Exercise for Better Relationship Building
इसमें कोई दोराय नहीं कि एक सफल एवं सुखमय जीवन के निर्धारण में सेक्स का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। अक्सर यह देखने में आया है कि अज्ञानता और गलत ज्ञान के कारण व्यक्ति की सेक्स लाइफ नष्ट हो जाती है, परिणाम स्वरूप उसका पारिवारिक जीवन भी कलहपूर्ण हो जाता है।
मेरी पिछली पोस्ट 'सेक्सरसाइज: व्यायाम के द्वारा सेक्स पॉवर बढाने के तरीके' में एडवर्ड ओ0 रेली की पुस्तक सेक्सरसाइज़ेज़(Sexercises) की चर्चा के बाद पाठकों की माँग पर पुस्तक की कुछ आसान और उपयोगी एक्सरसाइज आप सबके साथ साझा की जा रही हैं। आशा है यह जानकारी आप सबके लिए उपयोगी साबित होगी।
व्यायाम से पूर्व की तैयारी:
व्यायाम से पूर्व कुछ तैयारी करनी आवश्यक होती है। जैसे व्यायाम हमेशा खाली पेट करें। इसके लिए सुबह सूर्योदय का समय सबसे उचित रहता है। यदि सुबह समय की कमी हो, तो शाम को निवृत्त होने के बाद भी इन्हें किया जा सकता है। व्यायाम हमेशा खुली जगह पर किया जाना चाहिए। व्यायाम करते समय शरीर पर न्यूनतम वस्त्र होने चाहिए। सम्भव हो तो कॉटन के ही कपड़े पहनें। व्यायाम समतल जगह पर किया जाना चाहिए। नंगी फर्श पर व्यायाम कदापि न करें। सबसे बेहतर है कि एक अदद मोटी दरी बिछाकर उसके ऊपर व्यायाम किया जाए। व्यायाम के तुरंत बाद कुछ खाएं-पिएं नहीं। तुरंत नहाना भी उचित नहीं। व्यायाम के बाद कम से कम 15 मिनट तक आराम करें, जिससे शरीर सामान्य अवस्था में आ जाए। उसके बाद स्नान आदि कार्य सम्पन्न करने चाहिए।
अभ्यास 01:
सीधे खड़े होकर पैरों को घुटने के पास हल्का सा मोड़ लें। दोनों तलवों के बीच में लगभग 01 फिट की जगह रखें और दोनों हाथों को गर्दन के पीछे आपस में गूँथकर अपने पेट को पिचका कर पीछे की तरफ धकेलें। इस अवस्था में लगभग 10 सेकेण्ड तक रूकें और फिर शरीर के सारे अंगों को इसी अवस्था में रखते हुए सीने को फुलाएँ और दस मिनट का ठहराव दें।
अभ्यास 02:
चित्र में सुझाई गई स्थिति के अनुसार बैठ जाएँ। पैरों को तना रखते हुए पैर के पंजों को तान कर अपने से दूर ले जाएँ। 10 सेकेण्ड तक रोक कर रखें और फिर पंजों को अपनी ओर लाएँ और 10 सेकेण्ड तक रोकें। यह क्रिया जितनी बार कर सकें, दोहराएँ।
अभ्यास 03:
पीठ के बल लेटकर हाथों को पीछे फैला लें और पैर के घुटनों को मोड़ लें। उसके बाद अपने कूल्हों को जमीन से टच रखते हुए सीने को ऊपर की ओर फुलाएं। कुछ देर तक इस स्थिति में रूकने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएँ और दुबारा अपने कंधों को जमीन पर टिकाए रखकर कूल्हों को जितना ऊपर उठा सकें, उठाएँ।
अभ्यास 04:
चित्र में दिखाई गयी स्थिति के अनुसार लेट जाएँ। ध्यान रहे कि आपकी छाती जमीन से नहीं छूनी चाहिए और पैर के पंजे पीछे की तरफ खुले होने चाहिए। उसके बाद कूल्हों को जितना ऊपर उठा सकें उठाएँ। कुछ देर तक उसी अवस्था में रूकें, फिर रिलैक्स होकर इसे दोहराएँ।
