी,1,कवक,1,किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज,1,कृत्रिम मांस,1,कृत्रिम वर्षा,1,कैलाश वाजपेयी,1,कोबरा,1,कौमार्य की चाहत,1,क्‍लाउड सीडिंग,1,क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञान कथा लेखन,9,खगोल विज्ञान,2,खाद्य पदार्थों की तासीर,1,खाप पंचायत,1,गुफा मानव,1,ग्रीन हाउस गैस,1,चित्र पहेली,201,चीतल,1,चोलानाईकल,1,जन भागीदारी,4,जनसंख्‍या और खाद्यान्‍न समस्‍या,1,जहाँ डॉक्टर न हो,1,जितेन्‍द्र चौधरी जीतू,1,जी0 एम0 फ़सलें,1,जीवन की खोज,1,जेनेटिक फसलों के दुष्‍प्रभाव,1,जॉय एडम्सन,1,ज्योतिर्विज्ञान,1,ज्योतिष,1,ज्योतिष और विज्ञान,1,ठण्‍ड का आनंद,1,डॉ0 मनोज पटैरिया,1,तस्‍लीम विज्ञान गौरव सम्‍मान,1,द लिविंग फ्लेम,1,दकियानूसी सोच,1,दि इंटरप्रिटेशन ऑफ ड्रीम्स,1,दिल और दिमाग,1,दिव्य शक्ति,1,दुआ-तावीज,2,दैनिक जागरण,1,धुम्रपान निषेध,1,नई पहल,1,नारायण बारेठ,1,नारीवाद,3,निस्‍केयर,1,पटाखों से जलने पर क्‍या करें,1,पर्यावरण और हम,8,पीपुल्‍स समाचार,1,पुनर्जन्म,1,पृथ्‍वी दिवस,1,प्‍यार और मस्तिष्‍क,1,प्रकृति और हम,12,प्रदूषण,1,प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड,1,प्‍लांट हेल्‍थ क्‍लीनिक,1,प्लाज्मा,1,प्लेटलेटस,1,बचपन,1,बलात्‍कार और समाज,1,बाल साहित्‍य में नवलेखन,2,बाल सुरक्षा,1,बी0 प्रेमानन्‍द,4,बीबीसी,1,बैक्‍टीरिया,1,बॉडी स्कैनर,1,ब्रह्माण्‍ड में जीवन,1,ब्लॉग चर्चा,4,ब्‍लॉग्‍स इन मीडिया,1,भारत के महान वैज्ञानिक हरगोविंद खुराना,1,भारत डोगरा,1,भारत सरकार छात्रवृत्ति योजना,1,मंत्रों की अलौकिक शक्ति,1,मनु स्मृति,1,मनोज कुमार पाण्‍डेय,1,मलेरिया की औषधि,1,महाभारत,1,महामहिम राज्‍यपाल जी श्री राम नरेश यादव,1,महाविस्फोट,1,मानवजनित प्रदूषण,1,मिलावटी खून,1,मेरा पन्‍ना,1,युग दधीचि,1,यौन उत्पीड़न,1,यौन शिक्षा,1,यौन शोषण,1,रंगों की फुहार,1,रक्त,1,राष्ट्रीय पक्षी मोर,1,रूहानी ताकत,1,रेड-व्हाइट ब्लड सेल्स,1,लाइट हाउस,1,लोकार्पण समारोह,1,विज्ञान कथा,1,विज्ञान दिवस,2,विज्ञान संचार,1,विश्व एड्स दिवस,1,विषाणु,1,वैज्ञानिक मनोवृत्ति,1,शाकाहार/मांसाहार,1,शिवम मिश्र,1,संदीप,1,सगोत्र विवाह के फायदे,1,सत्य साईं बाबा,1,समगोत्री विवाह,1,समाचार पत्रों में ब्‍लॉगर सम्‍मेलन,1,समाज और हम,14,समुद्र मंथन,1,सर्प दंश,2,सर्प संसार,1,सर्वबाधा निवारण यंत्र,1,सर्वाधिक प्रदूशित शहर,1,सल्फाइड,1,सांप,1,सांप झाड़ने का मंत्र,1,साइंस ब्‍लॉगिंग कार्यशाला,10,साइक्लिंग का महत्‍व,1,सामाजिक चेतना,1,सुरक्षित दीपावली,1,सूत्रकृमि,1,सूर्य ग्रहण,1,स्‍कूल,1,स्टार वार,1,स्टीरॉयड,1,स्‍वाइन फ्लू,2,स्वास्थ्य चेतना,15,हठयोग,1,होलिका दहन,1,‍होली की मस्‍ती,1,Abhishap,4,abraham t kovoor,7,Agriculture,8,AISECT,11,Ank Vidhya,1,antibiotics,1,antivenom,3,apj,1,arshia science fiction,2,AS,26,ASDR,8,B. Premanand,5,Bal Kahani Lekhan Karyashala,1,Balsahitya men Navlekhan,2,Bharat Dogra,1,Bhoot Pret,7,Blogging,1,Bobs Award 2013,2,Books,57,Born Free,1,Bushra Alvera,1,Butterfly Fish,1,Chaetodon Auriga,1,Challenges,9,Chamatkar,1,Child Crisis,4,Children Science Fiction,2,CJ,1,Covid-19,7,current,1,D S Research Centre,1,DDM,5,dinesh-mishra,2,DM,6,Dr. Prashant Arya,1,dream analysis,1,Duwa taveez,1,Duwa-taveez,1,Earth,43,Earth Day,1,eco friendly crackers,1,Education,3,Electric Curent,1,electricfish,1,Elsa,1,Environment,32,Featured,5,flehmen response,1,Gansh Utsav,1,Government Scholarships,1,Great Indian Scientist Hargobind Khorana,1,Green House effect,1,Guest Article,5,Hast Rekha,1,Hathyog,1,Health,69,Health and Food,6,Health and Medicine,1,Healthy Foods,2,Hindi Vibhag,1,human,1,Human behavior,1,humancurrent,1,IBC,5,Indira Gandhi Rajbhasha Puraskar,1,International Bloggers Conference,5,Invention,9,Irfan Hyuman,1,ISRO,5,jacobson organ,1,Jadu Tona,3,Joy Adamson,1,julian assange,1,jyotirvigyan,1,Jyotish,11,Kaal Sarp Dosha Mantra,1,Kaal Sarp Yog Remady,1,KNP,2,Kranti Trivedi Smrati Diwas,1,lady wonder horse,1,Lal Kitab,1,Legends,12,life,2,Love at first site,1,Lucknow University,1,Magic Tricks,9,Magic Tricks in Hindi,9,magic-tricks,8,malaria mosquito,1,malaria prevention,1,man and electric,1,Manjit Singh Boparai,1,mansik bhram,1,media coverage,1,Meditation,1,Mental disease,1,MK,3,MMG,6,Moon,1,MS,3,mystery,1,Myth and Science,2,Nai Pahel,8,National Book Trust,3,Natural therapy,2,NCSTC,2,New Technology,10,NKG,74,Nobel Prize,7,Nuclear Energy,1,Nuclear Reactor,1,OPK,2,Opportunity,9,Otizm,1,paradise fish,1,personality development,1,PK,20,Plant health clinic,1,Power of Tantra-mantra,1,psychology of domestic violence,1,Punarjanm,1,Putra Prapti Mantra,1,Rajiv Gandhi Rashtriya Gyan Vigyan Puraskar,1,Report,9,Researches,2,RR,2,SBWG,3,SBWR,5,SBWS,3,Science and Technology,5,science blogging workshop,22,Science Blogs,1,Science Books,56,Science communication,22,Science Communication Through Blog Writing,7,Science Congress,1,Science Fiction,13,Science Fiction Articles,5,Science Fiction Books,5,Science Fiction Conference,8,Science Fiction Writing in Regional Languages,11,Science Times News and Views,2,science-books,1,science-puzzle,44,Scientific Awareness,5,Scientist,38,SCS,7,SD,4,secrets of octopus paul,1,sexual harassment,1,shirish-khare,4,SKS,11,SN,1,Social Challenge,1,Solar Eclipse,1,Steroid,1,Succesfull Treatment of Cancer,1,superpowers,1,Superstitions,51,Tantra-mantra,19,Tarak Bharti Prakashan,1,The interpretation of dreams,2,Tips,1,Tona Totka,3,tsaliim,9,Universe,27,Vigyan Prasar,33,Vishnu Prashad Chaturvedi,1,VPC,4,VS,6,Washikaran Mantra,1,Where There is No Doctor,1,wikileaks,1,Wildlife,12,Zakir Ali Rajnish Science Fiction,3,
ltr
item
Scientific World: डीएनए में छिपे रहते हैं पहचान के रहस्य!
डीएनए में छिपे रहते हैं पहचान के रहस्य!
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0BVHFsbt8bpTkQ7LulLlSfor_549KitCUM1_XSP0Ro3IpAe1NIXunqiulWoIC9I_Kyc3n4G7Ftw7RUiOl8gEcnq5GGop_cJutbonNB-fHumBVWxLNoVkCnRLmrRFLaVqnnHJt5e8jXl6k/s640/hema+malini+and+esha+deol.jpg
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi0BVHFsbt8bpTkQ7LulLlSfor_549KitCUM1_XSP0Ro3IpAe1NIXunqiulWoIC9I_Kyc3n4G7Ftw7RUiOl8gEcnq5GGop_cJutbonNB-fHumBVWxLNoVkCnRLmrRFLaVqnnHJt5e8jXl6k/s72-c/hema+malini+and+esha+deol.jpg
Scientific World
https://www.scientificworld.in/2015/10/dna-structure-nobel-prize-hindi.html
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/
https://www.scientificworld.in/2015/10/dna-structure-nobel-prize-hindi.html
true
3850451451784414859
UTF-8
Loaded All Posts Not found any posts VIEW ALL Readmore Reply Cancel reply Delete By Home PAGES POSTS View All RECOMMENDED FOR YOU LABEL ARCHIVE SEARCH ALL POSTS Not found any post match with your request Back Home Sunday Monday Tuesday Wednesday Thursday Friday Saturday Sun Mon Tue Wed Thu Fri Sat January February March April May June July August September October November December Jan Feb Mar Apr May Jun Jul Aug Sep Oct Nov Dec just now 1 minute ago $$1$$ minutes ago 1 hour ago $$1$$ hours ago Yesterday $$1$$ days ago $$1$$ weeks ago more than 5 weeks ago Followers Follow THIS PREMIUM CONTENT IS LOCKED STEP 1: Share to a social network STEP 2: Click the link on your social network Copy All Code Select All Code All codes were copied to your clipboard Can not copy the codes / texts, please press [CTRL]+[C] (or CMD+C with Mac) to copy