चित्र में दिखाई अवस्था में बैठ जाएँ। श्वांस को बाहर छोड़ते हुए अपने पेट को पिचकाएं और जितनी देर तक रोक सकें उसी अवस्था में रूके रहें। अगली बार इसी अवस्था में रहते हुए अपनी पीठ को नीचे की ओर पिचकाएँ। थोड़े-थोड़े अंतराल पर इस क्रिया को दोहराएँ।
अभ्यास 06:
चित्र में दिखाई गई मुद्रा में खड़े हो जाएँ। एक पैर को हल्का सा मोड़ते हुए दूसरे पैर पर पूरा जोर दें। इस अवस्था में 10 सेकेण्ड रूकें फिर दूसरे पैर पर इसी प्रकार जोर देकर खड़े हों। यह क्रिया कम से कम 8-10 बार दोहराएँ।
अभ्यास 07:
सीधे जमीन पर लेट जाएँ। अपने हाथ पैरों को सीधा रखें। उसके बाद अपनी पीठ को ऊपर की ओर जितना उठा सकें ले जाएं। उस अवस्था में लगभग 10 सेकेण्ड तक रूकें, फिर कुछ क्षण आराम करके इसे दोहराएँ।
जमीन में सीधे लेट कर अपने पंजों को तान कर अपने से दूर ले जाएँ और 10 सेकेण्ड तक रोक कर रखें। उसके बाद पंजों को विपरीत दिशा में ले जाते हुए तान कर अपनी ओर लाएँ और 10 सेकेण्ड तक रोक कर रखें। यही क्रिया कम से कम 10 बार दोहराएँ।
पूर्व की भाँति सीधे लेटकर अपने पंजो को एक बार अंदर की ओर मोड़ें। 10 सेकेण्ड तक रोक कर रखें, फिर उन्हें बाहर की ओर मोड़ें। यह क्रिया कम से कम 10 बार दोहराएँ।
अभ्यास 10:
अभ्यास 09 में बताई गई क्रिया को पेट के बल लेटकर दोहराएँ।
अभ्यास 11:
कुर्सी पर सीधे बैठकर पैर के घुटनों के बीच किसी हल्की बॉल को दबा लें। बॉल को जितना संभव हो दबाएं और पैरों को उसी उवस्था में कुछ देर रोक कर रखें। यह क्रिया 8-10 बार दोहराएँ।
चित्र में दिखाई स्थिति में लेट जाएं और अपने शरीर को हाथों पर रोक कर रखें। एक करवट इस क्रिया को करने के बाद दूसरी करवट होकर इसे पूर्व की भांति दोहराएँ।
जमीन पर सीधे लेटर हाथ पैरों को फैला लें। उसके बाद पंजों को सामने की ओर तानते हुए और हाथों को शरीर से सटाकर रखते हुए अपने कंधों को उठाने की कोशिश करें। जितना ऊंचा उठ सकें उठें और कुछ देर स्वयं को उसी अवस्था में रोकने का प्रयत्न करें। इस क्रिया को 8-10 बार दोहराएँ।
अभ्यास 14:
पेट के बल लेटकर अपने हाथों को गर्दन के पीछे लेकर एक दूसरे में फंसा लें। उसके बाद अपने शरीर को कड़ा करके पैरों के साथ कंधों और गर्दन को ऊपर उठाएं। कुछ देर इस अवस्था में रूकें, फिर वापस इसे करें। इस व्यायाम को कम से कम 10 बार अवश्य दोहराएँ।
सावधानी: यदि संभव हो तो किसी योग प्रशिक्षक के परामर्श से ही इन व्यायाम को करें। व्यायाम करने के लिए स्थिर का होना आवश्यक है। प्रारम्भ में हाथ पैरों में दर्द की शिकायत होगी। ऐसी दशा में एक दो दिन आराम कर लें। जब शारीरिक रूप से स्वयं को फिट पाएँ, तभी इन्हें आगे बढ़ाएँ। इन व्यायामों को जादू की छड़ी न समझें, ये धीरे-धीरे ही असर दिखाएँगे। इसमें दो से तीन माह का समय लग सकता है। एक बार जब आप इन्हें नियमित करने लगेंगे, तो आप स्वयं में ताजगी का अनुभव करेंगे।
सभी चित्र: साभार-सेक्सरसाइज़ेज़(एडवर्ड ओ0 रेली)
Ye to saamany si exersice hain jinhe har kisee ko karna chahiye.
जवाब देंहटाएंमैंने सोचा कि कुछ और ही किस्म के व्यायाम बताये जाने वाले हैं :)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को एक ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंअरे वाह, ये व्यायाम तो बहुत आसान हैं। इन्हें सुबह-सुबह किया जा सकता है। धन्यवाद जानकारी के लिए, सम्भवत: आपके बहाने सेहत भी बन जाए।
जवाब देंहटाएंपोस्ट इतनी रोचक और कमेंट इतने कम? लगता है भाई लोग शर्मा रहे हैं?
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी मिली .....शुक्रिया.....!!
जवाब देंहटाएंमेरे विचार से इस पोस्ट का शीर्षक यह होना चाहिये-
जवाब देंहटाएंएक्सरसाइज के द्वारा शारीरिक और मानसिक क्षमता को बढ़ाने के 14 आसान तरीके।
badhiya !
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"एक्सरसाइज के द्वारा शारीरिक (सेक्स ???) क्षमता को बढ़ाने के 14 आसान तरीके।"
क्या वाकई बढ़ेगी यह (???)क्षमता इन कसरतों से...Pelvic Floor Muscles व Perineal Muscles की कोई कसरत तो दिख नहीं रही यहाँ!
...
बढिया व्यायाम हैं।
जवाब देंहटाएंअरविंद मिश्रा जी से सहमत
nice2
जवाब देंहटाएंअच्छी जानकारी
जवाब देंहटाएंपोस्ट इतनी रोचक और कमेंट इतने कम? लगता है भाई लोग शर्मा रहे हैं?
राजकुमार जैन भाई लोग शर्मा नहीं रहे हैं व्यायाम कर रहे हैं
अच्छी जानकारी .बढिया व्यायाम हैं।
जवाब देंहटाएंभारतीयों की सेक्स क्षमता पर कभी किसी को संदेह नहीं रहा,फिर इसे बढाने की ज़रूरत क्या है?समय ऐसे व्यायामों पर ज़ोर देने का है जिनसे सेक्स की ओर स्वतः ध्यान घटता जाए। ध्यान की ऐसी कई क्रियाएं हैं जिनसे सेक्स की आवश्यकता महसूस नहीं होती और मानसिक शक्ति भी बढती है। एक और बात यह कि कृपया ऐसे व्यायामों को ही प्रचारित किया जाए जिन्हें योगगुरू के मार्गदर्शन के बगैर किया जा सके ताकि व्यायाम योगगुरुओं का पेटेंट बनकर न रह जाए।
जवाब देंहटाएंमै कुमार राधारमण जी की बात से खुश हूँ। अच्छी सलाह दी है।
जवाब देंहटाएंमैं कुमार राधारमण जी की बात से सहमत हूँ। अच्छी सलाह दी है।
जवाब देंहटाएंमैं कुमार राधारमण जी की बात से सहमत हूँ। अच्छी सलाह दी है।
जवाब देंहटाएंमैं कुमार राधारमण जी की बात से सहमत हूँ। अच्छी सलाह दी है।
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